Thursday 18 September 2014

शिव जी को नहीं चढ़ाएं यह फूल

भगवान शिव नहीं पसंद है यह फूल

भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए आप उन्हें भांग-धतूरा, और कई तरह के फूल चढ़ाते होंगे। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव को सफेद रंग का फूल अति प्रिय है। लेकिन सफेद रंग के सभी फूल भगवान भोलेनाथ को पसंद नहीं है।

अगर आप अनजाने में यह फूल भगवान भोलेनाथ को चढ़ा रहे हैं तो यह समझ लीजिए आप भगवान भोलेनाथ आप पर प्रसन्न होने की बजाय नाराज भी सकते हैं। क्योंकि शिव पुराण में एक खास फूल को भगवान शिव की पूजा के लिए विर्जित बताया गया है।

इस फूल को भगवान शिव को अर्पित करने वाले पर भगवान शिव कृपा करने की बजाय नाराज हो जाते हैं। इसलिए भूलकर भी सफेद रंग का एक खास सुगंधित फूल भगवान भोलेनाथ को नहीं चढ़ाएं।


इसलिए शिव जी को नहीं चढ़ता है यह फूल

इसलिए शिव जी को नहीं चढ़ता है यह फूल

भगवान शिव को जो फूल अप्रिय है उस फूल का नाम है केतकी। इस फूल को भगवान शिव ने अपनी पूजा से त्याग कर दिया है। केतकी को भगवान शिव ने क्यों त्याग दिया इसका उत्तर शिव पुराण में बताया गया है।

शिव पुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु में विवाद हो गया कि दोनों कौन अधिक बड़े हैं। विवाद का फैसला करने के लिए भगवान शिव को न्यायकर्ता बनाया गया। भगवान शिव की माया से एक ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ। भगवान शिव ने कहा कि ब्रह्मा और विष्णु में से जो भी ज्योतिर्लिंग का आदि अंत बता देगा वही बड़े कहलाएंगे। ब्रह्मा जी ज्योतिर्लिंग को पकड़कर आदि पता करने नीचे की ओर चल पड़ और विष्णु भगवान ज्योतिर्लिंग का अंत पता करने ऊपर की ओर चल पड़े।

जब काफी चलने के बाद भी ज्योतिर्लिंग का आदि अंत का पता नहीं चला तो ब्रह्मा जी ने देखा कि एक केतकी फूल भी उनके साथ नीचे रहा है। ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को बहला फुसलाकर झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया और भगवान शिव के पास पहुंच गए। ब्रह्मा जी ने कहा कि मुझे ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्न हुआ है यह पता चल गया है।

लेकिन भगवान विष्णु ने कहा कि, नहीं मैं ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं जान पाया हूं। ब्रह्मा जी ने अपनी बात को सच साबित करने के लिए केतकी के फूल से गवाही दिलवाई। लेकिन भगवान शिव ब्रह्मा जी के झूठ को जान गए और ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया इसलिए ब्रह्मा पंचमुख से चार मुख वाले हो गए। केतकी फूल ने झूठ बोला था इसलिए भगवान शिव ने इसे अपनी पूजा से वर्जित कर दिया।

केतकी को है देवी सीता का भी शाप

केतकी को है देवी सीता का भी शाप

केतकी फूल को भगवान शिव ने झूठ बोलने के कारण अपनी पूजा से वर्जित कर दिया है तो देवी सीता ने भी केतकी फूल को झूठ बोलने के कारण शाप दिया है। देवी सीता के शाप के कारण केतकी फूल को देव पूजा शामिल नहीं किया गया है।

केतकी को देवी सीता शाप कैसे मिला इसकी कथा बड़ी ही रोचक है। एक बार भगवान राम लक्ष्मण और देवी सीता के साथ गया में दशरथ जी का श्राद्घ करने पहुंचे। जबतक भगवान राम श्राद्घ की सामग्री लेकर लौटे उससे पहले ही दशरथ जी पिण्डदान मांगने देवी सीता के पास पहुंचे। देवी सीता ने कौआ, फल्गु नदी, केतकी और गाय को साक्षी मानकर दशरथ जी को पिण्डदान दे दिया।

भगवान राम जी लौटकर आए तो देवी सीता ने दशरथ जी को पिण्डदान देने की बात बताई। भगवान राम ने जब पूछा कि कोई साक्षी है तो बताओ। देवी सीता ने कौआ, फल्गु नदी, केतकी और गाय को अपना साक्षी बातया। लेकिन जब भगवान राम ने इनसे पूछा कि क्या देवी सीता ने दशरथ जी को पिण्डदान दिया है तो गाय के अलावा सभी ने झूठ बोला। इससे नाराज होकर देवी सीता ने कौआ, फल्गु नदी और केतकी फूल को शाप दे दिया।


No comments:

Post a Comment