दूसरी अहम बात ये हुई है कि व्हाइट हाउस और नरेंद्र मोदी के बीच वीजा के मुद्दे पर एक खाई पैदा हो गई थी। लेकिन मोदी इसे पूरी तरह से पलटने में कामयाब रहे।
मोदी अमेरिकी नेतृत्व के साथ व्यक्तिगत रिश्तों को विकसित करने में कामयाब रहे। रात्रि के भोजन के बाद जो बैठकें हुईं, उसमें भारत-अमेरिकी मिशन को आगे बढ़ाने की बात हुई।
हालांकि
संयुक्त घोषणा पत्र में बहुत नई बातें नहीं हैं। 2012 में या 2013 में भारत-अमेरिका के बीच में जो बातें एजेंडे के तौर पर थीं, उन्हीं को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
बनी हुई है असहमतियां
हालांकि
भारत और अमेरिका के बीच जिन मुद्दों पर असहमति थी, उन मुद्दों पर कोई बदलाव नहीं आया है। भारत और अमेरिका के बीच सिविल न्यूक्लियर डील और इंटरनेशनल प्रापर्टी राइट्स और पेटेंट को लेकर मतभेद है।
इन दोनों मुद्दों पर संयुक्त घोषणा पत्र में ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप और भविष्य में बातचीत करने की बात कही गई है, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं दिख रहा है।
ऐसे में मुझे लगता है कि दोनों पक्षों ने तय कर लिया है कि इन मुद्दों पर अभी काम करने की जरूरत है, साथ में दूसरी दिशाओं में हम आगे बढ़ने की कोशिश करें तो सफलता प्राप्त हो।
दोनों नेताओं ने इस नजरिए से आगे बढ़ने की कोशिश की है।
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