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जापान के फुकुशिमा और देश में ही हुए परमाणु हादसों से सीख लेते हुए सरकार ने परमाणु सुरक्षा परिषद के गठन की तैयारी की है। यह परिषद देश में चल रही परमाणु गतिविधियों पर नजर रखने के साथ ही सुरक्षा के मानक तय करेगी।
परिषद प्रधानमंत्री के नियंत्रण में काम करेगी। इसके लिए परमाणु सुरक्षा नियामक प्राधिकरण बिल का मसौदा तैयार किया गया है। सब कुछ ठीक रहा तो शीतकालीन सत्र में यह बिल सदन में पेश कर दिया जाएगा।
सरकारी
सूत्रों के अनुसार परिषद के गठन के लिए कैबिनेट नोट भी तैयार कर लिया गया है। परमाणु ऊर्जा विभाग इसे जल्द ही अंतर मंत्रालय विचार-विमर्श के लिए पेश करेगा। इसके साथ ही विभाग न्यूक्लियर सेफ्टी रेगुलटरी अथॉरिटी बिल (एनएसआरए), 2014 को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भी भेजेगा ताकि संसद में इसे पेश किया जा सके। जिसे जल्द ही अंतर मंत्रालय मीटिंग में विचार-विमर्श के लिए रखा जाएगा।
पहली बार नहीं लाया जा रहा प्रस्ताव
सरकार के भीतरी सूत्रों के अनुसार कैबिनेट नोट में
परमाणु सुरक्षा के लिए प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव रखा गया है, जो परमाणु विकिरण के
उपयोग को नियमित रखे और इससे बचाव पर भी ध्यान दे। प्रस्ताव के अनुसार सुरक्षा परिषद
परमाणु सुरक्षा के लिए बनने वाली नीतियों पर भी नजर रखेगी।
इसके अलावा आणविक ऊर्जा के विकास और उसके प्रयोग के साथ ही परमाणु और रेडियोधर्मी तत्वों के परिवहन, बिक्री के माध्यम से हस्तांतरण और आयात-निर्यात के साथ इसके निपटान का भी अधिकार भी एनएसआरए के तहत गठित होने वाले प्राधिकरण के पास होगा।
ऐसा नहीं है कि परमाणु सुरक्षा परिषद बनाने का प्रस्ताव पहली बार लाया जा रहा है। इससे पहले भी परमाणु ऊर्जा विभाग कैबिनेट में परमाणु सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव भेज चुका है, जिसे नकार दिया गया था। इस बार कई दिनों तक विचार-विमर्श करने के बाद यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके अलावा हाल के वर्षों में हुए परमाणु हादसों को देखते हुए परमाणु सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव तैयार किया गया है। हालांकि यह तभी कारगर सिद्ध होगा, जब यह बिल सदन में पास होने में सफल हो पाएगा।
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