***भौंरी, मक्खी, मधुमक्खी के दंश के लिए .....
*तुलसी के पत्तों को नमक के साथ पीसकर लगाने से भौंरों के दंश की वेदना मिट जाती है।
*मधुमक्खी भौंरी के दंशप्रभावित स्थान पर गाय के गोबर का तीन दिन लेप करने से लाभ होता है।
*बगई ....बैल, कुत्ते अथवा घोड़े पर बैठने वाली बगई नामक पीली मक्खी यदि मनुष्य के कान में घुस जाये तो शुद्ध घी का हलुआ या सेवफल का टुकड़ा कान के आगे बाँधकर रखने से वह स्वतः निकल जाती है।
***सर्प दंश के लिए तपाये हुए लोहे से डंकवाले भाग को जला देने से नाग का प्राणघातक जहर भी उतर जाता है। सर्पदंश की जगह पर तुरंत चीरा करके विषयुक्त रक्त निकालकर पोटेशियम परमैंगनेट भर देने से जहर फैलना एवं चढ़ना बंद हो जाता है। साथ में मदनफल (मिंडल) का 1 तोला चूर्ण गरम या ठण्डे पानी में पिला देने से वमन होकर सर्पविष निकल जाता है। मिचाईकंद का टुकड़ा दो ग्राम मात्रा में घिसकर पिलाना तथा दंशस्थल पर लेप करना सर्पविष की अक्सीर दवा है।
* मेष राशि का सूर्य होने पर नीम के दो पत्तों के साथ एक मसूर का दाना चबाकर खा जाने से उस दिन से लेकर एक वर्ष तक साँप काटे तो उसका जहर नहीं चढ़ता।
साँप के काटने पर शीघ्र ही तुलसी का सेवन करने से जहर उतर जाता है एवं प्राणों की रक्षा होती है।
* जिस व्यक्ति को सर्प ने काटा हो उसे कड़वे नीम के पत्ते खिलायें। यदि पत्ते कड़वे न लगें तो समझें कि सर्प विष चढ़ा है। छः सशक्त व्यक्तियों को बुलाकर दो व्यक्ति मरीज के दो हाथ, दो व्यक्ति दो पैर एवं एक व्यक्ति पीछे बैठकर उसके सिर को पकड़े रखे। उसे सीधा सुला दें एवं इस प्रकार पकड़ें कि वह जरा भी हिल न सके।
इसके बाद पीपल के हरे चमकदार 20-25 पत्तों की डाली मँगवाकर उसके दो पत्ते लें। फ़िर ‘सुपर्णा पक्षपातेन भूमिं गच्छ महाविष।’ मंत्र जपते हुए पत्तों के डंठल को दूध निकलनेवाले सिरे से धीरे-धीरे मरीज के कानों में इस प्रकार डालें कि डंठल का उँगली के तीसरे हिस्से जितना भाग ही अंदर जाय अन्यथा कान के परदे को हानि पहुँच सकती है। जैसे ही डंठल का सिरा कान में डालेंगे, वह अंदर खिंचने लगेगा व मरीज पीडा से खूब चिल्लाने लगेगा, उठकर पत्तों को निकालने की कोशिश करेगा। सशक्त व्यक्ति उसे कसकर पकड़े रहें एवं हिलने न दें। डंठल को भी कसकर पकड़े रहें, खिंचने पर ज्यादा अंदर न जानें दे।
जब तक मरीज चिल्लाना बंद न कर दे तब तक दो-दो मिनट के अंतर से पत्ते बदलकर इसी प्रकार कान में डालते रहें। सारा जहर पत्तें खिंच लेंगे। धीरे-धीरे पूरा जहर उतर जायेगा तब मरीज शांत हो जायेगा। यदि डंठल डालने पर भी मरीज शांत रहे तो जहर उतर गया है ऐसा समझें।
जहर उतर जाने पर नमक खिलाने से खारा लगे तो समझें कि पूरा जहर उतर गया है। मरीज को राहत होने पर सौ से डेढ़ सौ ग्राम शुद्ध घी में 10-12 काली मिर्च पीसकर वह मिश्रण पिला दें एवं कानों में बिल्वादि तेल की बूँदे डाल दें ताकि कान न पकें। कम से कम 12 घण्टे तक मरीज को सोने न दें। उपयोग में आये पत्तों को या तो जला दें या जमीन में गाड़ दें क्यों कि उन्हें कोई जानवर खाये तो मर जायेगा।
