विदेश में जमा काले धन को वापस लाने की दिशा में भारत
सरकार को एक बड़ी कामयाबी मिली है। स्विट्जरलैंड ने कहा है कि वह इस संबंध में भारत
के अनुरोध पर प्राथमिकता के आधार पर विचार कर उसे निश्चित समय सीमा के भीतर जानकारी
देगा।
कर के मसले पर भारत और स्विट्जरलैंड के अधिकारियों के बीच हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में यह बात कही गई है।
इसके साथ ही स्विस प्रशासन भारतीय पक्ष के अनुरोध पर बैंकिंग दस्तावेजों की प्रमाणिकता की पुष्टि करने में सहयोग और गैर बैंकिंग सूचनाएं भी उपलब्ध करवाएगा। बयान में कहा गया है कि भारत के अनुरोध पर निश्चित समय में सूचनाएं नहीं दे पाने की स्थिति में स्विस प्रशासन कारणों के बारे में भी बताएगा।
यह बैठक बर्न में राजस्व सचिव शक्तिकांत दास और उनके स्विस समकक्ष में हुई। स्विस सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों अधिकारियों ने विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कर और वित्तीय मुद्दों पर आगे भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई।
इसके साथ ही दोनों अधिकारियों ने प्रभावी कानूनी तंत्र के तहत कर संबंधी जालसाजी और धोखाधड़ी से निपटने के लिए अपने-अपने देशों की प्रतिबद्धता जताई। स्विट्जरलैंड के नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2013 तक स्विस बैंकों में भारतीयों के 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक जमा थे।
हाल तक स्विट्जरलैंड कर संबंधी सूचनाएं देने से इनकार करता रहा है। ऐसे में बुधवार की बैठक में बनी सहमति काफी अहम मानी जा रही है।
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