Ø मालकंगनी (ज्योतिष्मती) उत्तम मेधावर्धक हैं | १ से १० बूँद मालकंगनी तेल बतासे पर डालकर खायें | ऊपर से गाय का दूध पियें | ४० दिन तक यह प्रयोग करने से ग्रहण व स्मृति शक्ति में लक्षणीय वृद्धि होती है | इन दिनों में उष्ण, तीखे, खट्टे पदार्थों का सेवन न करें | दूध व घी का उपयोग विशेष रूप से करें |
Ø बादाम बौद्धिक, शारीरिक शक्ति व नेत्रज्योति वर्धक हैं | रात को ४ बादाम पानी में भिगो दें | सुबह छिलके उतार के जैसे हाथ से चंदन घिसते हैं, इस तरह घिस के दूध में मिलाकर सेवन करें | इस प्रकार से घिसा हुआ १ बादाम १० बादाम की शक्ति देता है | बालकों के लिए १ से २ बादाम पर्याप्त हैं |
प्रतिदिन मोरारजी देसाई गिनकर सात काजू खाते थे | इससे अधिक बादाम या काजू खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं | इससे गुर्दे (किडनी) और यकृत (लीवर) कमजोर हो जाते हैं | बिना भिगोये अथवा बिना छिलके उतारे बादाम खाने से पाचनतंत्र पर अधिक जोर पड़ता है |
Ø काले तिल मस्तिष्क व शारीरिक दुर्बलता को दूर करते हैं | १० ग्राम काले तिल सुबह खूब चबा-चबाकर खायें | ऊपर से ठंडा पानी पियें | बाद में २ – ३ घंटे तक कुछ न खायें | इससे शरीर को खूब पोषण मिलेगा | दाँत व केश भी मजबूत बनेगें | (पित्त प्रकृति के लोग यह प्रयोग न करें )
Ø ५० – ५० ग्राम गुड और अजवायन को अच्छी तरह कूटकर ६ – ६ ग्राम की गोलियाँ बना लें | प्रात: सायं एक-एक गोली पानी के साथ लें | एक सप्ताह में ही शरीर पर फैले हुए शीतपित्त के लाल चकत्ते दूर हो जाते हैं |
रात को ५० ग्राम देशी चने पानी में भिगो दें | सुबह उनमे हरा धनिया, पालक, गाजर, पत्तागोभी, मूली सब कच्चे ही काट के दाल दें | इसमें पिसी हुई काली मिर्च व सेंधा नमक मिलाकर नींबू निचोड़ दें | इस नाश्ते के रूप में खूब चबा-चबाकर खायें | दोपहर के भोजन के बाद पके हुए १ – २ केले खायें | यह प्रयोग पुरे शीतकाल में करने से शरीर पुष्ट, सुडौल व बलवान बनता है | रक्त की भी वृद्धि होती है |
एक चम्मच मक्खन, उतनी ही पिसी मिश्री व एक चुटकी पिसी हुई काली मिर्च को खूब मिलाकर चाट लें | ऊपर से कच्चे नारियल (अष्टमी को नारियल न खायें) के २ – ३ टुकड़े व थोड़ी –सी सौंफ खा लें | बाद में १ कप गर्म दूध पियें | इसे और पौष्टिक बनाने के लिए २ – ३ बादाम रात को पानी में भिगोकर सुबह चंदन की तरह घिस के मक्खन –मिश्री में मिलाकर लें |
No comments:
Post a Comment