Friday, 29 August 2014

जानिये आपकी कुल आयु कितनी है

आपकी कुल आयु कितनी होगी

जीना और मरना यह सब ऊपर वाले के हाथों में है। ऊपर वाला जब धरती पर किसी मनुष्य को भेजता है उससे पहले यह तय कर देता है कि कौन कितने दिन धरती पर रहेगा और धरती पर रहकर कौन-कौन से काम करेगा।

इसी समय यह भी तय हो जाता है कि कौन कब और किस विधि से देह का त्याग करेगा। ईश्वर के इस पूरे विधान को तो समझना बड़े-बड़े संत महात्मा और ज्ञानियों के लिए भी मुमकिन नही है।

लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें हम मनुष्य भी जान सकते हैं ईश्वर ने इसका उपाय कर रखा है। आप भी चाहें तो इस उपाय से जान सकते हैं कि आपकी कुल आयु कितनी होगी। आप कब तक वर्तमान शरीर के साथ रहेंगे और किस विधि से देह का त्याग करेंगे।




कितने साल जिएंगे? 

आयु के बारे में जानने के लिए ईश्वर ने जो उपाय किए हैं उसका नाम है ज्योतिषशास्त्र। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि आयु की तीन अवस्थाएं हैं- अल्पायु, मध्यायु और पूर्णायु। जन्म से लेकर 33 वर्ष तक के समय में देह त्याग होना अल्पायु कहलाता है।

34 से 64 वर्ष के बीच देह त्याग करना मध्यमायु और 65 से 100 वर्ष तक के जीवन को पूर्णायु माना गया है। इसके बाद अगर कोई जीवित रहता है यानी 100 से 120 वर्ष तक तब दीर्घायु प्राप्त कहलता है। इसके बाद जीने वाला विपरीत आयु को भोगने वाला होता है।

ज्योतिषशास्त्र में मृत्यु के विषय में जानने के लिए कुण्डली के तीन घरों का विचार किया जाता है तीसरा, आठवां और दसवां। आयु के लिए जिम्मेदार ग्रह शनि को माना गया है। शनि जितना ही बलवान होगा आपकी आयु उतनी ही अधिक होगी।



ऐसे व्यक्ति पूर्णायु तक जीवित रहते हैं 

जिस व्यक्ति की कुण्डली में शनि आठवें घर में होता है या शनि अपनी राशि उच्च राशि तुला या खुद की राशि मकर या कुंभ में होता है उनकी आयु को बढ़ाने में शनि सहायक होता है।

ऐसे व्यक्ति कम से कम मध्यम आयु तक जीवित रहते हैं अगर अन्य स्थिति भी अनुकूल हो तो पूर्णायु भी प्राप्त कर लेते हैं। कर्क और मिथुन लग्न की कुण्डली में अगर शनि ग्यारहवे स्थान में होता है तो व्यक्ति 65 से 100 वर्ष तक जीवित रहता है।

सूर्य और शनि में वैर होने के बावजूद अगर यह दोनों ग्यारहवें घर में बैठे हों और चन्द्र, गुरू, शुक्र यदि पहले, चौथे, सातवें या दसवें घर में हो तब भी व्यक्ति की कुण्डली में पूर्णायु योग बनता है। सिंह और वृष लग्न की कुण्डली में अगर शनि, राहु, केतु, मंगल, और सूर्य ग्यारहवें घर में मौजूद हों तो यह आयु के लिए बहुत ही शुभ होता है।



इनकी आयु 34 से 65 के बीच होती है 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी कुण्डली में पहले घर में शुभ ग्रह यानी चन्द्रमा, गुरू, शुक्र में से कोई भी मौजूद हो तब मध्यम आयु का योग बनता है। ऐसे व्यक्ति की उम्र 34 से 65 वर्ष तक हो सकती है।


कुण्डली के पहले, चौथे, सातवें और दसवें घर में शुभ ग्रह मौजूद हों और शनि तीसरे या छठे घर में बैठा है तो मध्यमायु होगी।

सूर्य कुण्डली में ग्यारहवें घर में बैठे हों साथ ही पाचवें और नवमें घर में पाप ग्रह जैसे शनि, मंगल, राहु, केतु, सूर्य कोई भी बैठा हो तब भी व्यक्ति की उम्र 34 से 65 के बीच होती है।

धनु लग्न वालों की कुण्डली में चन्द्रमा अगर कर्क राशि में होता है तब उनकी कुण्डली में भी मध्यम आयु का योग बना होता है।

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