Saturday, 11 October 2014

पाक को पटखनी देने के लिए मोदी का नया दांव

बीएसएफ के जिम्मे अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी

भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बंदूकों का शोर थम गया। केंद्र सरकार ने सख्त रवैये के बाद बीएसएफ ने पाकिस्तानी रेंजरों को मुंहतोड़ जवाब दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले तीन दिनों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक देवेंद्र कुमार पाठक से कई बार फोन पर बात की।

उन्हें पाकिस्तान की हर गोली का जवाब गोली से देने के लिए उत्साहित करते रहे। सीमा पर पाकिस्तान की गोलियां और मोर्टार बरसते रहे, पाठक अपने जवानों के साथ चौकियों पर मुस्तैद रहे।

उन्होंने तीन रातें जगकर बिताईं और पाक के हर वार का पलटवार किया। आईपीएस ऑफिसर देवेंद्र कुमार पाठक, जिन्हें डीके पाठक के रूप में अधिक जाना जाता है, के करियर का अधिकांश हिस्सा असम और जम्मू-कश्मीर में बीता।

आतंकियों और अलगाववादियों से निपटने का उनका लंबा अनुभव है। इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान से निपटने की जिम्मेदारी सौपी है।


बीएसएफ के जिम्मे अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी

पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा भारतीय सीमा की ओर गोलीबारी नई बात नहीं है। हालांकि पहली बार ऐसा हो रहा है कि वे नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी करके अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अधिक गोलीबारी कर रहे हैं।

कश्मीर में आतंकियों को घुसपैठ कराने के लिए वे नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी करते रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी बीएसएफ के जिम्मे है, जबकि नियंत्रण रेखा की निगरानी सेना करती है।

पाकिस्तान की रणनीति में आए बदलाव के कारण बीएसएफ के कंधे पर अधिक जिम्मेदारी गई है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा छूट दिए जाने के बाद बीएसएफ ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।

मोदी की रणनीति में पाठक की अहम भूमिका

मोदी की रणनीति में पाठक की अहम भूमिका

अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर पाकिस्तान को संभालने की जिम्मेदारी डीके पाठक को दी गई। पाकिस्तान के खिलाफ मोदी की रणनीति में पाठक की अहम भूमिका भी है। पाठक वहां फरवरी, 2016 तक रहने वाले हैं।

रोचक बात यह है कि बीएसएफ के महानिदेशक रूप में डीके पाठक का चयन यूपीए सरकार ने किया था। उन्हें इसी साल अप्रैल में नियुक्त किया गया था। सूत्रों का कहना है कि राजग सरकार ने भी डीके पाठक को ही बीएसएफ महानिदेशक के रूप में सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माना।

उन्हें पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर काम करने का अनुभव था। सरकार ने पाठक के अनुभव अपनी रणनीति की लिहाज से मुफीद माना।

राजनाथ ने पाठक को जम्मू भेजा

बिहार के रहने वाले पाठक ने 1979 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए थे। 23 साल की उम्र में उन्हें असम-मेघालय कैडर केलिए चुना गया और एसएसपी के रूप में उन्होंने चार जिलों की जिम्मेदारी संभाली।

उन्होंने ये कार्यभार उस समय संभाला, जब असम और मेघालय में उग्रवाद अपने चरम पर था। उन्हें सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) में नक्सलियों से निपटने केलिए विशेष दस्ते कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन) को तैयार करने जिम्मेदारी सौंपी गई।

पाठक श्रीनगर में सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल भी रहे। वह जम्मू-कश्मीर जोन में सीआरपीएफ के स्पेशल डायरेक्टर जनरल भी रहे। उन्हें पिछले वर्ष इंस्पेक्टर जनरल के रूप में बीएसएफ में भेजा गया, जहां वह बाद में महानिदेशक बने।

6 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी हुई, तो राजना सिंह ने उन्हें जम्मू जाने का आदेश दिया। सूत्रों ने बातया कि जम्मू पाठक से प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार बात की। मोदी ने उन्हें अपनी सेना का मनोबल बढ़ाने को कहा पाकको मुंहतोड़ जवाब देने को कहा।

ऐसा कम होता है ि प्रधानमंत्री महानिदेशक से सीधे बात करें, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्ष सलाहकार अजीत डोवाल ने पाठक से कई बार बात की।




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