Tuesday, 14 October 2014

कांग्रेस का खुलासा , मोदी फिर 'चैंपियन'

नहीं दिखा रैलियों में तीखापन

हरियाणा और महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुआंधार प्रचार के बाद कांग्रेस को अपनी खराब स्थिति की रिपोर्ट मिल रही है। कांग्रेस की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षकों की ओर से दोनों राज्यों के प्रभारी महासचिवों को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी का प्रचार अभियान मोदी की रैलियों के सामने कमजोर साबित हुआ है।

मोदी के भाषणों और इसे लेकर मीडिया की तवज्जो की वजह से दोनों राज्यों में कांग्रेस सरकारों के खिलाफ लोगों के गुस्से को और हवा मिली है।

रिपोर्ट में सोनिया और राहुल की कम रैलियों से लेकर अन्य वरिष्ठ नेताओं का चुनाव प्रचार से दूरी बनाने को भी रिपोर्ट में पार्टी के लिए नकारात्मक बताया गया है।

सोनिया और राहुल को दोनों राज्यों में 20 रैलियां करनी थी। मगर दोनों मिलकर सिर्फ 17 रैलियां ही कर पाए। दूसरी तरफ मोदी ने दोनों राज्यों में 37 रैलियों में जनता से सीधा संवाद स्थापित किया। मोदी ने महाराष्ट्र में 27 तो हरियाणा में दस रैलियां की।




हरियाणा के प्रभारी कांग्रेस महासचिव शकील अहमद को सौंपी गई पर्यवेक्षक की रिपोर्ट में भाजपा के जमीनी प्रचार को भी काफी जीवंत कहा गया है।

रिपोर्ट में उदाहरण दिया गया है कि विजयदशमी यानी दशहरे के दिन प्रदेश भाजपा ने लगभग सभी विधानसभा सीटों में रावण के रूप में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मेघनाथ के रूप में पार्टी के उम्मीदवारों के पुतले फूंके।

महाराष्ट्र के प्रभारी कांग्रेस महासचिव मोहन प्रकाश को मिली रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी ही नहीं बल्कि अमित शाह की रैलियां भी काफी सफल रहीं। अमित शाह ने दोनों राज्यों में लगभग ढाई दर्जन रैलियां की।

उधर, हरियाणा में सोनिया ने सिर्फ तीन और राहुल ने चार रैलियां की। महाराष्ट्र में सोनिया ने चार रैलियां की तो राहुल ने दस रैलियां की।



दोनों राज्यों में दोनों की सिर्फ 17 रैलियां ही हुई जबकि दोनों की 20 रैलियां प्रस्तावित थी। वहीं मोदी ने महाराष्ट्र में 27 और हरियाणा में 10 रैलियों में शिरकत की। यानी कि सोनिया और राहुल पर मोदी फिर भारी पड़े।

पार्टी की मीडिया विभाग की रिपोर्ट भी कह रही है कि चार अक्तूबर के बाद से दोनों राज्यों के अखबारों के पहले पन्ने पर मोदी की रैलियों की खबरें प्रमुखता से छपी।

वहीं राहुल गांधी ने सात अक्तूबर यानी वोटिंग से मात्र 8 दिन पहले ही चुनाव प्रचार शुरू किया और उनकी रैलियों को मोदी के मुकाबले कम तवज्जो मिली।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सोनिया ने महाराष्ट्र की रैली में कहा था कि जो लोग चिल्लाते हैं, वह सच नहीं बोलते। यह बयान मीडिया में खासा चर्चित रहा। मगर इसके बाद प्रचार में तीखापन देखने को नहीं मिला।



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