Monday, 6 October 2014

शरद पूर्णिमा को चन्द्रग्रहण, कैसा रहेगा आप पर प्रभाव

चन्द्रग्रहण का सूतक

चन्द्रग्रहण का सूतक

इस साल 8 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा की रात चांद की खूबसूरती को ग्रहण लगने जा रहा है। इससे अगस्त तारे के उदय और पूर्णचन्द्र की किरणों में नहाई हुई शरद पूर्णिमा इस बार देश के कई हिस्सों में खंडित होगी। रेवती नक्षत्र एवं मीन राशि में पडने वाला चंद्रमा शुरु से ही खंडित रहेगा।

ग्रहण के दिन सूर्योदय के साथ ही सूतक आरम्भ हो जाएगा जो रात्रि 03 बजकर 04 मिनट 20 सेकेण्ड तक रहेगा। ग्रहण काल की अवधि में शयन, स्त्री प्रसंग, उबटन लगाना वर्जित माना गया है।

गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार सामान्य दिनों की तुलना में चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म, जप, ध्यान, दान आदि लाख गुना और सूर्यग्रहणमें दस लाख गुना फलदायी होता है इसलिए ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अवश्य करें, ऐसा करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।



कहां दिखेगा ग्रहण कब?

कहां दिखेगा ग्रहण कब?

इसदिन ग्रहण का स्पर्श दोपहर 2 बजकर 50 मिनट से आरंभ होगा। ग्रहण का मध्यकाल दोपहर बाद 04 बजकर 30 मिनट तक रहेगा और मोक्ष का समय शाम 06 बजकर 04 मिनट 20 सेकेण्ड होगा।

राजधानी दिल्ली में चन्द्र ग्रहण का आरम्भ शायं चन्द्रोदय के साथ ही 06 बजकर 01 मिनट और  51 सेकेण्ड और समाप्ति भी शायं 6 बजकर 04 मिनट और 20 सेकेण्ड पर होगी। दिल्ली में यह ग्रहण केवल 02 मिनट 29 सेकेंड ही देखेगा।

भारत के पश्चिमी प्रदेशों पश्चिमी राजस्थान, सम्पूर्ण, गुजरात, कर्नाटक, केरल के पश्चिमी भाग, पश्चिमी मध्य प्रदेश एवं पश्चिमी महाराष्ट्र में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा क्योंकि यहाँ ग्रहण समाप्ति की अवधि के बाद चंद्रोदय होग। हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, में ग्रस्तोदय ही रहेगा।



आपकी राशि पर ग्रहण का प्रभाव

स्कंद पुराण के अनुसार ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। इसलिए इस समय भोजन आदि से बचना चाहिए।

यह चन्द्रग्रहण बृषभ, सिंह, धनु, और मकर राशि वालों के उत्तम तथा मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, बृश्चिक और कुम्भ राशि वालों के लिए मध्यम रहेगा।

मीन राशि और की रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के लिए कष्टप्रद रहेगा। ग्रहण सम्बन्धी सभी दोषों से बचने के लिए ' नमो भगवते वासुदेवाय' महामंत्र का जप श्रेष्ठ रहेगा।

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