Thursday, 28 August 2014

कॉफी पिने वालों के लिए मजेदार समाचार !

Photo: कॉफि पिनेवालों के लिए मजेदार समाचार !

हम सुनते आए हैं कि चाय कॉफी वनस्पति के पौधों से बनती है ।

लेकिन कॉफि के व्यापारी वनस्पति के साथ वनस्पति खानेवाले पशु के पेट में घुस गए और महेंगी कॉफी लेकर गोबर के साथ बाहर निकले !

वो कैसे ?

देखते हैं ।

जैसे छास के माईक्रोब्स (एक तरह के जंतु) दुध का दही और धी बना देते है उसी तरह हाथी के आंत में रहे माईक्रोब्स वनस्पति को ऐसे तत्व में बदल देते है जो हाथी के शरीर के लिए उपयोगी है । उस में से जो निरोपयोगी कचरा बचता है उस की गोलियां बन जाती है और उस पर वनस्पति के पत्तों से मिले सेल्युलोज द्वारा उन गोलियों पर कवच बन जाता है । जीसे आयवरी सीड या कॉफी बीन या हाथी बीज कहते हैं । जो मुख्य गोबर के साथ बाहर निकल जाते है । कॉफी के व्यापारी इस बीज से कॉफी बनाने लगे हैं ।

इस कॉफी का स्वाद चाय और कॉफी के मिश्रण जैसा है । इस कॉफी को थाईलेन्ड के गोल्डन ट्राएन्गल के एसियन हाथी के गोबर से बनाया जाता है । लगभग ३३ किलो कॉफी बीन से एक किलो ब्लॅक अईवरी कॉफी बनती है ।

यह कॉफी बहुत मेहंगी (४२०० का एक कप) होने से अभी फाईव स्टार होटेल और रिसोर्ट में ही मिलती है ।

इस कॉफी को बनाने के पिछे केनेडियन बिजनेसमॅन ब्लॅक डिंकन का भेजा काम कर गया है । डिंकन की ईस मुद्दे पर काफी मजाक भी उडाई जा रही है । डिंकन की इस कॉफी को लोग क्रेपेचीनो, बू नंबर २, गुड टू लास्ट ड्रोपिन्ग नाम से चिडाते हैं । लेकिन वो प्रोडक्ट को लेकर बहुत गंभीर है ।

डिन्कन ने अपने आईडिया के बारे में कहा कि अगर मुझे यह आईडिया अच्छा नही लगा तो मैं अपने जीवन के १० साल इस के पिछे नही खर्च करुंगा । हाथी जब माईक्रोब्स और पत्ते खाता है तो सेल्युलोज के कारण उस के गोबर से निकलते बीजों में मिठास बढ जाती है । इस कॉफी बीज का स्वाद सामान्य कॉफी या चाय से अधिक मिठा हो जाता है ।

हालां की यह कोइ नयी बात नही है । युके में एक कॉफीशॉप बिल्ली के गोबर से बनी कॉफी, एक कप ९ पाउंड में बेचती है । एक ब्रान्ड, "कोपी लुवैक" कॉफी एसियन टोडी कॅट (बिल्ली की नस्ल) के गोबर से बनती है । एक और ब्रान्ड "केमोसीम ओर्गेनिक जेकु बर्ड" कॉफी ब्राझिल के जेकी पक्षी के हगार से बनती है जो अमरिकन बाजार में सवा तीन डॉलर में मिलती है ।

खैर, हमें इस मेहंगी केपेचीनो से क्या मतलब ! कुलड्युड धनवानों का प्रोब्लेम है, जो ब्रान्डेड चीजों के पिछे भागते हैं अपना स्टेटस उंचा करने की चाह में ।


हम सुनते आए हैं कि चाय कॉफी वनस्पति के पौधों से बनती है



लेकिन कॉफि के व्यापारी वनस्पति के साथ वनस्पति खानेवाले पशु के पेट में घुस गए और 



महेंगी कॉफी लेकर गोबर के साथ बाहर निकले !



वो कैसे ?


देखते हैं

जैसे छास के माईक्रोब्स (एक तरह के जंतु) दुध का दही और धी बना देते है उसी तरह हाथी के 



आंत में रहे माईक्रोब्स वनस्पति को ऐसे तत्व में बदल देते है जो हाथी के शरीर के लिए 


उपयोगी है उस में से जो निरोपयोगी कचरा बचता है उस की गोलियां बन जाती है और उस 


पर वनस्पति के पत्तों से मिले सेल्युलोज द्वारा उन गोलियों पर कवच बन जाता है जीसे 


आयवरी सीड या कॉफी बीन या हाथी बीज कहते हैं जो मुख्य गोबर के साथ बाहर निकल 


जाते है कॉफी के व्यापारी इस बीज से कॉफी बनाने लगे हैं



इस कॉफी का स्वाद चाय और कॉफी के मिश्रण जैसा है इस कॉफी को थाईलेन्ड के गोल्डन 



ट्राएन्गल के एसियन हाथी के गोबर से बनाया जाता है लगभग ३३ किलो कॉफी बीन से 


एक किलो ब्लॅक अईवरी कॉफी बनती है



यह कॉफी बहुत मेहंगी (४२०० का एक कप) होने से अभी फाईव स्टार होटेल और रिसोर्ट में ही 



मिलती है



इस कॉफी को बनाने के पिछे केनेडियन बिजनेसमॅन ब्लॅक डिंकन का भेजा काम कर गया है 
 


डिंकन की ईस मुद्दे पर काफी मजाक भी उडाई जा रही है डिंकन की इस कॉफी को लोग 


क्रेपेचीनो, बू नंबर , गुड टू लास्ट ड्रोपिन्ग नाम से चिडाते हैं लेकिन वो प्रोडक्ट को लेकर 


बहुत गंभीर है



डिन्कन ने अपने आईडिया के बारे में कहा कि अगर मुझे यह आईडिया अच्छा नही लगा तो 



मैं अपने जीवन के १० साल इस के पिछे नही खर्च करुंगा हाथी जब माईक्रोब्स और पत्ते 


खाता है तो सेल्युलोज के कारण उस के गोबर से निकलते बीजों में मिठास बढ जाती है इस 


कॉफी बीज का स्वाद सामान्य कॉफी या चाय से अधिक मिठा हो जाता है



हालां की यह कोइ नयी बात नही है युके में एक कॉफीशॉप बिल्ली के गोबर से बनी कॉफी



एक कप पाउंड में बेचती है एक ब्रान्ड, "कोपी लुवैक" कॉफी एसियन टोडी कॅट (बिल्ली की 


नस्ल) के गोबर से बनती है एक और ब्रान्ड "केमोसीम ओर्गेनिक जेकु बर्ड" कॉफी ब्राझिल के 


जेकी पक्षी के हगार से बनती है जो अमरिकन बाजार में सवा तीन डॉलर में मिलती है



खैर, हमें इस मेहंगी केपेचीनो से क्या मतलब ! कुलड्युड धनवानों का प्रोब्लेम है, जो ब्रान्डेड 



चीजों के पिछे भागते हैं अपना स्टेटस उंचा करने की चाह में



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