Friday 17 January 2014

5 कारण, जिनकी वजह से आम आदमी पार्टी की हुई खराब हालत?

वादों पर खरा न उतरना
आम आदमी पार्टी ने चुनावी राजनीति में कूदते हुए भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा जैसी पार्टियों पर लोगों को धोखा देने और उनसे किए वादे पूरे न करने के आरोप  जोर शोर से लगाए थे। पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते कहा था कि कांग्रेस सरकार दिल्ली की लोगों को पीने का साफ पानी तक नहीं दे पा रही है। पार्टी ने एक कदम आगे बढ़कर दिल्ली के हर परिवार को 700 लीटर पानी हर महीने मुफ्त देने का वादा किया। इसके अलावा लोगों के बिजली के बिलों को आधा करने की बात कही गई थी। यही नहीं, अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी दिल्ली में सरकार बनाती है तो 29 दिसंबर को रामलीला मैदान में जन लोकपाल बिल पास किया जाएगा। यही नहीं, पार्टी ने महिला सुरक्षा बहुत ज्यादा अहमियत देते हुए दिल्ली में सरकार बनने पर उनकी सुरक्षा के लिए खास तौर पर महिला कमांडो दस्ते बनाने की बात कही थी। लेकिन 28 दिसंबर को शपथ लेने के बाद एक पखवारा से अधिक बीत जाने के बाद भी इनमें से कोई भी वादा 100 फीसदी पूरा नहीं हो पाया है। पानी के मामले में केजरीवाल सरकार ने हर घर को 666 लीटर पानी फ्री देने की बात कही है। वहीं, बिजली, जनलोकपाल, महिला कमांडो दस्ते, ठेके पर काम कर रहे लोगों को पक्का करने जैसे मुद्दों पर पार्टी ने अब तक कुछ खास नहीं किया है। 

भ्रष्टाचार को लेकर अपने कड़े स्टैंड से समझौता करते हुए दिखना
आम आदमी पार्टी की बुनियाद भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर रखी गई थी। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बनने से पहले तक 2 जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ गेम्स, कोयला घोटाले से लेकर आम आदमी की जिंदगी के भ्रष्टाचार को लेकर सरकारी सिस्टम पर सवाल जोर शोर से खड़े करते रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद और उनकी पार्टी ने शहर के तमाम ऑटो रिक्शों पर बैनर लगाकर शीला दीक्षित को 'भ्रष्ट' और खुद को ईमानदार बताया था। यही नहीं, अरविंद केजरीवाल कहते थे कि उनके पास कई पन्नों के सुबूत हैं जो शीला सरकार के भ्रष्टाचार को 'बेनकाब' करते हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए घोटाले में शीला दीक्षित पर निशाना साधते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि 7 दिनों के भीतर इस मामले में एफआईआर दर्ज हो। लेकिन इस बयान के कुछ साल बाद अब जब केजरीवाल ने शीला की ही पार्टी की मदद से दिल्ली में सरकार बनाई है तो वे विधानसभा के भीतर बीजेपी नेता डॉ. हर्षवर्धन से शीला सरकार के खिलाफ सुबूत मांग रहे हैं। यही नहीं, अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों ने जनलोकपाल आंदोलन के दौरान और उसके बाद कपिल सिब्बल की जमकर आलोचना की थी। लेकिन हाल ही में एक कार्यक्रम में केजरीवाल ने सिब्बल को गले लगा लिया और दोनों काफी देर तक मुस्कुराते रहे और बात करते रहे। इन बातों से अरविंद और उनकी पार्टी के भ्रष्टाचार के खिलाफ 'स्टैंड' पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं

जल्दबाजी में दिखना 
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतकर कांग्रेस की मदद से दिल्ली में सरकार बनाने के बाद से आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर बहुत जल्दी में दिख रही है। पार्टी ने अभी तक एक राज्य में कुल जमा एक महीना भी काम करके नहीं दिखाया है, लेकिन उससे पहले ही देश पर 'राज' करने की इच्छा जताने लगी है और उसके लिए जरूरी रणनीति बनाने और राजनीति करने में जुट गई है। आम आदमी पार्टी के कई आलोचक और सियासत के जानकार इसे 'आप' की बहुत बड़ी कमी मानते हैं। लोकसभा चुनाव के चक्कर में पड़ने की वजह से दिल्ली में सरकार चला रहे अरविंद और उनकी टीम का ध्यान जरूर बंट रहा है। इससे न सिर्फ आप के नेताओं में असंतोष फैलने लगा है बल्कि आम लोग भी अब नाराज होने लगे हैं। 

पार्टी का सांगठनिक ढांचा, संविधान, नीतियां अभी अस्पष्ट
आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं का देश के तमाम अहम सवालों पर रुख साफ नहीं है। यही वजह है कि कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पार्टी के नेता प्रशांत भूषण का बयान विवादों में घिर गया। आम आदमी पार्टी ने अभी तक देश की नक्सलवाद, अयोध्या, आतंकवाद, आरक्षण, खाप पंचायतों, निजीकरण जैसे मुद्दों पर अपनी राय साफ नहीं की है। पार्टी के संविधान को लेकर तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं है। यही नहीं, पार्टी का सांगठनिक ढांचा बहुत मजबूत और स्पष्ट नहीं है। पार्टी का सदस्य कौन होगा, किसको टिकट मिलेगा, कौन क्या बोलेगा और कौन क्या करेगा, इसे लेकर ही बहुत भ्रम दिखता है। आम आदमी पार्टी की कई समस्याओं की जड़ यही बातें हैं। 
दूसरों के लिए तय मानकों पर खुद खरे न उतरना 
आम आदमी पार्टी ने अस्तित्व में आने से लेकर आज तक दूसरी पार्टियों की जबर्दस्त आलोचना की है। आम आदमी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी जैसी पार्टियों पर भ्रष्ट होने, जनता का शोषण करने, सांप्रदायिकता फैलाने, जनता का भला न करने, निजी हितों के लिए काम करने जैसे गंभीर आरोप लगाती रही है। लेकिन खुद आम आदमी पार्टी पर जब ऐसे आरोप लगे तब पार्टी ने खुद को और अपने नेताओं को क्लीन चिट देने में देर नहीं की। दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती का उदाहरण सबसे ताजा है। बैंक से जुड़े एक घोटाले में वकील की भूमिका निभा चुके सोमनाथ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने उनका बचाव करते हुए कोर्ट के आदेश पर ही सवाल उठा दिया। यही नहीं, पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने मंचीय कवि के रूप में कई धर्मों का मखौल उड़ाया। लेकिन पार्टी ने उनके खिलाफ कोई एक्शन तो दूर उनके बयानों की निंदा तक नहीं की। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सामने आए स्टिंग ऑपरेशन में कुमार विश्वास और शाजिया इल्मी समेत पार्टी के कई नेताओं को कैमरे पर पैसे लेने के लिए तैयार होते हुए कथित तौर पर दिखाया गया था। लेकिन पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे तौर पर सभी आरोपों को खारिज कर दिया। बात यहीं तक सीमित नहीं रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने बरेली के एक मुस्लिम धर्मगुरु तौकीर रजा से मुलाकात कर उनसे दिल्ली का चुनाव जीतने में मदद मांगी थी। अगर यही काम किसी और पार्टी ने किया होता तो आम आदमी पार्टी उसकी जबर्दस्त आलोचना करती।  


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