इस प्रयोग के द्वारा बहुत मनुष्यों को मौत को मुख में से वापस लाया गया है। भले ही व्यक्ति बेहोश हो गया हो या नाक बैठ गयी हो, फिर भी जब तक जीवित हो तब तक यह प्रयोग चमत्कारिक रूप से काम करता है।
***जहर पी लेने पर....कितना भी खतरनाक विषपान किया हो, नीम का रस अधिक मात्रा में पिलाकर या घोड़ावज (वच) का चूर्ण या मदनफल का चूर्ण या मुलहठी का चूर्ण या कड़वी तुम्बी के गर्भ का चूर्ण एक तोला मात्रा में पिलाकर वमन (उलटी) कराने से लाभ होगा। जब तक नीला-नीला पित्त बाहर न निकले तब तक वमन कराते रहें।
***बिच्छू दंश के लिए पत्थर पर दो-चार बूँद पानी की डालकर उस पर निर्मली या इमली के बीज को घिसें। उस घिसे हुए पदार्थ को दर्दवाले स्थान पर लगायें एवं जहाँ बिच्छू ने डंक मारा हो वहाँ घिसा हुआ बीज चिपका दें। दो मिनट में ही बिच्छू का विष नष्ट हो जायेगा और रोता हुआ मनुष्य भी हँसने लगेगा।
* पोटेशियम परमैंगनेट एवं नींबू के फूल (साइट्रिक एसिड) को बारीक पीसकर अलग-अलग बॉटल में भरकर रखें। बिच्छू के डंक पर मूँग के दाने जितने नींबू के फूल का पाउडर एवंपोटेशियम परमैंगनेट का मूँग के दाने जितना पाउडर रखें। ऊपर से एक बूँद पानी भी डालें। थोड़ी देर में उभार आकर विष उतर जायेगा। यह अदभुत दवा है।
*कान खजूरा के लिए आकड़े का दूध लगाने से कान खजूरे का दंश मिटता है।
* नमक का पानी सहने योग्य गर्म करके कान में डालने से कानखजूरा मर जाता है।
* यदि कानखजूरा शरीर पर चिपक गया हो तो उसके ऊपर सरसों का तेल डालने से वह मर जाता है या आँच देने से छूट जाता है।
***स्थावर विष.....
*नीलाथोथा.....गेहूँ के आटे में खूब घी डालकर एवं शक्कर मिलाकर हलुआ बनाकर खिला देने से नीले थोथे के जहर का असर नहीं होता।
*तेजाब (Acid)...पानी में चूना घोलकर दो-तीन बार कपड़छन करके अथवा चूने का निथारा हुआ पानी 40 तोला पिलाने से तेजाब का खराब प्रभाव नहीं पड़ता।
***स्थावर-जंगम विष....
*चौलाई के 20 से 50 मि.ली. रस पिलाने से अथवा उसकी जड़ की 5 से 10 ग्राम चटनी में आधा से 2 ग्राम काली मिर्च डालकर खिलाने से अथवा रोगी को चौलाई की सब्जी खिलाने से सब प्रकार के स्थावर-जंगम विष दूर होते हैं।
***जंगम विष....
*थूहर (थोर)...
* ठण्डे पानी में मिश्री या शक्कर मिलाकर पिलावें व लगावें।
* इमली के पत्तों के घिसकर लेप करें।
***धतूरे का विष....
* तिल का 20 से 50 मि.ली. तेल 50 से 200 मि.ली. गर्म पानी में मिलाकर पिलायें।
* दूध में मिश्री डालकर पिलायें।
* मनुष्य ने जितनी मात्रा में धतूरे के बीज, फूल अथवा पत्ते खाये हो उतनी ही मात्रा में कपास के बीज, फूल या पत्ते पीसकर पिलाने से लाभ होता है।
***भाँग का विष....
*दही खिलाने से लाभ होता है।
***अफीम का विष ...
* दो रूपये भार(20 ग्राम) शक्कर एवं उतना ही घी गर्म करके पिलायें।
* सुहागे का पावलीभार (2.5 ग्राम) कपड़छन चूर्ण खिलायें।
***तमाकू (तम्बाकू)....
* तमाकू चढ़ने पर प्याज का 5 से 20 मि.ली. रस पिलाने से लाभ होता है।
* अफीम, कुचला, धतूरा, तमाकू आदि से किसी भी प्रकार का जहर खा लेने पर तुलसी के पत्तों के 10 से 40 मि.ली. रस में 5 से 20 ग्राम घी मिलाकर खाने से लाभ होता है।
