तस्वीरें चौथ माता मंदिर राजस्थान की हैं
करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। वैसे एक साल में मुख्य रूप से चार चौथ के व्रत किए जाते हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा प्रचलित करवा चौथ का व्रत है। इसे अधिकांश सुहागिन स्त्रियां करती हैं। चौथ व्रत में माता चौथ की आराधना की जाती है और उनसे सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। इस साल 11 अक्टूबर को करवा चौथ है। सुहागिन के इस खास त्योहार के मौकेे पर हम आपको दर्शन करवाने जा रहे हैं। देश के सबसे प्रसिद्ध और बड़े चौथ माता मंदिर के.....
चौथ माता मंदिर -चौथ माता मंदिर सवाई माधोपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की स्थापना 1451 में तत्कालीन शासक भीम सिंह द्वारा की गई थी। 1463 में मंदिर मार्ग पर बिजल की छतरी और तालाब का निर्माण कराया गया। इस मंदिर में दर्शन के लिए राजस्थान से ही नहीं अन्य राज्यों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र के दौरान यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों का विशेष महत्व है। करीब एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान चौथ माता जन-जन की आस्था का केन्द्र है।
कैसा है मंदिर- शहर से 35 किमी दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर राजस्थान के शहर के आस-पास का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। मंदिर सुंदर हरे वातावरण और घास के मैदान के बीच स्थित है। सफेद संगमरमर के पत्थर से खूबसूरती से स्मारक की संरचना तैयार की गई है। दीवारों और छत पर जटिल शिलालेख के साथ यह वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली के लक्षणों को प्रकट करता है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए, 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। महाराजा भीम सिंह, जो पंचाल के पास के गांव से चौथ माता की मूर्ति लाए थे, उनके द्वारा यह मंदिर बना वाया गया था। देवी की मूर्ति के अलावा, मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियों भी दिखाई पड़ती हैं।
मंदिर के बारे में विस्तृत जानकारी ...
दरबार देख हो जाते हैं अभिभूत-
सोलहवीं शताब्दी में यह कस्बा चौहान राज वंश से मुक्त होकर राठौड वंश के अधीन आ गया। इस वंश के शासकों में भी माता के प्रति गहरी आस्था थी। तेज सिंह राठौड़ ने 1671 में मुख्य मंदिर के दक्षिण में एक तिबारा बनाया।
हाड़ौती क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य से पहले चौथमाता को निमंत्रण देते हैं। प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। माता के नाम पर कोटा में चौथमाता बाजार भी है। कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख-समृद्धि की कामना देकर चौथमाता के दर्शन को आता है। मान्यता है कि माता सभी की पुकार सुनती है।
हाड़ौती क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य से पहले चौथमाता को निमंत्रण देते हैं। प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। माता के नाम पर कोटा में चौथमाता बाजार भी है। कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख-समृद्धि की कामना देकर चौथमाता के दर्शन को आता है। मान्यता है कि माता सभी की पुकार सुनती है।
हर स्थिति में है अनुकूल-कटरा स्थित वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर माता मंदिर तक एक हजार फीट लंबा मार्ग छायादार बनाया गया है। इससे बारिश व गर्मी के दौरान मंदिर तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को परेशानी नहीं होती।
कैसे पहुंचे मंदिर- हवाई, वायु या रेलमार्ग से जयपुर पहुंचकर। वहां से किसी भी वाहन द्वारा सड़क मार्ग से चौथ का बलवारा पहुंचा जा सकता है।
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