Tuesday, 5 August 2014

गेहूं का दाना है पांडवों की निशानी

ये एक गेहूं का दाना है पांडवों की निशानी, वजन करीब 150 ग्राम

महाभारत के काल का इतिहास करीब 5000 हजार साल पुराना हो चुका है। उस समय द्वापर युग चल रहा था और अब कलियुग चल रहा है। पांडवों के बाद से ही कलियुग प्रारंभ हो गया था। उस काल से जुड़ी कई निशानियां अलग-अलग शोधों में देश के कई हिस्सों में मिली हैं। जब पांडवों का अज्ञातवास चल रहा था, तब वे शिमला क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश) में करसोग घाटी के ममेल गांव में ठहरे थे। ऐसा माना जाता है कि उस काल का एक गेहूं का दाना आज भी यहां स्थित ममलेश्वर महादेव मंदिर में रखा हुआ है। इस गेहूं का का दाने का वजन करीब 150 ग्राम है।


यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार इसी मंदिर में पांच पांडवों के पांच शिवलिंग भी स्थापित हैं। इन पांचों शिवलिंगों का पूजन करने पर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से एक लोटा जल भी इन शिवलिंगों पर अर्पित करता है तो उसे शिवजी की कृपा प्राप्त होती है और दुखों से मुक्ति मिलती है। इस क्षेत्र में एक प्राचीन ढोल भी है। इस ढोल के संबंध में ऐसा माना जाता है कि यह भीम का ढोल का है।


ये एक गेहूं का दाना है पांडवों की निशानी, वजन करीब 150 ग्राम

फोटो- प्राचीन ढोल। इस ढोल के संबंध में ऐसा माना जाता है कि यह भीम का ढोल का है।

ये एक गेहूं का दाना है पांडवों की निशानी, वजन करीब 150 ग्राम

फोटो- पांच पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग।




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