Wednesday, 6 August 2014

अल्लाह मात्र एक कल्पना है

Photo: हमारे संस्कृत में एक बहुत ही पुरानी उक्ति है कि....

रज्जुरुपे परिज्ञाते सर्पभ्रान्तिनं तिष्ठति....!
अधिष्ठाने तथा ज्ञाते प्रपंचय: शून्यतां ब्रजेत....!!

अर्थात..... जिस तरह  रस्सी का रूप जान लेने पर सर्प का भ्रम नहीं रहता.., ठीक  उसी प्रकार अधिष्ठान को जान लेने पर प्रपंच शून्य हो जाता है...!

और , सबसे मजे की बात तो यह है कि..... हजारों साल पहले कहे गए संस्कृत की इस उक्ति को अगर हम इस्लाम पर लागू करें.... तो, इस्लाम का पूरा प्रपंच ही बिखर जाता है....

लेकिन, मुस्लिमों के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि..... उनको दिमाग होता ही नहीं है....

और, यदि  किसी इरले-बिरले मुल्लों को थोड़ा-बहुत दिमाग हुआ भी तो... वो उसे 4 बीवी और 24  बच्चे में ही खर्च कर देता है...!

क्योंकि.... अगर किसी मुल्ले को थोड़ा बहुत भी दिमाग होता तो... इस्लाम का प्रपंच उसे तुरत ही समझ आ जाता ... और, वो इस्लाम के नाम से ही ऐसे बिदक जाता ... जैसे कोई साँढ़.... लाल कपडा देख कर बिदक जाता है...!

उदाहरण के तौर पर .... आप इस्लाम में मौजूद ..... उनके कथित ..... अल्लाह के अस्तित्व को ही देख लें....!

मुस्लिमों का कहना है कि...... अल्लाह एक है......... अल्लाह निराकार है, एवं ........ अल्लाह अदृश्य है....!

अब ये बात तो ........ किसी मूर्ख से मूर्ख ..... यहाँ तक कि..... अपने ""राहुल बाबा"" भी समझ आ सकता है कि.....

 जब अल्लाह अदृश्य है .....और,  किसी को दिखाई ही नहीं देता ... तो, फिर अल्ल्लाह को गिना कैसे....कि .... वो एक है  या अनेक है ...???????????

क्योंकि...जब कोई वस्तु या पदार्थ  दिखाई नहीं देगी ... और, अदृश्य रहेगी .....तो आखिर उसे गिना कैसे जाएगा...????????

अर्थात ... यह तो बेहद ही सामान्य ज्ञान की बात है कि.......

किसी भी चीज की गिनती तभी संभव होगी ......... जब उसका आकार होगा तथा वो दिखाई पड़ेगी...!

लेकिन, जब किसी का .....कोई आकार नहीं है....अर्थात, वो  निराकार है...... तब कोई कैसे  कह सकता है कि ..... वह है ही , अथवा वो गिनती में कितना है....?????

क्योंकि.... जब किसी चीज का आकार ही नहीं है........तब वह अनेको भी हो सकता है...........अथवा, वह नहीं भी हो सकता है....!

और अगर, एकबारगी मुल्लों की मूर्खता तो मानते हुए ...... अल्लाह को निराकार मान भी लिया जाए तो.......

इस पृथ्वी पर .... सर्वमान्य निराकार तो....वायु ही है...........फिर, उस  निराकार वायु की ही पूजा मुसलमान क्यों नहीं करते है...???????

इसके अलावे ....यह भी एक बेहद ही अजीब ....और,  हास्यास्पद सी बात है कि.....

जब अल्लाह की कोई आकृति या आकार नहीं है.......अर्थात, अल्लाह अदृश्य है......तो , मुहम्मद ने  अल्लाह को कैसे देख लिया ..... और, कैसे गिनकर बताया कि अल्लाह एक है...??????

क्योंकि.... किसी को भी... एक ही है अथवा अनेक है ..........यह कहने के लिए.......... पहले उसे  गिनना पड़ता है....!

इस तरह.... अब या तो दो ही बातें हो सकती है.....

और, वो ये कि.... या तो अल्लाह है ही नहीं.... और, अगर वो है भी तो.... वो ना तो अदृश्य है और, ना ही निराकार....!

लेकिन.... इन दोनों ही परिस्थितियों में .... एक बात तो सत्य ये है कि..... कुरान की कोई एक बात ..... निश्चित रूप से गलत है...

