क्यों जात बिरादरी में शादी
करना चाहते हैं लोग
लड़का
हो या लड़की जब विवाह की बात आती है तो हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों के
लिए अपने ही जाति का जीवनसाथी मिले। इसके लिए वह रिश्तेदारों और दोस्तों से भी
योग्य लड़का और लड़की बताने की बात करते हैं।
लेकिन बच्चे अपनी पसंद से किसी अन्य जाति में शादी कर ले तो समाज
में कई प्रकार की बातें होने लगती हैं। माता-पिता भी बच्चों के इस कदम को गलत
मानने लगते हैं।
इसके पीछे कुछ धार्मिक मान्यताएं जो लोगों में अन्तर्जातीय विवाह के
प्रति गलत धारणा का कारण है।
संतान के जन्म से यूं जुड़ा
है अन्तर्जातीय विवाह का मामला
शास्त्रों
का ऐसा मत है कि जब कोई व्यक्ति अपनी जाति से बाहर किसी अन्य जाति की कन्या या
पुरुष से विवाह करता है तो वह धर्म विरुद्घ होता है। इस तरह के विवाह से जो संतान
उत्पन्न होती है वह वर्णसंकर संतान होती है।
वर्णसंकार संतान के नुकसान
शास्त्रों
में वर्णसंकार संतान को कुल के लिए अच्छा नहीं माना गया है। शास्त्र कहता है कि
वर्णसंकर संतान कुल का नाश करके नर्क में ले जाने का कारण बनती है।
वर्णसंकर संतान को पितरों का तर्पण, पिण्डदान करने का अधिकारी नहीं माना गया है क्योंकि इनके द्वारा किया गया तर्पण और पिण्डदान पितर स्वीकार नहीं करते।
वर्णसंकर संतान को पितरों का तर्पण, पिण्डदान करने का अधिकारी नहीं माना गया है क्योंकि इनके द्वारा किया गया तर्पण और पिण्डदान पितर स्वीकार नहीं करते।
वर्ण संकर संतान ने किया कुल
का नाश
वर्णसंकार
संतान के कारण वंश के नाश के संदर्भ में महाभारत का उदाहरण दिया जाता है कि
क्षत्रिय होकर भी महाराज शांतनु ने एक मछुआरे की कन्या सत्यवती से विवाह किया।
इसका परिणाम यह हुआ कि भीष्म कुंवारे रह गए।
सत्यवती के पुत्र अल्पायु में भी परलोक सिधार गए और महर्षि व्यास की कृपा से सत्यवती की पुत्र वधुओं ने पाण्डु और धृतराष्ट्र को जन्म दिया। इन दोनों के पुत्रों के बीच में हुए महाभारत से कुल का नाश हो गया।
सत्यवती के पुत्र अल्पायु में भी परलोक सिधार गए और महर्षि व्यास की कृपा से सत्यवती की पुत्र वधुओं ने पाण्डु और धृतराष्ट्र को जन्म दिया। इन दोनों के पुत्रों के बीच में हुए महाभारत से कुल का नाश हो गया।
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