








उपरोक्त संपूर्ण जानकारी डाo पद्माकर विष्णु वार्ताक द्वारा हमारे शाश्त्रों पर गहन शोध कर प्राप्त की गई है ।
तथा वे उपरोक्त पर प्रमाण सहित अनेकों पुस्तकें लिख चुके है
http://www.drpvvartak.com/
जब हमारे पूर्वज सम्पूर्ण ज्ञान पुस्तकों में समाविष्ट कर चुके थे तब विदेशी जाती अस्तित्व में ही नही थी । उस समय विदेशी धरती 1 किमी मोटी बरफ के निचे थी
--referred to as the
quaternary ice age.
डाo पद्माकर विष्णु वार्ताक द्वारा बनाई गई ग्रन्थ समय तालिका अवश्य देखें |
विभिन्न ग्रंथों की अनुमानित समय तालिका
इस महान कार्य के लिए हम उनका ह्रदय से धन्यवाद करते है |
भारतीय संस्कृति से सदेव राक्षसों को ईर्ष्या रही है : ऐसे किस्से हमें पुराणो आदि में मिलते रहते है । परन्तु आज हमें देखने को भी मिल रहे है | इससे पुराणों के वे किस्से स्व सिद्ध हो जाते है |
जब तक विदेशी और उनके एजेंट सत्ता में रहेंगे तब तक यही चलता रहेगा |
महान आचार्य चाणक्य ने एक बार कहा था की जब कभी कोई विदेशी व्यक्ति तुम्हारे देश अथवा राज्य पर शासन करने लगे तो सचेत हो जाओ अन्यथा उन देश की सभ्यता का पतन निश्चित है ।
हमारे ग्रन्थ रूपी ज्ञान के भंडार कई तो नष्ट किये जा चुके है, तक्षशिला तथा नालंदा विश्वविधालयों की समस्त पुस्तकें ईर्ष्या वश अग्नि की भेंट चढा दी गई तथा यवनों के आक्रमण के समय कई महीनो तक यवनों का नहाने का पानी पुस्तकों को चूल्हे में दे दे कर गर्म होता रहा |
एक बार एक अंगेज ने एक भारतीय से कहा : तुम लोगो को आता ही क्या ?
हर चीज तो हमारे देशों से इम्पोर्ट करते हो ।
भारतीय बोला : पहले तो तु हमारा शून्य, बाइनरी संख्या, परमाणु बम का आईडिया, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का आईडिया,विमान शास्त्र, योग विज्ञान और भारत से लुटा हुआ सेंकडों जहाज स्वर्ण, रजत , हीरे आदि लौटा और धोकर आ
।
फिर बात कर ।
मित्रों, भाइयों व
बहिनों अब समय आ
गया है हमें भी वेदों की और कूच करनी चाहिए |
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