Thursday, 16 October 2014

विज्ञान के अनुसार , शरीर में कहाँ रहती है आत्मा

शरीर में यहां निवास करती है आत्मा

आत्मा के बारे में साधारणतया माना जाता है कि वह शरीर के हर हिस्से एवं रेशे रेशे में रहती है। यानी जहां भी संवेदना होता है, वहीं उसकी उपस्थिति महसूस की जीती है।

इस मान्यता को यथार्थ और तथ्य की कसौटी पर कसें तो बाल और नाखून जैसे हिस्सों में उसका वास नहीं होना चाहिए। लेकिन शास्त्रों की मानें तो आत्मा मूलत: मस्तिष्क में निवास करती है।

योग की भाषा में उस केंद्र को सहस्रार चक्र या ब्रह्मरंध्र कहते हैं। अह विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करने लगा हैं। उसके अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा या चेतना शरीर के उस भाग से निकल कर बाहरी जगत में फैल जाती है।

शास्त्र की भाषा में दूसरे लोकों की यात्रा पर निकल जाती है। मृत्यु का करीब से अनुभव करने वाले या क्लिनिकलि तौर पर मृत करार दिए गए किंतु फिर जी उठे लोगों के अनुभवों के आधार पर यह सिद्धांत काफी चर्चा में है।




शरीर की तंत्रिका प्रणाली से व्याप्त क्वांटम जब अपनी जगह छोड़ने लगता है तो मृत्यु जैसा अनुभव होता है। इस सिद्धांत या निष्कर्ष का आधार यह है मस्तिष्क में क्वांटम कंप्यूटर के लिए चेतना एक प्रोग्राम की तरह काम करती है।

यह चेतना मृत्यु के बाद भी ब्रह्मांड में परिव्याप्त रहती है। 'डेली मेल' की खबर के अनुसार एरिजोना विश्वविद्यालय में एनेस्थिसियोलॉजी एवं मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एमरेटस एवं चेतना अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉ. स्टुवर्ट हेमेराफ ने इस सिद्धांत को आगे बढ़ाया है।

उनसे पहले ब्रिटिश मनोविज्ञानी सर रोजर पेनरोस इस दिशा में काम कर चुके हैं। प्रयोग और शोध अध्ययनों के अनुसार आत्मा का मूल स्थान मस्तिष्क की कोशिकाओं के अंदर बने ढांचों में होता है जिसे माइक्रोटयूबुल्स कहते हैं।

वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को आर्वेक्स्ट्रेड ऑब्जेक्टिव रिडक्शन (आर्च-ओर) का नाम दिया है। इस सिद्धांत के अनुसार हमारी आत्मा मस्तिष्क में न्यूरॉन के बीच होने वाले संबंध से कहीं व्यापक है।



शरीर में इस तरह रहती है आत्मा

दरअसल, इसका निर्माण उन्हीं तंतुओं से हुआ जिससे ब्रह्मांड बना था। यह आत्मा काल के जन्म से ही व्याप्त थी। इस निष्कर्ष के बाद भारतीय दर्शन या योग अध्यात्म की इस मान्यता को काफी बल मिला है कि चेतना या आत्मा विश्व ब्रह्मांड का ही एक अभिन्न अंग है।


शरीर में उसकी एक किरण या स्फुल्लिंग मात्र रहता है। मृत्यु जैसे पट परिवर्तन में माइक्रोटयूबुल्स अपनी क्वांटम अवस्था गंवा देते हैं, लेकिन इसके अंदर के अनुभव नष्ट नहीं होते। आत्मा केवल शरीर छोड़ती है और ब्रह्मांड में विलीन हो जाती है।

हेमराफ का कहना है हृदय काम करना बंद हो सकता है, रक्त का प्रवाह रुक जाता है, माइक्रोटयूबुल्स अपनी क्वांटम अवस्था गंवा देते हैं, लेकिन वहां मौजूद क्वांटम सूचनाएं नष्ट नहीं होतीं।

वे व्यापक ब्रह्मांड में वितरित एवं विलीन हो जाती हैं। यदि रोगी ठीक नहीं हो पाता और उसकी मृत्यु हो जाती है तो क्वांटम सूचना शरीर के बाहर व्याप्त है।

धर्म परंपरा इस अऩुभव को स्मृति और संस्कार के साथ शरीर के बाहर रहने और उपयुक्त स्थितियों का इंतजार करना बताते हैं। दूसरे शब्दों में आत्मा पुनर्जन्म की तैयारी करने लगती है।

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