और, ये सोचने वाली बात है कि.... जो किताब ऐसी भ्रामक जानकारी दे..... वो भला कोई .... ईश्वरीय ग्रन्थ कैसे हो सकती है...??????

अब इस पर , कुछ मूर्ख और सेक्यूलर प्रजाति के लोग ..... यह तर्क दे सकते हैं कि.....

हिन्दू धर्म में भी तो.....ईश्वर निराकार है.. और, हिन्दू धर्म के अनुसार भी ईश्वर एक ही है....!

लेकिन..... ऐसा फालतू तर्क लगाने पहले.... ऐसे लोगों को जान लेना चाहिए कि.....हिन्दू सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार ....

हिन्दू सनातन धर्म में...... ईश्वर .... मनुष्यों के कल्याण हेतु साकार होकर.... समय-समय पर ..... अनेक रूप ग्रहण करते रहते  है..

इसलिए,  हमारे हिन्दू सनातन धर्म में...... एक ही देवता को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है...... जैसे कि..... आप भगवान विष्णु को.... भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान परशुराम इत्यादि भी बुला सकते हो....!

लेकिन.... जब किसी धर्म अथवा संप्रदाय में ..........जब तक कोई भगवान या वस्तु  साकार नहीं होगे .....तब तक, ना तो हम उनको गिन सकते है.. न ही  देख सकते है.. और, न ही किसी विदेशी... मूर्ख  मुहम्मद की तथ्यहीन बातो को.... बेवकूफों की तरह ... आँख बंद करके ..... सही  मान सकते है..

दरअसल.... हुआ ये है कि .......सैकड़ों साल पहले.....मुहम्मद ने ....... मूर्ख और जंगली अरबी कबीलों को बेवकूफ बनाया था..... और, मुहम्मद ने.... मूर्ख  मुसलमानों को डरा कर अपना उल्लू सीधा करने के लिए ..... एक काल्पनिक अल्लाह की झूठी कहानी बनाई..... और, उसे कुरान में लिखवा दी.....!

और, मुल्ले भी अक्ल के ऐसे पैदल कि..... वे मुहम्मद के उसी झूठी कहानी को.... बिना अपना दिमाग लगाए .... सच मान लिया ... और, आजकल उसी काल्पनिक लकीर को सांप समझकर पीटे जा रहे हैं....!

जबकि... उसके उलट .... अदृश्य और निराकार महादेव का दर्शन करने की विधि केवल हिन्दू धर्मग्रंथो में है..... और, उसमे साफ़ लिखा हुआ है कि.....ध्यान-साधना के माध्यम से साक्षात् ईश्वर का दर्शन हो सकता है....!

ज्ञातव्य है कि...... इस्लाम के कुरान में .... ध्यान साधना की बात तो खैर जाने ही दो.....

कुरान में तो......... ज्ञान , विज्ञान, चिकित्सा , गणित अथवा खगोलशास्त्र का तो कहीं कोई वर्णन ही नहीं है....!

कुरान में तो सिर्फ  ... जिहाद , बलात्कार , लूट  एवं बच्चा पैदा  करने की विधि ही लिखी हुई है.... जिसका किसी धर्म अथवा मानवता तक से कोई लेना-देना ही नहीं है...!

खैर....

कुरान के विस्तृत अध्ययन एवं थोड़े दिमाग के इस्तेमाल   से .....यह पूरी तरह से साबित होता है कि.......... ''अल्लाह''' नाम का कोई भी चीज इस दुनिया में ना तो कभी  थी.......और , न ही आज है....

यही कारण है कि......अपने जन्म के बाद  और मुहम्मद के अलावा .....  1400 सालो से आज तक कोई भी अल्लाह को नहीं देख सका......

और, इसी कारण...... इस्लाम में .. अल्लाह या मुहम्मद की  कोई फोटो या मूर्ति भी नहीं है.....ना, ही इसे बनाने की इजाजत है...!

तो, यह साबित होने के बाद कि..... कोई अरबी या अफगानी अल्लाह नहीं है..... ना, ही इस ब्रम्हाण्ड में अल्लाह का कोई अस्तित्व है...

सारे मनुष्य प्रेम से बोलो .......

जय महाकाल...!!!

Note : यह लेख किसी भी व्यक्ति अथवा समुदाय की धार्मिक भावना को आहत करने के लिए नहीं, बल्कि, सामाजिक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लिखी गई है...!

