Sunday, 2 February 2014

केजरीवाल को बिन्‍नी का अल्‍टीमेटम: 48 घंटे में मांगें नहीं मानी तो तोड़ देंगे AAP

केजरीवाल को बिन्‍नी का अल्‍टीमेटम: 48 घंटे में मांगें नहीं मानी तो तोड़ देंगे AAP


 आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार की मुश्किलें एक बार फ़िर बढ़ गई हैं। ‘आप’ से निष्‍कासित विधायक विनोद कुमार बिन्‍नी, जेडीयू से इस्‍तीफा देने वाले विधायक शोएब इकबाल और निर्दलीय विधायक रामवीर शौकीन ने केजरीवाल सरकार को 48 घंटे में अपने वादे पूरा करने को कहा है। तीनों विधायकों ने कहा कि अगर केजरीवाल दिल्‍ली की जनता से अपने वादे पूरा नहीं करते हैं तो वह अपना समर्थन वापस ले लेंगे। गौरतलब है कि फिलहाल रामवीर शौकीन और शोएब इकबालकेजरीवाल सरकार को समर्थन दे रहे हैं। दूसरी ओर बिन्‍नी ने दावा किया, उनके साथ ‘आप’ पांच विधायक हैं। पांचों विधायक सोमवार दोपहर को साथ होंगे। बिन्‍नी ने कहा, उनके साथ कई पार्षद भी हैं और वह एक संयुक्‍त मोर्चा बनाने की सोच रहे हैं। इसके बारे में रविवार रात तक वह कोई फैसला कर लेंगे और सोमवार को इस संबंध में घोषणा कर सकते हैं।
क्‍या हैं दिल्‍ली विधानसभा में समीकरण 
* भाजपा के 31 और अकाली दल का एक विधायक
* ‘आप’ के पास अब 27 विधायक हैं। विधानसभा चुनाव में 'आप' को 28 सीटें मिली थीं, लेकिन बाद में बिनोद कुमार बिन्‍नी को निकाल दिया गया। 
* कांग्रेस के 8 विधायक हैं, जो केजरीवाल को समर्थन दे रहे हैं 
* निर्दलीय 3 विधायक हैं, इनके नाम हैं- शोएब इकबाल, रामवीर शौकीन और विनोद कुमार बिन्‍नी
अगर ‘आप’ के 5 विधायक साथ छोड़ देंगे तो दिल्‍ली सरकार अल्‍पमत में आ जाएगी।

इन मुद्दों को लेकर केजरीवाल का विरोध कर रहे हैं बिन्‍नी 
 
बिजली का मुद्दा: बिजली के 50 फीसदी दाम सीधे-सीधे कम करने की बात हुई थी। उसमें कोई शर्त नहीं जुड़ी थी। दिल्ली की जनता को यही संदेश था। ये बात नहीं थी कि कॉमर्शियल, रेजिडेंशियल, झुग्गी बस्तियों के लिए अलग-अलग नियम होंगे। क्या जरूरत थी चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए 400 यूनिट वाली एक स्कीम घोषित करके वाहवाही लूटने की? इससे दिल्ली की 90 फीसदी जनता खुद को छला हुआ महसूस कर रही है। आज उन लोगों का क्या जिन्होंने बिजली-पानी आंदोलन के बाद बिल नहीं भरे और आज उनके ऊपर लाख-लाख रुपए के बिल बकाया हैं, आज उनसे कोई बात तक नहीं कर रहा।
 
पानी का मुद्दा : चुनाव के दौरान मैंने व पार्टी ने हर मंच से कहा कि हम हर घर को 700 लीटर स्वच्छ पानी देने की बात की लेकिन मेनिफेस्टो बहुत चतुराई से डाल दिया गया कि जैसे ही 701 लीटर पानी इस्तेमाल होगा तो पूरे पानी का बिल जमा करना होगा। यह सब शब्दों का खेल है। यह जनता के साथ बड़ा धोखा है क्योंकि वायदा 700 लीटर मुफ्त पानी का था। केजरीवाल ने सुंदरनगरी में पानी-बिजली के लिए अनशन के दौरान कहा कि लोग पानी के नाजायज बिलों को जमा करना बंद करें, सरकार बनी तो उनके बिल माफ होंगे। उसके समर्थन में 10 लाख 52 हजार लोगों ने चिट्ठियां दीं। लेकिन आज उन वायदों का नाम लेने वाला कोई नहीं।
 
जनलोकपाल कानून : वायदा किया गया कि सरकार बनने के 14 दिन में अन्ना जी का जनलोकपाल बिल पारित करेंगे। आपने तो डेट भी दे दी थी 29 दिसंबर। मानते हैं कि सरकार 28 को बनी तो आपको 10-11 जनवरी तक बिल पारित कर लेना चाहिए था। कानून न बनाने के पीछे मंशा क्या है आपकी, जनता के सामने स्पष्ट करने की जरूरत है। किसी तरह दो महीने गुजार लें ताकि आचार संहिता लागू हो जाए ताकि काम न करने का बहाना मिल जाए और सत्ता भोगी जाए।
 
