Saturday, 25 October 2014

'गोडसे को गांधी की जगह नेहरू को मारना था'

नेहरू ने गांधी की पीठ में छुरा भोंका

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को आदर्श के तौर अपनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र में भाजपा के एक बड़े नेता के लिखे लेख पर विवाद खड़ा हो गया है।

केरल से प्रकाशित आरएसएस के मुखपत्र 'केसरी' में भाजपा नेता बी गोपालकृष्‍णन ने लिखा है, 'गांधी का हत्यारा नाथूराम गोडसे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से बेहतर शख्स था। गोडसे ने तो गांधी पर गोलियां दागने से पहले 'सम्मान से सर झुकाया' था, जबकि नेहरू ने गांधी की पीठ में छुरा भोंका था।'

लेख में कहा गया है, 'अगर इतिहास के विद्यार्थी यह सोचते हैं कि गोडसे ने गलत व्यक्ति को अपना निशाना बनाया, तो वे गलत नहीं सोचते। भारत के बंटवारे के लिए पूरी तरह नेहरू जिम्मेदार थे। यानी गोडसे को गांधी नहीं, नेहरू का 'वध' करना चाहिए था'

गोपालकृष्‍णन हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में केरल की चालाकुड़ी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उन्होंने कहा कि इस लेख के जरिए वे इतिहास के उन 'झूठे तथ्यों' को बेनकाब करना चाहते हैं, जो असल में अंग्रेजों ने ही लिखे थे।



दो भागों की सीरीज में लिखे गए इस लेख में गोपालकृष्‍णन ने कहा है कि देश के बंटवारे, गांधी की हत्या और तमाम समस्याओं के लिए नेहरू की स्वार्थ की राजनीति जिम्मदार है। गांधी की हत्या में आरएसएस का कोई हाथ नहीं था। यह नेहरू की ही योजना थी कि गांधी की हत्या का आरोप एक हिंदू संगठन पर लगाया जाए।

उन्होंने लिखा, 'नेहरू का उद्देश्य अपने आप को दुनिया के बड़े नेताओं की कतार में शामिल करना था, इसीलिए वे गांधी के मुकाबले विंसटन चर्चिल, फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट के ज्यादा करीब थे।'

गोपालकृष्‍णन ने लिखा, 'नेहरू एक पाखंडी और बेहद स्वार्थी व्यक्ति थे। वे कांग्रेस में अपने अलावा किसी और नेता को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते थे, लेकिन गांधी की बढ़ती लोकप्रियता और कांग्रेस में उनके प्रभाव के कारण नेहरू उनसे जलने लगे थे। नेहरू कभी गांधी के शिष्य नहीं रहे।



गोपालकृष्‍णन ने कहा कि देश के बंटवारे का फैसला अंग्रेजों का था और नेहरू को इसकी जानकारी 1942 में मिल गई थी। नेहरू ने भारत की आजादी के लिए हुई चर्चा से भी गांधी को दूर रखा था।


भाजपा नेता ने अपने लेख में लिखा है कि जवाहर लाल नेहरू अंग्रेजों के चहेते थे और हमारे देश के इतिहास को अंग्रेजों ने कुछ इस तरह से लिखा हैकि उसमें नेहरू को काफी महिमामंडित किया गया है।

गोपालकृष्ण्न के मुताबिक अब समय  गया है कि देश के इतिहास को दोबारा सही तथ्यों के साथ लिखा जाए और कुछ 'झूठे महान नेताओंको इतिहास के पन्नों से बाहर किया जाए। उन्होंने कहा कि हम सरकार से 
इतिहास को दोबारा लिखने की मांग करेंगे।







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