आज दिन के 2 बजकर 50 मिनट से 6 बजकर 4 मिनट तक चन्द्रग्रहण लग रहा है। यह इस साल का पहला दृश्य खग्रास चंद्रग्रहण है। चंद्रग्रहण का कारण विज्ञान यह मानता है कि जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंग्रहण लगता है।
लेकिन ज्योतिषशास्त्र में इसकी अपनी मान्यता है जो ग्रहण का कारण राहु केतु को मानता है। शास्त्रों में बताया गया है कि ग्रहण का समय सिद्घियां और मनोकामना पूरी करने के लिए बहुत ही उत्तम समय होता है।
इसलिए ग्रहण के समय खाने-पीने या विपरीत लिंग के व्यक्तियों के साथ मौज मस्ती करने की बजाय अपनी मनोकामना पूरी करने में लगाएं तो आपका भला हो सकता है।
स्त्री
पुरुष नहीं करें ग्रहण के समय यह काम
शास्त्रों में ग्रहण के समय स्त्री पुरुषों के लिए कई निमय बताए गए हैं। इनमें सबसे पहला नियम यह है कि स्त्री पुरुष को ग्रहण की अवधि में रति क्रिया यानी शारीरिक संबंध और प्रेमालाप से बचना चाहिए। इस दौरान काम वासना को मन से दूर रखकर ईश्वर का ध्यान चिंतन करना शुभ होता है। जो स्त्री पुरुष रति क्रिया करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद नर्क की यातना भोगनी पड़ती है।
ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों के संदर्भ में शास्त्रों में काफी नियम बताए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण की अवधि में गर्भवती स्त्रियों को घर में ही रहना चाहिए, क्योंकि इसका बुरा प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है।
ग्रहण के समय गर्भवती स्त्री को कैंची, चाकू या किसी धारदार वस्तु से कोई चीज काटने से बचना चाहिए। सिलाई का काम भी इस समय करना ठीक नहीं होता। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर पर जन्म से ही कटे और सिले का निशान आ जाता है।
मनोकामना पूरी करने के लिए क्या करें ग्रहण के समय
1 शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय गायों को चारा, पक्षियों को अन्न और जरुरतमंदों को वस्त्र एवं अन्य जरुरी सामान देने से अन्य समय में किए गए दान से कई गुणा अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इस दान का वर्तमान जीवन से लेकर अगले जन्म तक शुभ फल मिलता है। यह शुभ फल आपकी आयु, स्वास्थ्य, धन और सुख के रुप में प्राप्त होता है।
2 शास्त्रों में यह बताया गया है कि ग्रहण आरंभ होने से पहले स्नान करके शुद्घ वस्त्र पहनें और ग्रहण की अवधि में जिस मंत्र को सिद्घ करना होगा उसका मन ही मन जप करें। इस समय बोलकर मंत्रों का जप नहीं करना चाहिए।
3 ग्रहण के बाद जिस मंत्र का जप किया है उस मंत्र का जप करते हुए हवन करना चाहिए। इसके बाद किसी जरुरतमंद या ब्रह्मण को भोजन करवाएं।
4 ग्रहण काल में ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करने से ग्रहण का कुप्रभाव दूर होगा।
5 अगर आप कोई रत्न या रुद्राक्ष धारण करना चाह रहे हैं तो ग्रहण के समय इसे भगवान की मूर्ति के सामने रखकर उस रत्न से स्वामी का मंत्र जप करें। ग्रहण समाप्त होने के बाद इस रत्न को धारण करने पर रत्न आपको जल्दी लाभ देने शुरु कर देगा। अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आप यह उपाय कर सकते हैं।
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