ब्रह्म
मुहूर्त का ही विशेष महत्व क्यों ?
रात्रि
के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का
विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से
चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय
सोना शास्त्र निषिद्ध है।
“ब्रह्ममुहूर्ते
या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।
(ब्रह्ममुहूर्त
की पुण्य का नाश करने वाली होती है।)
ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व
बताने के पीछे हमारे विद्वानों की वैज्ञानिक सोच निहित थी। वैज्ञानिक शोधों से
ज्ञात हुआ है कि ब्रह्म मुहुर्त में वायु मंडल प्रदूषण रहित होता है। इसी समय वायु
मंडल में ऑक्सीजन (प्राण वायु) की मात्रा सबसे अधिक (41 प्रतिशत) होती है, जो फेफड़ों की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है। शुद्ध
वायु मिलने से मन, मस्तिष्क
भी स्वस्थ रहता है।
आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म
मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है
कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के
लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते
हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। प्रमुख मंदिरों के
पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार व पूजन भी
ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस
शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।
आइये जाने ब्रह्ममुहूर्त का सही
वक्त व खास फायदे –
धार्मिक महत्व - व्यावहारिक रूप
से यह समय सुबह सूर्योदय से पहले चार या पांच बजे के बीच माना जाता है। किंतु
शास्त्रों में साफ बताया गया है कि रात के आखिरी प्रहर का तीसरा हिस्सा या चार
घड़ी तड़के ही ब्रह्ममुहूर्त होता है। मान्यता है कि इस वक्त जागकर इष्ट या भगवान
की पूजा, ध्यान और पवित्र कर्म करना बहुत शुभ होता है। क्योंकि इस
समय ज्ञान, विवेक, शांति, ताजगी, निरोग
और सुंदर शरीर, सुख और ऊर्जा के रूप में ईश्वर कृपा बरसाते हैं। भगवान
के स्मरण के बाद दही, घी, आईना, सफेद
सरसों, बैल, फूलमाला
के दर्शन भी इस काल में बहुत पुण्य देते हैं।
पौराणिक महत्व - वाल्मीकि रामायण
के मुताबिक माता सीता को ढूंढते हुए श्रीहनुमान ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका
पहुंचे। जहां उन्होंने वेद व यज्ञ के ज्ञाताओं के मंत्र उच्चारण की आवाज सुनी।
व्यावहारिक महत्व - व्यावहारिक
रूप से अच्छी सेहत, ताजगी
और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद
पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है।
वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन
और बुद्धि को पुष्ट करते हैं।
इस तरह युवा पीढ़ी शौक-मौज या
आलस्य के कारण देर तक सोने के बजाय इस खास वक्त का फायदा उठाकर बेहतर सेहत, सुख, शांति
और नतीजों को पा सकती हैं
आपके सभी पोस्ट जानकारी से भरे हुए है।
ReplyDeleteइतनी बिभिन्न बिषयों पर जानकारी देने के लिये आप बधाई के पात्र है।
आपके सभी पोस्ट जानकारी से भरे हुए है।
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