हमारे संस्कृत में एक बहुत ही पुरानी उक्ति है कि....

रज्जुरुपे परिज्ञाते सर्पभ्रान्तिनं तिष्ठति....!
अधिष्ठाने तथा ज्ञाते प्रपंचय: शून्यतां ब्रजेत....!!

अर्थात..... जिस तरह रस्सी का रूप जान लेने पर सर्प का भ्रम नहीं रहता.., ठीक उसी प्रकार अधिष्ठान को जान लेने पर प्रपंच शून्य हो जाता है...!

और , सबसे मजे की बात तो यह है कि..... हजारों साल पहले कहे गए संस्कृत की इस उक्ति को अगर हम इस्लाम पर लागू करें.... तो, इस्लाम का पूरा प्रपंच ही बिखर जाता है....

लेकिन, मुस्लिमों के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि..... उनको दिमाग होता ही नहीं है....

और, यदि किसी इरले-बिरले मुल्लों को थोड़ा-बहुत दिमाग हुआ भी तो... वो उसे 4 बीवी और 24 बच्चे में ही खर्च कर देता है...!

क्योंकि.... अगर किसी मुल्ले को थोड़ा बहुत भी दिमाग होता तो... इस्लाम का प्रपंच उसे तुरत ही समझ जाता ... और, वो इस्लाम के नाम से ही ऐसे बिदक जाता ... जैसे कोई साँढ़.... लाल कपडा देख कर बिदक जाता है...!

उदाहरण के तौर पर .... आप इस्लाम में मौजूद ..... उनके कथित ..... अल्लाह के अस्तित्व को ही देख लें....!

मुस्लिमों का कहना है कि...... अल्लाह एक है......... अल्लाह निराकार है, एवं ........ अल्लाह अदृश्य है....!

अब ये बात तो ........ किसी मूर्ख से मूर्ख ..... यहाँ तक कि..... अपने ""राहुल बाबा"" भी समझ सकता है कि.....

जब अल्लाह अदृश्य है .....और, किसी को दिखाई ही नहीं देता ... तो, फिर अल्ल्लाह को गिना कैसे....कि .... वो एक है या अनेक है ...???????????

क्योंकि...जब कोई वस्तु या पदार्थ दिखाई नहीं देगी ... और, अदृश्य रहेगी .....तो आखिर उसे गिना कैसे जाएगा...????????

अर्थात ... यह तो बेहद ही सामान्य ज्ञान की बात है कि.......

किसी भी चीज की गिनती तभी संभव होगी ......... जब उसका आकार होगा तथा वो दिखाई पड़ेगी...!

लेकिन, जब किसी का .....कोई आकार नहीं है....अर्थात, वो निराकार है...... तब कोई कैसे कह सकता है कि ..... वह है ही , अथवा वो गिनती में कितना है....?????

क्योंकि.... जब किसी चीज का आकार ही नहीं है........तब वह अनेको भी हो सकता है...........अथवा, वह नहीं भी हो सकता है....!

और अगर, एकबारगी मुल्लों की मूर्खता तो मानते हुए ...... अल्लाह को निराकार मान भी लिया जाए तो.......

इस पृथ्वी पर .... सर्वमान्य निराकार तो....वायु ही है...........फिर, उस निराकार वायु की ही पूजा मुसलमान क्यों नहीं करते है...???????

इसके अलावे ....यह भी एक बेहद ही अजीब ....और, हास्यास्पद सी बात है कि.....

जब अल्लाह की कोई आकृति या आकार नहीं है.......अर्थात, अल्लाह अदृश्य है......तो , मुहम्मद ने अल्लाह को कैसे देख लिया ..... और, कैसे गिनकर बताया कि अल्लाह एक है...??????

क्योंकि.... किसी को भी... एक ही है अथवा अनेक है ..........यह कहने के लिए.......... पहले उसे गिनना पड़ता है....!

इस तरह.... अब या तो दो ही बातें हो सकती है.....

और, वो ये कि.... या तो अल्लाह है ही नहीं.... और, अगर वो है भी तो.... वो ना तो अदृश्य है और, ना ही निराकार....!

लेकिन.... इन दोनों ही परिस्थितियों में .... एक बात तो सत्य ये है कि..... कुरान की कोई एक बात ..... निश्चित रूप से गलत है...