अरविंद तानाशाह हैं, बंद कमरों में होते हैं फैसले: अरविंद कैसे कह सकते हैं कि मैं टिकट मांगने गया और उन्होंने मना कर दिया। वो कैसे मना कर सकते हैं? क्या वे तानाशाह हो गए हैं। इसका मतलब तो आप अकेले फैसला लेने वाले लोग हो गए हैं? कहां गया स्वराज? इस पार्टी में चार-पांच लोग बंद कमरे में फैसले करते हैं, अरविंद भाई उन्हें आदेश की तरह एक फरमान सुनाते हैं। अगर कोई अरविंद की बात के खिलाफ जाता है तो पहले उसे समझाते हैं फिर उस पर आंखे तरेरते हैं, गुस्से में आ जाते हैं। आप अवसरवादी हैं और इस्तेमाल करो व फैंक दो की नीति अपनाते हैं। हां में हां मिलाई तो ठीक। अन्ना, किरण बेदी से लेकर सबका इस्तेमाल किया। आज के 10 दिन बाद बिजली-पानी के बिल माफ करने होंगे, बिना किसी शर्त के 700 लीटर मुफ्त पानी देना होगा, विशेष सत्र बुलाकर अन्ना का जन लोकपाल बिल पारित करना होगा, महिलाओं की सुरक्षा के लिए कमांडो फोर्स की शुरूआत करनी होगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उस दिन अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ जाएंगे।
 
मेरे नाम का इस्तेमाल किया: मुझे तब बहुत दुख होता है जब ये लोग मुझे कहते हैं कि मैं पद का लालची हूं, मुझे लोकसभा का टिकट चाहिए, विधानसभा का टिकट चाहिए। मैं तो जब इस पार्टी को देना शुरू किया जब इस पार्टी के पास देने के लिए कुछ नहीं था। मैं व्यक्ति विशेष से प्रेम करके नहीं, बल्कि विचारधारा से जुड़ा। सच बताऊं तो मैंने पार्टी को दिया, पहला एक चुना हुआ पार्षद दिया, मैंने विधायक के रूप में एक प्रतिनिधि दिया। केजरीवाल ने चुनाव अभियान में यदि 200 सभाएं की थीं तो 190 सभाओं में मेरा नाम लिया और कार्यशैली की चर्चा की।
 
महिला सुरक्षा का मसला: चिंता का विषय है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक विदेशी महिला के साथ गैंगरेप हुआ लेकिन सरकार की तरफ से एक बयान तक नहीं आया। आज यदि यहां कोई दूसरी सरकार होती तो आम आदमी पार्टी क्या कर रही होती, पार्टी ने अब तक मोर्चा खोल दिया होता। महिला सुरक्षा की बात करने पर आपको शर्म आनी चाहिए। आपने कमांडो फोर्स बनाने की बात की लेकिन इतने संवेदनशील मामले को आपने भुला दिया।
 
मीडिया को बुलाकर करते हैं ड्रामा: आपने अस्पताल, स्कूल, एमसीडी व सरकारी विभागों में ठेकेदारी पर काम करने वालों से वायदा किया कि तुरंत पक्का करेंगे। आज आपसे मिलने सचिवालय आते हैं तो आपके पास मिलने का वक्त नहीं है। इसी तरह से अस्पतालों की बात थी कि आते ही अस्पतालों की दशा सुधारेंगे। आप मीडिया को बुलाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और घर जाकर सो जाते हैं। ऐसे चलेगा क्या? आप कहीं रेड करने जाते हैं तो पहले मीडिया को बुलाते हैं क्योंकि आपको पब्लिसिटी चाहिए, आप ड्रामे में विश्वास करने वाले लोग हैं।
 
कांग्रेस के साथ सांठ-गांठ: चुनाव के दौरान हमने कसम खाकर जनता को विश्वास दिलाया था कि हम किसी पार्टी से न तो समर्थन लेंगे और न ही समर्थन देंगे। लेकिन परदे के पीछे से चंद लोगों ने चतुराई से सरकार बनाने का जाल बुना। उसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री व भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ आपने एक आदेश तक नहीं दिया कि जांच की जाए। ऑटो के पीछे पोस्टर लगा-लगाकर आपने पूरी दिल्ली को बताया कि ये मुख्यमंत्री व मंत्री भ्रष्टाचारी हैं। आज आप हर्षवर्धन से कह रहे हैं कि उनके पास कोई सुबूत हैं तो दें उनकी जांच कराएंगे। मतलब आपके पास सुबूत नहीं था तो आपने जनता से झूठ क्यों बोला। बिना किसी सुबूत के मुख्यमंत्री, मंत्रियों को भ्रष्टाचारी कहना एक जिम्मेदार व्यक्ति को शोभा नहीं देता।
 
