अमेरिका
को थैंक यू कहने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पांच दिवसीय यात्रा बुधवार को समेट दी। मोदी देश वापस लौट चुके हैं। दिल्ली हवाई अड्डे पर जब उनका विशेष विमान लगभग साढ़े नौ बजे पहुंचा तो आगवानी के लिए कैबिनट मंत्री वहां मौजूद थे।
प्रधानमंत्री के तौर पर इस पहली अमेरिकी दौरे को उन्होंने बेहद सफल और संतोषजनक करार दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा के दौरान मोदी ओबामा से निजी तालमेल बिठाने और काफी हद तक भारत अमेरिकी रिश्तों को सुधारने में कामयाब रहे। हालांकि दोनों देशों के बीच तल्खी पैदा करने वाले टैक्स, कारोबार, सिविल न्यूक्लियर समेत कुछ मुद्दों का सुलझना अभी बाकी है।
मोदी और ओबामा के बीच दो दौर की बातचीत के बाद जारी साझा बयान में भारत और अमेरिका के बीच व्यापक सामरिक और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की ख्वाहिश जताई गई है। दोनों के साझा मूल्यों का जिक्र किया गया है और आपसी रिश्तों को गहरा और मजबूत करने की दिलचस्पी दिखाई गई है।
अपनी इस यात्रा के दौरान 64 वर्षीय मोदी ने अपनी ऊर्जा से अमेरीकियों को बेहद प्रभावित किया और भारत में बदलाव लाने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। इसके लिए उन्होंने अमेरिका से निवेश और सहयोग की मांग की। मोदी चाहते हैं अमेरिका भारत में रेल नेटवर्क और रक्षा मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश करे।
अमेरिकी
कंपनियों से भारत में कारोबार की अपील
मोदी ने दिग्गज अमेरिकी कंपनियों से भारत में कारोबार शुरू करने और इसे बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें मौके का फायदा उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह भारत में अपना मौका चूकने न दें। यह वजह है कि भारत लौटने से एक दिन पहले यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल में उन्होंने साफ ऐलान किया कि अगले छह महीने में वह भारत में हर वो बदलाव कर देंगे, जिससे यहां बिजनेस करना आसान हो जाएगा। काउंसिल ने कहा है कि उसके सदस्य अगले तीन साल में भारत में 2,50,000 करोड़ रुपये का निवेश कर सकते हैं।
मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग को दस साल तक बढ़ाने का फैसला किया गया। इसके तहत समुद्र में सुरक्षा के लिए सहयोग बढ़ाना शामिल है। हाई टेक्नोलॉजी स्पेस और हेल्थ सेक्टर में भी सहयोग की प्रतिबद्धता काफी अहम साबित होगा।
मोदी का वादा
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल में मोदी ने साफ ऐलान किया कि अगले छह महीने में वह भारत में हर वो बदलाव कर देंगे, जिससे यहां बिजनेस करना आसान हो जाएगा।
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल का इरादा
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल ने कहा है कि इसके सदस्य अगले तीन साल में भारत में 2,50,000 करोड़ रुपये का निवेश कर सकते हैं।
कांग्रेस ने मोदी की अमेरिकी यात्रा को बताया निराशाजनक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा की तारीफों और आलोचनाओं के फेर में फंसा कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पार्टी की विपक्ष की भूमिका को जीवंत करने की जद्दोजहद में जुटा है।
मंगलवार
को कांग्रेस के कुछ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की तारीफ की थी तो कुछ नेताओं ने इसकी आलोचना की थी। मगर बुधवार को पार्टी की ओर से अपना रुख स्पष्ट करने की कोशिश की गई। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा को लेकर जितना धूम धड़ाका हुआ था, उसके बदले में जो नतीजे आए हैं, वे निराशाजनक हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जब आप इसके नतीजे पर गौर करें, यह बिल्कुल निराशाजनक है। इस बहुचर्चित दौरे की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं रही। उन्होंने कहा कि ऐसा माहौल तैयार किया गया कि आम आदमी को लगे कि देश में मानो सच में अच्छे दिन आ गए हैं और अब दुनिया बदल जाएगी। बड़े-बड़े दावे किए गए कि अमेरिका और भारत में बड़े समझौते होंगे। शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिका से रक्षा समझौतों और आतंकवाद को लेकर हुई वार्ता में कोई नई बात नहीं थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका रणनीतिक साझेदार हैं। यह नई बात नहीं है। इसको लेकर उम्मीदें थीं। अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु सहयोग पर 2008 में संधि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में की गई थी। गौरतलब है कि कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, शशि थरूर ने मोदी की अमेरिका यात्रा को देश के लिए अच्छा संकेत माना था। इसे लेकर पार्टी में कई नेता असहज हो गए थे।
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