Tuesday, 3 June 2014

350 अंग्रेज सेनिको ने भारत में ईस्ट -इण्डिया कंपनी का साम्रज्य स्थापित किया।


1757 में बंगाल के अंदर सिराजु दोला का राज था ,सिराजु दोला के साथ व्यापार करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी का गवर्नर जनरल रॉबर्ट क्लाइव गया। तब -तक ईस्ट इण्डिया कंपनी भारत में केवल व्यपार करती थी उसका भारत के किसी भी राज्य पर कब्ज़ा या अधिकार नहीं था।

तो जब बंगाल के शासक सिराजु दोला के पास रॉबर्ट कलाइव व्यापार करने गया तो सिराजु दोला ने ईस्ट इण्डिया कंपनी के साथ किसी भी प्रकार का व्यापर करने से साफ़ मना कर दिया। इस पर रॉबर्ट कलाइव भड़क गया और उसने चेतावनी दी की अगर व्यापर करने की अनुमति नहीं दी गई तो वो युद्ध करेगा ,इस चेतावनी को सिराजु दोला ने कबूल किया और युद्ध का प्रस्ताव स्वीकार किया।

इसके बाद जो युद्ध हुआ उसका नाम आपने इतिहास में बहोत बार पढ़ा होगा ,"प्लासी " का युद्ध। सिरजु दोला और गर्वनर जनरल रॉबर्ट क्लाइव ने जहा युद्ध करने का निश्चय किया उसका नाम प्लासी था। लेकिन सचाई यह है की उस वक्त प्लासी में कोई युद्ध हुआ ही नहीं था।

जब प्लासी के मैदान में सिराजु डोला और रॉबर्ट कलाइव की सेनाये आमने -सामने आई तो रॉबर्ट कलाइव चौक गया क्यूंकि क्लाइव के पास 350 सैनिक थे और सिराजु डोला के पास 18 हजार। फिर भी लड़ाई लड़े बिना ही रॉबर्ट कलाइव जीत जाता है। रॉबर्ट कलाइव कूटनीत्ति का प्रयोग करता है और अपने एक दूत को सिराजु डोला की सेना के पास भेजता है दूत के साथ कलाइव एक संदेशा भेजता है ,सिराजु डोला की सेना की अगुवाई "मीर जफ़र " कर रहा था। रोबर्ट कलाइव ,मीर जाफ़र को प्रस्ताव देता है की अगर मीर जाफर उसके सामने युद्ध ना करे और आत्मसर्पण कर दे तो ईस्ट इण्डिया कंपनी जाफर को एक क्विंटल सोने के सिक्के देगी और साथ ही मीर जाफर को बंगाल का नया राजा बना दिया जायेगा। मीर जाफर इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है और ईस्ट इण्डिया कंपनी के 350 सेनिको के सामने मीर जाफर की अगुवाई वाले 18 हजार सैनिक आत्मसमर्पण कर देते है।

इस घटना को खुद रॉबर्ट कलाइव ने अपनी डायरी में लिखा है। रॉबर्ट लिखते है की "आत्मसमर्पण कराने के बाद शान से मै और मेरी सेना मुशिराबाद {तत्कालीन बंगाल की राजधानी ,जहा सिराजु डोला रहता था। } की तरफ बढ़ रहे थे। हमारे पीछे -पीछे मीर जाफर के 18 हजार सैनिक गुलामो की तरह सिर झुकाय चल रहे थे। रास्ते में हजारो लोग तालियों के साथ हमारा स्वागत कर रहे थे लेकिन किसी ने भी पत्थर मार कर हमारा विरोध नहीं किया ,शायद वो गुलाम बनने के लिए तैयार थे। इस तरह हम मुशिराबाद पहुंच जाते है और सिराजु डोला का सर कलम करते है।

उसके बाद कुछ दिनों के लिए मीर जाफर के भतीजे को बंगाल का शासक बना दिया जाता है फिर कुछ दिन बाद मीर जाफर को गद्दी सॉफ दी जाती है। रॉबर्ट क्लाइव षड़यंत्र करके मीर जाफर को मार देता है और खुद बंगाल का शासक बन जाता है

इस तरह सबसे पहली बार ईस्ट इण्डिया कंपनी का भारत के किसी राज्य पर अधिकार हो जाता है उसके बाद कंपनी अपनी ताकत बढाती जाती है। रोबर्ट कलाइव जान चूका था की भारत वाशियो को कैसे हराना है। उसे पता था की भारत के लोग गुलामी स्वीकार करने के लिए तैयार बैठे है।


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