और, ये सोचने वाली बात है कि.... जो किताब ऐसी भ्रामक जानकारी दे..... वो भला कोई .... ईश्वरीय ग्रन्थ कैसे हो सकती है...??????

अब इस पर , कुछ मूर्ख और सेक्यूलर प्रजाति के लोग ..... यह तर्क दे सकते हैं कि.....

हिन्दू धर्म में भी तो.....ईश्वर निराकार है.. और, हिन्दू धर्म के अनुसार भी ईश्वर एक ही है....!

लेकिन..... ऐसा फालतू तर्क लगाने पहले.... ऐसे लोगों को जान लेना चाहिए कि.....हिन्दू सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार ....

हिन्दू सनातन धर्म में...... ईश्वर .... मनुष्यों के कल्याण हेतु साकार होकर.... समय-समय पर ..... अनेक रूप ग्रहण करते रहते है..

इसलिए, हमारे हिन्दू सनातन धर्म में...... एक ही देवता को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है...... जैसे कि..... आप भगवान विष्णु को.... भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान परशुराम इत्यादि भी बुला सकते हो....!

लेकिन.... जब किसी धर्म अथवा संप्रदाय में ..........जब तक कोई भगवान या वस्तु साकार नहीं होगे .....तब तक, ना तो हम उनको गिन सकते है.. ही देख सकते है.. और, ही किसी विदेशी... मूर्ख मुहम्मद की तथ्यहीन बातो को.... बेवकूफों की तरह ... आँख बंद करके ..... सही मान सकते है..

दरअसल.... हुआ ये है कि .......सैकड़ों साल पहले.....मुहम्मद ने ....... मूर्ख और जंगली अरबी कबीलों को बेवकूफ बनाया था..... और, मुहम्मद ने.... मूर्ख मुसलमानों को डरा कर अपना उल्लू सीधा करने के लिए ..... एक काल्पनिक अल्लाह की झूठी कहानी बनाई..... और, उसे कुरान में लिखवा दी.....!

और, मुल्ले भी अक्ल के ऐसे पैदल कि..... वे मुहम्मद के उसी झूठी कहानी को.... बिना अपना दिमाग लगाए .... सच मान लिया ... और, आजकल उसी काल्पनिक लकीर को सांप समझकर पीटे जा रहे हैं....!

जबकि... उसके उलट .... अदृश्य और निराकार महादेव का दर्शन करने की विधि केवल हिन्दू धर्मग्रंथो में है..... और, उसमे साफ़ लिखा हुआ है कि.....ध्यान-साधना के माध्यम से साक्षात् ईश्वर का दर्शन हो सकता है....!

ज्ञातव्य है कि...... इस्लाम के कुरान में .... ध्यान साधना की बात तो खैर जाने ही दो.....

कुरान में तो......... ज्ञान , विज्ञान, चिकित्सा , गणित अथवा खगोलशास्त्र का तो कहीं कोई वर्णन ही नहीं है....!

कुरान में तो सिर्फ ... जिहाद , बलात्कार , लूट एवं बच्चा पैदा करने की विधि ही लिखी हुई है.... जिसका किसी धर्म अथवा मानवता तक से कोई लेना-देना ही नहीं है...!

खैर....

कुरान के विस्तृत अध्ययन एवं थोड़े दिमाग के इस्तेमाल से .....यह पूरी तरह से साबित होता है कि.......... ''अल्लाह''' नाम का कोई भी चीज इस दुनिया में ना तो कभी थी.......और , ही आज है....

यही कारण है कि......अपने जन्म के बाद और मुहम्मद के अलावा ..... 1400 सालो से आज तक कोई भी अल्लाह को नहीं देख सका......

और, इसी कारण...... इस्लाम में .. अल्लाह या मुहम्मद की कोई फोटो या मूर्ति भी नहीं है.....ना, ही इसे बनाने की इजाजत है...!

तो, यह साबित होने के बाद कि..... कोई अरबी या अफगानी अल्लाह नहीं है..... ना, ही इस ब्रम्हाण्ड में अल्लाह का कोई अस्तित्व है...

सारे मनुष्य प्रेम से बोलो .......

जय महाकाल...!!!


Note : यह लेख किसी भी व्यक्ति अथवा समुदाय की धार्मिक भावना को आहत करने के लिए नहीं, बल्कि, सामाजिक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लिखी गई है...!


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