(दुर्योधन के पिता धृतराष्ट्र का प्रतिकात्मक चित्र)
राने समय में इंसान की औसत उम्र थी सौ साल। किसी दुर्घटना में या युद्ध में मृत्यु ना हो तो हर व्यक्ति कम से कम सौ साल अवश्य जीवित रहता था। आज के समय में बहुत ही कम लोग सौ वर्ष की आयु तक जीवित रह पाते हैं। अधिकतर लोग 60 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते कई रोगों से पीड़ित हो जाते हैं और 60 वर्ष की आयु के बाद कुछ ही वर्षों में देह त्याग देते हैं।
शास्त्रों के अनुसार भगवान ने हर व्यक्ति की आयु सौ वर्ष निर्धारित की है। भगवान द्वारा इतनी आयु निर्धारित करने के बाद भी बहुत कम लोग इस उम्र तक पहुंच पाते हैं। ऐसा क्यों होता है, इस प्रश्न का उत्तर महाभारत में दिया गया है। महाभारत में बताया गया है कि कोई व्यक्ति किन कारणों से सौ वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर पाता है।
एक समय दुर्योधन के पिता धृतराष्ट्र ने विदुर से पूछा था कि जब भगवान ने सभी इंसानों की उम्र सौ वर्ष नियत की है तो कोई इंसान कम उम्र में कैसे मृत्यु को प्राप्त हो जाता है?
इस प्रश्न के उत्तर में विदुर ने जो जवाब दिया, वह आज के समय में भी बहुपयोगी है। उस समय विदुर द्वारा कही गईं बातें आज भी इंसान को लंबी उम्र तक जीवित रख सकती है। यदि आप भी लंबी आयु तक जीवित रहना चाहते हैं तो विदुर द्वारा बताई गई बातों का ध्यान हमेशा रखें।
जानिए किन कामों से होती है जल्दी मृत्यु...
ज्यादा
बोलना-
जो लोग व्यर्थ ही बोलते रहते हैं। बकवास करते रहते हैं। मौन धारण नहीं करते हैं, उनकी मृत्यु भी जल्दी हो जाती है। अधिक बोलने से हमें स्वस्थ रखने वाली शारीरिक ऊर्जा का नाश होता है। यदि हम समय-समय पर मौन धारण करें तो हमारी उम्र बढ़ सकती है। अन्यथा अधिक बोलने वाले लोग शारीरिक ऊर्जा की कमी के कारण लंबी उम्र तक जीवित नहीं रह पाते हैं।
अधिक अहंकार-
विदुर ने धृतराष्ट्र से कहा कि यदि कोई अत्यंत अहंकारी हो जाता है तो यह निश्चित हो जाता है कि वह सौ वर्षों तक जीवित नहीं रह सकता है। अहंकार व्यक्ति के पुण्यों को खत्म करता है और शारीरिक रूप से कमजोर बनाता है। व्यक्ति अहंकार के वश में अच्छे और बुरे की पहचान नहीं कर पाता है।
अधिक क्रोध करना-
हम सभी जानते हैं कि क्रोध इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है। क्रोध वश हम कई बार गलत काम कर देते हैं, जिनसे भविष्य में हानि उठानी पड़ती है। क्रोध के कारण हमारी शारीरिक ऊर्जा भी बहुत अधिक मात्र में खत्म होती है। जिससे व्यक्ति की उम्र में कमी आती है। अधिक क्रोध करने वाले लोग कम उम्र में ही रोगी हो जाते हैं और सौ वर्ष की उम्र से बहुत पहले ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
मित्रों
को धोखा देना-
जो लोग अपने घनिष्ट मित्रों को धोखा देते हैं, वे अवश्य ही किसी भयंकर मुसीबत में फंसते हैं और उस समय उनकी मदद करने वाला कोई नहीं होता है। जब कोई व्यक्ति एक बार किसी को धोखा देता है तो अन्य सभी लोग उस पर विश्वास करना बंद कर देते हैं। ऐसी परिस्थिति में जब विपरीत समय आता है और मित्रों की आवश्यकता होती है तो कोई मदद करने वाला नहीं होता है। विपरीत समय से मित्रों की मदद से ही निपटा जा सकता है, अन्यथा इस प्रकार की स्थितियां कभी-कभी मृत्यु तुल्य कष्ट प्रदान करती है।
मोह रखना-
जो लोग भौतिक सुख-सुविधाओं का मोह रखते हैं, शारीरिक श्रम नहीं करते हैं, स्वयं के शरीर को आलसी बना देते हैं, वे कम उम्र में ही रोगी होकर मृत्यु को प्राप्त होते हैं। हर रोज उचित शारीरिक श्रम करना हमें सेहतमंद बनाए रखता है। सुख-सुविधाओं का मोह छोड़कर स्वयं के शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए नियमित रूप से कुछ न कुछ शारीरिक क्रियाएं करते रहना चाहिए।
स्वार्थी होना-
जो लोग स्वार्थी होते हैं, सिर्फ स्वयं के स्वार्थों की पूर्ति के लिए ही कर्म करते हैं, वे भी अधिक उम्र तक जीवित नहीं रह पाते हैं। ऐसे लोग मानसिक विकृति से ग्रसित हो जाते हैं। अत्यधिक स्वार्थी स्वभाव व्यक्ति को समय-समय पर मृत्यु के समान कष्ट प्रदान करता है।
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