साल
2013 में 5 नवंबर को दोपहर ठीक 2 बजकर 38 मिनट पर श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने वाले भारत के मगंलयान ने अपना मिशन कामयाबी के साथ पूरा कर लिया। इसके साथ ही भारत पहली ही बार में इस सफलता को हासिल करने वाला एकलौता देश बन गया। इंसान के मंगलकारी भविष्य और मंगल पर जीवन की तलाश में 25 से 40 करोड़ किलोमीटर की सीमा लांघ कर मंगलयान अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है।
भारत के लिए क्यों खास है मिशन मंगल
टाटा नैनो के आकार और 1350 किलोग्राम वजन के इस मंगलयान को इसरो के कुछ वैज्ञानिक इसी नाम से बुलाते हैं। तकरीबन 25 करोड़ से 40 करोड़ किलोमीटर तक का सफर तय कर मंगल ग्रह तक पंहुचने वाला भारत का मंगलयान, मंगल के वातावरण का करीव से अध्यनन करेगा। जीवन की संभावनाएं तलाशेगा और जीवन के अवशेष तलाशेगा।
- श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से 5 नवंबर को इसरो के भरोसेमंद पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानि PSLV पर सवार होकर मंगल यान 5 सितंबर 2013 को मंगल ग्रह के लिए निकला था।
-करीब 40 मिनट की उड़ान के बाद इसके चारों रॉकेट बारी-बारी से चार चरणों में अलग हो गए। अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद यान का अंतिम चरण दो हिस्सों में बंट गया। और मंगलयान बाहर निकल गया। इसके बाद 6 बार मंगलयान के रॉकेटों को दाग कर उसे पृथ्वी की विशेष कक्षा में लाया गया।
-20-25 दिन मंगलयान पृथ्वी के चक्कर काटने के बाद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से आजाद होकर मंगलयान तेजी से डीप स्पेस की तरफ बढ़ गया। इधर धरती पर मंगलयान के एक एक मूमेंट की जानकारी रख रहे वैज्ञानिकों ने मंगल यान की दिशा को मंगल ग्रह की तरफ मोड़ दिया। इसके बाद मंगलयान ने कम से कम 25 करोड़ किलोमीटर का सफर तय
-मंगल यान की सफलता के लिए धरती पर भी कई विशेष तैयारियां की गई हैं। मंगलयान पर नजर रखने और उसे निर्देश देने के लिए खास इंतजाम किए गए। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर पर एक अंतरिक्ष ट्रैकिंग स्टेशन बनाया गया है। इसके अलावा बैंगलूरु के पास बायलालू में इसरो का विशेष स्टेशन है जहां 32 फीट लंबे चौड़े बड़े डिश एंटेना के जरिए इसकी लगातार सैटेलाइट इमेज का अध्यनन किया गया जाता रहा है।
प्रशांत महासागर में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के दो जहाज SCI नालंदा और SCI यमुना समुद्र से इसकी उड़ान पर पूरी नजर रख रहे -हैं।
24 सितंबर की सुबह मंगल पर हुआ मंगल
-पृथ्वी की कक्षा से निकलने के बाद करीब 9 महीने का सफर तय कर चुका मंगलयान
24 सितंबर 2014 को सुबह 4 बजकर 17 मिनिट पर मंगल गृह की कक्षा तक पहुंचा। जहां उसके रॉकेट फायर कर उसे मंगल की उस अंडाकार कक्षा की तरफ ले जाया गया जहां मंगल की धरती और यान के बीच का फासला कम से कम रहे। यह फासला कम से कम 365 किलोमीटर और ज्यादा से ज्यादा 80,000 किलोमीटर तक रखा जा सकता है।
-मंगल की कक्षा में स्थापित हो जाने के बाद मंगलयान अगले 6 महीने तक मंगल के अबूझ रहस्यों को सुलझाने की कोशिश करेगा।
क्या है मंगल यान में खास
मंगलयान में भारत में ही बनाए गए पांच विशेष उपकरण हैं जो सभी सोलर पैनल से बनाई जाने वाली बिजली से चलेंगे।
-अपने मीथेन सेंसर की मदद से मंगलयान मंगल की सतह पर उतरे बगैर मंगल पर जीवन के संकेत तलाश करेगा। मीथेन सेंसर की मदद से ही मंगलयान मंगल के वातावरण और सतह में मीथेन की मौजूदगी का पता-लगाएगा। मंगल पर जीवन की निशानी तलाश करने वाले ये उपकरण भारतीय वैज्ञानिकों ने खास तौर पर डिजाइन किए हैं।
-मंगलयान पर 360 डिग्री की तस्वीरें खींचने वाले विशेष कैमरे भी लगे हैं। यान पर विशेष थर्मल सेंसर भी लगाए गए हैं जो मंगल ग्रह के ठंडे और गर्म हिस्सों की पहचान करेंगे और जानेंगे कि मंगल में मौसम का बदलाव कितनी तेजी से होता है।
-भारतीय वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि मंगलयान मंगलग्रह से जुड़ा कोई बड़ा राज खोल दे। मंगलयान अगर मंगल पर मीथेन की खोज कर ले तो इसे मंगल पर जीवन का पहला संकेत माना जा सकता है।
प्रक्षेपण से पहले आंध्रप्रदेश के श्री हरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर में रखा मंगल यान
प्रक्षेपण
के लिए लांच पैड पर लगाया जाता मंगल यान
प्रक्षेपण के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पीएसएलवी लांच व्हीकल पर तैयार मंगलयान
लांचिक
के दौरान मंगलयान, इसे 5 सितंबर 2013 को दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर लांच किया गया।
ग्राफिक्स के जरिए मंगल ग्रह तक पहुंचने के लिए दिखाया गया मंगल यान का परिक्रमा पथ।
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