***जमालघोटा.....
200 ग्राम बकरी के दूध मे उतना ही ठण्डा पानी मिलाकर उसमें 50 ग्राम शक्कर मिलाकर पिलाने से जमालघोटे के कारण होते दस्त बंद हो जाते हैं।
***लूता (ब्लस्टर-जिसकी पेशाब से फफोले हो जाते हैं) का विष....
* नींबू, घास और हल्दी को पानी के साथ पीसकर लगाने से लूता का विष नष्ट हो जाता है।
* जीरे को पानी में पीसकर लगाने से लाभ होता है।
***कुत्ते का विष....
* आकड़े के दूध, गुड़ एवं तेल का लेप करने से पागल कुत्ते के काटने का जहर नहीं चढ़ेगा।
* खरखोड़ी (केक्टसनुमा बिना काँटेवाली वनस्पति) का दूध रोटी पर लगाकर खिलाने से या कड़वी तुम्बी का गर्भ पानी में घोलकर पिलाने से वमन-विरेचन होकर पागल कुत्ते के काटने से आनेवाला पागलपन मिट जाता है।
***दीमक........
*काले जीरे को कपड़े अथवा पुस्तकों के बीच में रखने से अथवा चंदन की लकड़ी को अलमारी में रखने से दीमक नहीं लगते।
*चींटी-चींटे, काक्रोच आदिः लहसुन के चूर्ण की पोटली खिड़की पर रखने से काक्रोच आदि जन्तु दूर होते हैं।
*खटमल, मच्छर आदि जंतु तुलसी की सुगंध सहन नहीं कर सकते।
.....http://upchaaraurpryog120.blogspot.in/
* Add these
remedies for poison stinger .....!
Bunri ***,
fly, bee to bite .....
* Bumblebees
by applying grinding with basil leaves salt dissolves the pain of the bite.
* Bee
Dnshprbavit place of Bunri coated with cow dung to benefit from three days.
* Bgi ....
bull, dog or horse sitting on a yellow fly called the Bgi be entered into the
man's ear so the ear piece of pure ghee ahead of the pack pudding or placing
apples out, he automatically is offered.
Tpaye for
snakebite *** Dnkwale part of the iron to burn off the snake poison is lethal.
By incision immediately taking the place of snakebite Visyukt blood poisoning
from potassium permanganate and climb over the stops. With Madanfl (Mindl) of
hot or cold water 1 cup of powdered heads spew from the Srpvis slips. Two-gram
piece of Michaikand Giskr amounts of feed and Srpvis coat on Dnshsthl Aksir
medicine.
* When Aries
sun neem leaves with two to go eat a lentil nut chewing snake bites a year from
that day, so it does not draw the poison.
Snake bite poisoning from consumption of basil
goes off shortly and saves lives.
* The person
bitten by a snake Kilayen her bitter neem leaves. When the leaves start to
understand that snake venom has gained not bitter. Six two-person patient
empower individuals summoned two arms, two legs and two person sit behind a man
holding his head lay. Hold direct sedate him and thus he could not move at all.
People then put the green glossy leaves 20-25
Mँgwakr take two cards.फ़िर 'सुपर्णा पक्षपातेन भूमिं गच्छ महाविष।' मंत्र जपते हुए पत्तों के डंठल को दूध निकलनेवाले सिरे से धीरे-धीरे मरीज के कानों में इस प्रकार डालें कि डंठल का उँगली के तीसरे हिस्से जितना भाग ही अंदर जाय अन्यथा कान के परदे को हानि पहुँच सकती 's. As soon as the tip of the ear will stalk, it will be
pulled in a lot of pain and the patient would shout, get up and try to remove
the leaves. Strong man hold him tight and do not move. Hold tightly to the
stalk, not inside gravitate more to learn.
जब तक मरीज चिल्लाना बंद न कर दे तब तक दो-दो मिनट के अंतर से पत्ते बदलकर इसी प्रकार कान में डालते रहें। Patten will pull all the poison. When completed it will
slowly poison the patient will calm down. If the stalk is off putting poison
this way, if the patient calm.
