अगर आप अपने दफ्तर के माहौल से दुखी रहते हैं तो यह आपके कॅरियर
के लिए
अच्छा भी हो सकता है।
यकीन नहीं आता तो लिवरपूल मैनेजमेंट स्कूल यूनिवर्सिटी
के शोध पर गौर करें
जिसमें माना गया है कि दफ्तर में दुखी रहने वाले कर्मचारी ज्यादा
अच्छा काम
करते हैं जबकि जो लोग दफ्तर में अधिक खुश रहते हैं वे उतना बेहतर
काम नहीं
कर पाते।
शोधकर्ता डॉ. डर्क लिंडेबियम और पीटर जॉनसन ने अपने अध्ययन
में इस धारणा
का विरोध किया है जिसमें माना जाता है कि दफ्तर का सकारात्मक
माहौल
कार्यक्षमता बढ़ाता है।
उनका मानना है कि जरूरी नहीं कि हर मामले में गुस्से
और नकारात्मकता का
परिणाम नकारात्मक ही हो और यह बात कार्यक्षेत्र में अधिक लागू
होती है।
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में माना कि टीम के भीतर थोड़ी
नकारात्मकता भी
जरूरी है जिससे कर्मचारियों में बेहतर प्रदर्शन की चाहत बढ़ती
रहे।
यह शोध ह्यूमन रिलेशन्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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