Sunday 21 September 2014

मंगल की कक्षा में पहुंचने को तैयार मंगलयान

मंगल यान का निर्णायक समय

देश के पहले मंगलयान के मंगल (लाल ग्रह) की कक्षा में पहुंचने की घड़ी नजदीक गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक देश के इस सपने को पूरा करने में जीजान से जुटे हुए हैं।

भारतीय उपग्रह मंगलयान को मंगल की कक्षा में 24 सितंबर की सुबह स्थापित किया जाएगा। इससे पहले 22 सितंबर को मिशन की सबसे कठिन चुनौती से पार पाने के लिए इसरो में जोरशोर से तैयारी चल रही है।

इस दिन मंगलयान के 440 न्यूटन इंजन को 300 दिन बाद चालू किया जाएगा। इसी इंजन पर मिशन की सफलता-असफलता निर्भर करती है। इसके लिए यान में कमांड्स अपलोड किए जा चुके हैं और उसे अलर्ट मोड में डाल दिया गया है।

इसरो के उच्चाधिकारी के अनुसार, मंगलयान 22 सितंबर की सुबह 9:14 बजे मंगल के परिमंडल में प्रवेश करेगा। उसी दिन दोपहर 2:30 बजे मंगलयान के मुख्य इंजन यानी 440 न्यूटन तरल एपोगी मोटर (एलएएम) को फिर से चालू किया जाएगा और उसके साथ 22 न्यूटन वाले सभी आठों इंजन 3.968 सेकेंड (लगभग 4 सेकेंड) तक फायर किए जाएंगे।


440 न्यूटन इंजन को शुरू करेंगे वैज्ञानिक

440 न्यूटन इंजन को शुरू करेंगे वैज्ञानिक

इससे यान की गति में 2.142 मीटर प्रति सेकेंड की मामूली कमी आएगी। यह मंगलयान का चौथा मार्ग सुधार होगा। अगर इंजन चालू हो गया और लैम फायर करने में कामयाबी मिली तो 24 सितंबर को इंजन के चालू होने और यान को मंगल की कक्षा में स्थापित करने की सफलता पक्की हो जाएगी।

देश के पहले मंगलयान को 5 नवंबर 2013 को पीएसएलवी के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से छोड़ा गया था। 66.60 करोड़ किमी लंबी यात्रा पर निकला यान 1 दिसंबर 2013 को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकला था।

इसरो का कहना है कि अगर मंगलवार को इंजन को चालू करने में कोई दिक्कत आती है तो उसके पास प्लान बी भी है। इसके तहत 8 इंजनों को अधिक ईंधन खपत के लिए लंबी अवधि के लिए फायर किया जाएगा और मंगल की कक्षा में आने की कोशिश की जाएगी।

24 सितंबर को निर्णायक घड़ी

24 सितंबर को निर्णायक घड़ी

मंगलयान को मंगल की कक्षा में स्थापित करने की निर्णायक घड़ी 24 सितंबर की सुबह होगी। उस वक्त यान की गति 4.4 किमी प्रति सेकेंड से घटकर 22.1 किमी प्रति सेकेंड होगी।

यान की गति को कम करने के लिए इस दिन इंजन को 24 मिनट के लिए फायर किया जाएगा और इसे मंगल की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।

सफलता पर चौथा देश होगा भारत
अगर 450 करोड़ की लागत वाला मंगलयान मंगल की कक्षा में स्थापित हो गया तो यह कामयाबी हासिल करने वाला इसरो चौथी अंतरिक्ष एजेंसी होगी।

इससे पहले यूरोप की यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए), अमेरिका की नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और रूस की रोस्कोसमोस एजेंसिया सफल रही हैं।

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