Saline salt
feeding poison began to go off then descend understand that poison is complete.मरीज को राहत होने पर सौ से डेढ़ सौ ग्राम शुद्ध घी में 10-12 काली मिर्च पीसकर वह मिश्रण पिला दें एवं कानों में बिल्वादि तेल की बूँदे डाल दें ताकि कान न पकें। Do not sleep less than 12 hours
until the patient. Cards came into use either burn or burry it in the ground
because they eat no animal will die.
The use by the very men have been brought back
from death in the face. Even if one person is unconscious or nose down, yet
miraculously survive when using it works.
Taking
poison P *** .... how did poisioning also be dangerous, neem juice or Godhavj
administered at high doses (VCH) of powder or powder or Mulhti Madanfl bitter
gourd powder or a weighed quantity of the powder of pregnancy in giving
vomiting (vomiting) will benefit greatly. While not come out until a blue vomit
bile offer you.
Scorpion
Stinger *** on the stone, add a couple drops of water on it tamarind seeds
clearing nut or rub. Worn put in place and that the substance Drdwale where
scorpion stings the outworn seed paste killed there. The venom of the scorpion
in two minutes are lost and crying man would laugh.
* Potassium
permanganate and lemon flowers (citric acid) finely grinding, keep typing in
different bottles. The sting of a scorpion on the rash of green gram powder
lemon flower seeds as green gram powder Awanpoteshiam Place of permanganate.
Add a drop of water from above. Emergence toxin will come back in a little
while. It is a wonderful medicine.
Kjura ear to
ear Kjure bites by imposing figure decomposes milk.
* Bearable
warm salt water and putting in ear millepede dies.
* यदि कानखजूरा शरीर पर चिपक गया हो तो उसके ऊपर सरसों का तेल डालने से वह मर जाता है या आँच देने से छूट जाता है।
Real venom
..... ***
*
Neelathotha ..... plenty of wheat flour mixed with butter pudding powder and
sugar feeding by making superficial because of the blue to give the effect of
poison.
* Acid
(Acid) ... dissolving in water two to three times Kpdcn lime or lime and acid
decanted water from 40 heads of feeding does not spoil the effect.
Real-movable
poison .... ***
* 20 to 50
ml of amaranthus 5 to 10 grams of the root to feed juice or sauce, add pepper
in half to 2 grams of Amaranth vegetable patient feeding or feeding off all
kinds are real-movable poison.
Movable
poison .... ***
* Euphorbia
(Thor) ...
* In cold
water mixed with sugar or sugar Pilaven and Lgaven.
* Add
tamarind paste Giskr leaves.
Poison ***
hare ....
* 20 to 50
ml of sesame Oil 50 to 200 ml Pilayen mixed in hot water.
* Pilayen putting sugar in milk.
* Man of the
hare and the volume seeds, flowers or leaves are eaten the same amount of
cotton seeds, flowers or leaves would benefit from grinding feed.
*** Hemp
poisoning ....
* Benefit of
yogurt feeding.
Of opium
poison *** ...
* Two rupees
weight (20 grams) of sugar and ghee and Pilayen equally.
* Suhage the
Pavlibar (2.5 g) powder Kilayen Kpdcn.
Tmaku ***
(tobacco) ....
* Tmaku
climb 5 to 20 ml of onion Benefit from feed juice.
* Opium,
aconite, datura, etc. Any poison Tmaku take 10 to 40 ml of basil leaves 5 to 20
grams of juice mixed with ghee would benefit from eating.
Croton .....
***
200 grams of
goat milk contains 50 grams of sugar mixed together equally cold water causes
diarrhea Jmalgote to stop feeding.
Luta ***
(Blstr-which become blisters pee) poisoning ....
* Lemon
grass and turmeric by grinding with water and the toxin is destroyed by
applying Luta.
* Jeera
benefit from putting in water by grinding.
*** Dog
poison ....
* Figures
milk, molasses and oil to coat, not dictated by the poison of rabid dog bites.
* खरखोड़ी (केक्टसनुमा बिना काँटेवाली वनस्पति) का दूध रोटी पर लगाकर खिलाने से या कड़वी तुम्बी का गर्भ पानी में घोलकर पिलाने से वमन-विरेचन होकर पागल कुत्ते के काटने से आनेवाला पागलपन मिट जाता है।
Termite
........ ***
* In the
middle of caraway keeping clothes or books or sandal wood termites do not keep
in the closet.
*
Ant-Chinte, Kakroc Adiः bundle of garlic powder on the window are far from keeping animals Kakroc
etc..
* Bedbugs,
mosquitoes etc. The animals can not tolerate the aroma of basil.
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