भारत
को मूर्खो का देश समझने वाले आज के काले अंग्रेज़ अपने दादा दादी नाना नानी को
गंवार कहने वाले लोग आज अपने इस प्राचीन भारतीय विज्ञान को जानकार आश्चर्य चकित रह
जाएगे भारत मे विज्ञान कितना अनुपम था, विकसित था।
भारत मे 2000
से
ज्यादा वनस्पतियों से भोजन को रखने के लिए दोने पत्तल बनाई जाती है और इन दोने
पत्तल मे हर एक दोने पत्तल कई कई बीमारियो का इलाज है और औषधीय गुण रखता है आइये
हम कुछ जानकारी ले
आम तौर पर केले की पत्तियो मे खाना परोसा जाता है। प्राचीन ग्रंथों
मे केले की पत्तियोपर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के
लिये लाभदायक बताया गया है। आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले की पत्तियो
का यह प्रयोग होने लगा है।
* पलाश
के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता
है ।
* केले
के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता
है ।
* रक्त
की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी
माना जाता है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है। आम तौर
पर लाल फूलो वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है। इस
दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासिर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना
जाता है।
* जोडो
के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है। पुरानी
पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है।
* लकवा
(पैरालिसिस) होने पर अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलो को उपयोगी माना जाता है।
इसके अन्य लाभ :
1. सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में
दबा सकते है l
2. न पानी नष्ट होगा l
3. न ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा l
4. न केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे l
5. न केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी l
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