संदीप दीक्षित से नजदीकी: सूत्र बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल के पूर्वी दिल्ली के सांसद संदीप दीक्षित के साथ बहुत नजदीकियां हैं। आज जितने भी महत्वपूर्ण फैसले आम आदमी पार्टी की सरकार में हो रहे हैं, वे सब कांग्रेस की ओर से आए आदेश की तरह है, यहां उसका पालन हो रहा है। आज जो सांठ-गांठ परदे के पीछे हुई है वह साबित करती है, कहीं न कहीं ये लोग मिले हुए हैं। यही वजह है कि चुनाव के दौरान जनता से छह महीने में भ्रष्टाचारियों को जेल में डालने के जो दावे किए जा रहे थे आज लुप्त हो गई है।
 
विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में भ्रष्टाचार हुआ: विधानसभा के टिकट बंटवारे में भारी भ्रष्टाचार हुआ। पैसे का लेन-देन ही नहीं बल्कि किसी का हक छीनकर किसी और को दे देना भी भ्रष्टाचार ही है। ये तय था कि लक्ष्मीनगर से बिन्नी, पटपडग़ंज से मनीष, आरके पुरम से साजिया इल्मी, बाबरपुर से गोपाल राय चुनाव लड़ेंगे तो फॉर्म भरवाने का ड्रामा क्यों? जनता व वॉलिंटियर के साथ धोखा क्यों किया? तब रायशुमारी का तरीका भी अलग था। उस रायशुमारी को नहीं माना गया। आज भी दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों के नाम तय हैं।

केजरीवाल के खिलाफ लडूंगा चुनाव – बिन्‍नी
आम आदमी पार्टी से निष्कासित लक्ष्मी नगर के विधायक विनोद कुमार बिन्नी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने की भी घोषणा कर चुके हैं। बिन्‍नी ने कहा था कि केजरीवाल दिल्ली- एनसीआर में जिस भी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, मैं उसी सीट से उनके खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर दिखाऊंगा।
उन्होंने केजरीवाल को यह भी चुनौती दी कि वह ईस्ट या नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली सीट से लोकसभा का चुनाव लड़कर दिखाएं। बिन्नी ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि भ्रष्ट लोगों के साथ झूठे लोगों को भी लोकसभा में नहीं जाना चाहिए और केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से जितने भी वादे किए थे, वे अब तक झूठे ही साबित हुए हैं। 

27 जनवरी को निकाले गए थे बिन्‍नी


'आप' की अनुशासन कमिटी ने विधायक विनोद कुमार बिन्नी के खिलाफ 27 जनवरी को कार्रवाई करते हुए उन्‍हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। बिन्नी लक्ष्मी नगर से विधायक हैं और केजरीवाल के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना भी दे चुके हैं। इससे पहले उन्‍होंने केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलकर उन पर मुद्दों से भटकने का आरोप लगाया था। इस पर पार्टी ने कारण बताओ नोटिस भेजा था।

बिन्‍नी को नोटिस जारी कर उनसे पूछा था कि पार्टी के संविधान की धारा 6-1(A) के तहत दोषी मानते हुए क्यों न उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाए। इसके जवाब में बिन्नी ने पार्टी से पूछा था कि इस धारा में क्या है? साथ ही उन्होंने पार्टी का संविधान मुहैया कराने की बात भी कही थी। हालांकि, पार्टी सूत्रों के मुताबिक संविधान ऑनलाइन है। उनके जवाब के बाद पार्टी ने एक अनुशासन समिति भी बनाई थी। इस समिति ने बिन्‍नी को पार्टी से निकालने का फैसला किया था। 

मुख्‍यमंत्री केजरीवाल तानाशाह – बिन्‍नी
आप विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को ‘तानाशाह’ करार दिया था। बिन्नी ने कहा था कि केजरीवाल एक तानाशाह बन चुके हैं। पार्टी में सभी फैसले बंद कमरे में चार-पांच लोगों द्वारा लिए जाते हैं। केजरीवाल उस समय आवेश में आ जाते हैं, जब लोग उनसे अपना मतभेद व्यक्त करते हैं । यदि कोई उनके खिलाफ बोलता है तो वह चिल्लाना शुरू कर देते हैं। सत्ता में आने के बाद पार्टी अपनी विचारधारा ‘भूल’ चुकी है और ‘एक अवसरवादी संगठन’ बन गई है।

बिन्नी ने कहा था कि वे इस्तेमाल करो और फेंको की नीति अपना रहे हैं। पहले, उन्होंने अन्ना हजारे, किरण बेदी का इस्तेमाल किया और अब भी पार्टी में बहुत से लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि पार्टी ने चुनाव अभियान के दौरान हर घर को 700 लीटर पानी नि:शुल्क उपलब्ध कराने का वायदा किया था, लेकिन सरकार ने बहुत चालाकी से घोषणा की कि इस सीमा से परे जाने पर पूरे पानी का बिल देना होगा। बिजली के मुद्दे पर बिन्नी ने कहा कि सरकार ने दिल्ली के लोगों को धोखा दिया, क्योंकि पार्टी ने सत्ता में आने पर बिजली के बिल आधे करने का वायदा किया था।

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