अगर आप गुस्से और तनाव में हैं, तो तमाम तरह की महंगी थेरेपी की बजाय खुद को रिलैक्स करने के लिए रंगों का सहारा ले सकते हैं।
अमेरिका
के वूडब्रिज के एक रिटायर्ड सर्जन बर्नी सीगल के अनुसार ′कलर करने से अचेतन मन चैतन्य हो जाता है और हम किन कारणों से परेशान हैं, यह भी जाहिर हो जाता है।
डॉ. सीगल अपने कैंसर के मरीजों से जुड़ने के लिए रंगों का सहारा लेते थे। उनके कुछ मरीज काला और लाल रंग से कलर करते थे, जिसका मतलब होता है जहर। वो बताते हैं कि ऐसे मरीजों का हाथ थामे जाने की जरूरत होती थी।
तनाव भी दूर करे
वहीं कुछ मरीज फूलों और आशा के चिह्न बनाते, जो सकारात्मकता
की निशानी है। अपना हाल जानने के लिए महीने में कम से कम एक बार स्केचिंग जरूर करनी
चाहिए।
कई अध्ययनों में यह बात साबित हुई है कि चित्रकारी वयस्कों
का तनाव दूर करने में सहायक है। कलरिंग को रिलेक्सेशन तकनीक के तौर पर अपनाने वाले
पहले मनोवैज्ञानिक कार्ल जी जंग थे।
साइकोलॉजिस्ट ग्लोरिया मार्टिनेज अयाला का मानना है कि
स्केचिंग से हमारे मस्तिष्क के बहुत से हिस्से सक्रिय हो जाते हैं क्योंकि कलरिंग के
दौरान लॉजिक और क्रिएटिविटी दोनों की जरूरत पड़ती है।
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