Friday 5 September 2014

आयुर्वेदिक विधि से बने हलवे के गुण-----

Photo: आयुर्वेदिक विधि से बने हलवे के गुण-----
- जरा सोचिए कि आपको माइग्रेन दूर भगाने के लिए दवा के रूप में गर्मा-गरम हलवा दिया जाए तो कितना अच्छा हो। बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के आयुर्वेद विंग की ओपीडी में मरीजों को हलवा खिलाकर पुष्ट भी कर दिया गया है।
- वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य प्रो.के एन द्विवेदी ने अपनी ओपीडी में माइग्रेन के मरीजों को सामान्य आटे, सूजी व बेसन का हलवा खाने की सलाह दी, वह आज तनाव व माइग्रेन मुक्त हो गए हैं। शर्त सिर्फ इतनी है कि हलवे को आयुर्वेदिक नियमों से लेना होगा।
- चरक संहिता में वातरोग यानी न्यूरो वेस्कुलर डिसआर्डर के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें सिरदर्द और तनाव का भी जिक्र है। इसकी रोकथाम के लिए ‘मधुर स्निग्ध वातशामक’ का सूत्र दिया गया है। इसके अनुसार मीठे और चिकने पकवानों के सेवन का प्रावधान है।
- हलवे को सूर्योदय के पहले उठकर मुंह धोकर पकाते हुए तुरंत गर्मा-गरम खाना चाहिए।
- गर्म रहने पर हलवे में टाइरामीन नामक तत्व अधिक नहीं होता। यह ठंडे होने पर बढ़ता है जो माइग्रेन का कारक है।
- आटा, सूजी और बेसन का हलवा लाभकारी है। - ओपीडी में आने वाले औसतन दस माइग्रेन के मरीजों को इस विधि से हलवा खाने को कहा। एक वर्ष में लगभग 500 लोगों ने इसे अपनाया, फलस्वरूप उनका सिरदर्द, उलझन, अवसाद और तनाव समाप्त हो गया है।
- माइग्रेन के मरीजों को अनियमित दिनचर्या, बासी भोजन, जंकफूड, चाइनीज फूड, चॉकलेट, सोया सॉस से भी बचना चाहिए। माइग्रेन होने पर प्रकाश, ध्वनि और महक से अचानक सिरदर्द होने लगता है और दिमाग की नसों में फैलाव होता है। यह बहुत घातक दशा होती है।
- मधुमेह रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिये।
- सूजी पाचन तंत्र के लिए भी अच्छी होती है।
- थोड़ा मोटा पिसा गेंहू का आटा भी अच्छा होता है।
- हलवे में जहां तक हो सके गाय के घी का उपयोग करना चाहिए। वनस्पति घी का उपयोग बहुत नुकसान करता है।
- हलवे में सफ़ेद शकर के स्थान पर गुड या ब्राउन शकर का उपयोग बेहतर है।
- हलवा बनाते समय अगर भाव सात्विक हो और भगवान का नामस्मरण किया जाए तो ये तुरंत लाभकारी होता है और स्वाद भी अनोखा होता है।
- हलवे के ऊपर ठंडा पानी बिलकुल नहीं पीना चाहिए। अगर लगे तो कोई गर्म पेय या गरम पानी पीना चाहिए।
- हलवा पचने में बहुत हल्का होता है , इसलिए इसे सर्जरी के बाद , प्रसव के बाद , कमजोरी में , बिमारी से उबरने में , और कम वजन वाले लोगों को भी दिया जा सकता है।
- इसमें केसर , इलायची और थोड़े से सूखे मेवों का प्रयोग किया जा सकता है।
- देशी घी में बना हलवा त्रिदोषों का संतुलन करता है और हमें स्वस्थ बनाता है।


- जरा सोचिए कि आपको माइग्रेन दूर भगाने के लिए दवा के रूप में गर्मा-गरम हलवा दिया जाए तो कितना अच्छा हो। बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के आयुर्वेद विंग की ओपीडी में मरीजों को हलवा खिलाकर पुष्ट भी कर दिया गया है।

- वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य प्रो.के एन द्विवेदी ने अपनी ओपीडी में माइग्रेन के मरीजों को सामान्य आटे, सूजी बेसन का हलवा खाने की सलाह दी, वह आज तनाव माइग्रेन मुक्त हो गए हैं। शर्त सिर्फ इतनी है कि हलवे को आयुर्वेदिक नियमों से लेना होगा।

- चरक संहिता में वातरोग यानी न्यूरो वेस्कुलर डिसआर्डर के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें सिरदर्द और तनाव का भी जिक्र है। इसकी रोकथाम के लिएमधुर स्निग्ध वातशामकका सूत्र दिया गया है। इसके अनुसार मीठे और चिकने पकवानों के सेवन का प्रावधान है।

- हलवे को सूर्योदय के पहले उठकर मुंह धोकर पकाते हुए तुरंत गर्मा-गरम खाना चाहिए।

- गर्म रहने पर हलवे में टाइरामीन नामक तत्व अधिक नहीं होता। यह ठंडे होने पर बढ़ता है जो माइग्रेन का कारक है।

- आटा, सूजी और बेसन का हलवा लाभकारी है। - ओपीडी में आने वाले औसतन दस माइग्रेन के मरीजों को इस विधि से हलवा खाने को कहा। एक वर्ष में लगभग 500 लोगों ने इसे अपनाया, फलस्वरूप उनका सिरदर्द, उलझन, अवसाद और तनाव समाप्त हो गया है।

- माइग्रेन के मरीजों को अनियमित दिनचर्या, बासी भोजन, जंकफूड, चाइनीज फूड, चॉकलेट, सोया सॉस से भी बचना चाहिए। माइग्रेन होने पर प्रकाश, ध्वनि और महक से अचानक सिरदर्द होने लगता है और दिमाग की नसों में फैलाव होता है। यह बहुत घातक दशा होती है।

- मधुमेह रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिये।

- सूजी पाचन तंत्र के लिए भी अच्छी होती है।

- थोड़ा मोटा पिसा गेंहू का आटा भी अच्छा होता है।

- हलवे में जहां तक हो सके गाय के घी का उपयोग करना चाहिए। वनस्पति घी का उपयोग बहुत नुकसान करता है।

- हलवे में सफ़ेद शकर के स्थान पर गुड या ब्राउन शकर का उपयोग बेहतर है।

- हलवा बनाते समय अगर भाव सात्विक हो और भगवान का नामस्मरण किया जाए तो ये तुरंत लाभकारी होता है और स्वाद भी अनोखा होता है।

- हलवे के ऊपर ठंडा पानी बिलकुल नहीं पीना चाहिए। अगर लगे तो कोई गर्म पेय या गरम पानी पीना चाहिए।

- हलवा पचने में बहुत हल्का होता है , इसलिए इसे सर्जरी के बाद , प्रसव के बाद , कमजोरी में , बिमारी से उबरने में , और कम वजन वाले लोगों को भी दिया जा सकता है।

- इसमें केसर , इलायची और थोड़े से सूखे मेवों का प्रयोग किया जा सकता है।


- देशी घी में बना हलवा त्रिदोषों का संतुलन करता है और हमें स्वस्थ बनाता है।

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