गांवों
के विकास के रास्ते देश को अच्छी राजनीति की ओर ले जाने का मंत्र सांसदों को देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को महत्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएसजीवाई) का शुभारंभ किया।
पीएम ने कहा कि यह योजना अपनी सकारात्मक सोच के चलते गांवों में विकास की ललक को वायरल की तेजी से फैलाएगी। योजना के जरिए 2016 तक देश में विकास का मॉडल तैयार होने की विश्वास दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने सांसदों को खुले दिल से एक परिवार की तरह गांवों गोद लेने को कहा है।
इसके तहत हर सांसद पर वर्ष 2019 तक तीन गांवों में बुनियादी एवं संस्थागत ढांचा विकसित करने की जिम्मेदारी होगी।
विकास के तरीकों को लेकर चल रही बहस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि बहस का मुद्दा यह है कि विकास ऊपर से नीचे की ओर होना चाहिए या नीचे से ऊपर की ओर, लेकिन जो लोग काम में लगे हैं, उन्हें कहीं से तो शुरू करना होगा।
क्या सार्वजानिक भागीदारी में हम बदलाव ला सकते हैं ?
नीचे से ऊपर या ऊपर से नीचे विकास शुरू करने की
बहस अकादमिक जगत में चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि हम काम करना चाहते हैं। हम देखना
चाहते हैं कि क्या सार्वजनिक भागीदारी से हम बदलाव ला सकते हैं।
मैं यह दावा नहीं कर रहा हूं कि मैं अचानक स्थिति बदल दूंगा। यह योजना अंतिम नहीं
है। समय के साथ इसमें परिवर्तन और सुधार आएंगे। लोक नायक जयप्रकाश नारायण की जयंती
के अवसर पर योजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य
गांवों में रहने वाले लोगों को उन्नत बुनियादी सुविधाएं और बेहतर अवसर मुहैया
कराना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से सभी सरकारों ने ग्रामीण विकास के लिए
अपने-अपने तरीकों से काम किया है। समय के साथ होने वाले बदलावों के अनुरूप यह
प्रयास हमेशा चलता रहेगा। जयप्रकाश नारायण की नसीहत याद दिलाते हुए उन्होंने कहा,
‘यूं तो लोकतंत्र और राजनीति अविभाज्य हैं, लेकिन अक्सर खराब राजनीति के कारण
नुकसान होता है।’
पीएम ने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना की तीन अनूठी
विशेषताएं होनी चाहिए। यानी यह मांग पर आधारित हो, समाज द्वारा प्रेरित हो और इसमें
जनता की भागीदारी हो।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और राजनीति को अलग नहीं किया जा सकता है, लेकिन बुरी राजनीति से अक्सर नुकसान होता है। यह योजना अच्छी राजनीति की ओर बढ़ने की प्रेरणा देगी और सांसद मददगार और उत्प्रेरक की भूमिका निभाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना का उद्देश्य गांवों में रहने वाले लोगों को उन्नत बुनियादी सुविधाएं और बेहतर अवसर मुहैया कराना है। देश में सांसदों की संख्या लगभग 800 सांसद हैं (दोनों सदनों को मिलाकर)।
यदि हर सांसद 2019 से पहले तीन गांवों का विकास करता है, तो 2400 गांव विकसित हो जाएंगे।
अगर राज्य भी अपने विधायकों के लिए ऐसी योजना बनाते हैं तो इसमें छह से सात हजार गांव और जुड़ सकते हैं। यदि एक ब्लाक में एक गांव विकसित होता है तो इसका असर वायरल की तरह फैलेगा और विकास की ललक अन्य गांवों को भी आकर्षित करेगी।
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