शास्त्रों के अनुसार छठ व्रत की शुरूआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से हो जाती है। इस दिन छठ व्रत रखने वाले व्रती नदी या तालाब में स्नान करके सूर्य भगवान की पूजा करते हैं और छठ व्रत सफलता पूर्वक पूरा हो इसकी कामना करते हैं।
इसके बाद कद्दू और सरसों के साग की सब्जी खाकर व्रत आरंभ करते हैं। इसलिए इस दिन को नहाय खाय कहा जाता है। इस व्रत का आरंभ कद्दू और सरसों के साग से होता है इसका धार्मिक कारण यह है कि कद्दू और सरसों के साग को शुद्घ और सात्विक माना गया है।
जबकि वैज्ञानिक आधार यह है कि कद्दू सुपाच्य होता है। जिससे व्रती के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। जबकि सरसों का साग खाने का रिवाज इसलिए है क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है।
छठ व्रत में व्रती को काफी समय तक जल में खड़ा रहना पड़ता है इससे सर्दी जुकाम की परेशानी न हो इसलिए व्रती सरसों का साग खाते हैं।
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