Saturday, 4 October 2014

हनुमानजी की पूजा से शनिदेव के कोप का सामना नहीं करना पड़ता है।


कई लोगों के मन यह जिज्ञासा रहती है कि हनुमानजी की पूजा से शनि के दोष क्यों दूर होते हैं।
हनुमानजी और शनिदेव से जुड़े कई प्रसंग शास्त्रों में बताए गए हैं।

इन्हीं प्रसंगों में इस प्रश्न का उत्तर है कि हनुमान जी की पूजा से शनि क्यों प्रसन्न होते हैं।
एक ऐसा ही प्रसंग है, जिसमे हनुमानजी के सामने शनिदेव स्त्री बन गए थे।
इस कथा का प्रमाण गुजरात में भावनगर के सारंगपुर में स्थित है।
यहां हनुमानजी का मंदिर है जो कि सैकड़ों साल पुराना है।
इस मंदिर में कष्टभंजन हनुमानजी विराजमान है।
कष्टभंजन हनुमानजी सोने के सिंहासन पर
विराजमान हैं और उन्हें महाराजाधिराज के नाम से भी जाना जाता है।
यह मंदिर बहुत चमत्कारी है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।



यदि कुंडली में शनि दोष हो तो वह भी कष्टभंजन के दर्शन से दूर हो जाता है।
इस मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा बहुत ही आकर्षक है।
इस मूर्ति की खास बात यह है कि यहां हनुमान जी के पैरों में स्त्री रूप में शनिदेव स्थित हैं।
जैसा की हम सभी जानते हैं कि हनुमानजी स्त्रियों के प्रति विशेष आदर और सम्मान का भाव रखते हैं।

ऐसे में उनके चरणों में किसी स्त्री का होना आश्यर्च की बात है।
सारंगपुर में कष्टभंजन हनुमानजी के मंदिर का भवन काफी विशाल है।
यह किसी किले के समान दिखाई देता है।
मंदिर की सुंदरता और भव्यता देखते ही बनती है।
हनुमानजी की प्रतिमा के आसपास वानर सेना दिखाई देती है और पैरों में स्त्री रूप में शनिदेव भी स्थित हैं।
इस प्रतिमा के संबंध में एक कथा प्रचलित है।
शनिदेव को हनुमानजी के सामने स्त्री रूप क्यों लेना पड़ाइस संबंध में जो कथा प्रचलित हैवह इस प्रकार है...

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार एक समय शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था।
शनि के कोप से आम जनता भयंकर कष्टों का सामना कर रही थी।
ऐसे में लोगों ने हनुमानजी से प्रार्थना की कि वे शनिदेव के कोप को शांत करें।
बजरंग बली अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और उस समय श्रद्धालुओं की प्रार्थना सुनकर वे शनि पर क्रोधित हो गए।

जब शनिदेव को यह बात मालूम हुई कि हनुमान जी उन पर क्रोधित हैं और युद्ध करने के लिए उनकी ओर ही  रहे हैं तो वे बहुत भयभीत हो गए।
भयभीत शनिदेव ने हनुमानजी से बचने के लिए स्त्री रूप धारण कर लिया।
शनिदेव जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाते हैं।
हनुमानजी शनिदेव के सामने पहुंच गएशनि स्त्री रूप में थे।
तब शनि ने हनुमानजी के चरणों में गिरकर क्षमा याचना की और भक्तों पर से शनि का प्रकोप हटा लिया।

तभी से हनुमानजी के भक्तों पर शनिदेव की तिरछी नजर का प्रकोप नहीं होता है।

शनि दोषों से मुक्ति हेतु कष्टभंजन हनुमानजी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।

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