Wednesday 15 January 2014

क्यों जरुरत है मोदी की इस देश को .


आदरणीय,
मोदी विरोधियो एवं समस्त देश वाशियों 

विषय : क्यों जरुरत है मोदी की इस देश को .


प्रिय बंधुओ,
आज कल एक ट्रेंड सा बन गया जो जितना जादा मोदी का विरोध करता है 
वो अपने आपको उतना जादा स्मार्ट समझता है पर क्या वाकई में इस ट्रेंड 
की कोई जरुरत है, और अगर विरोध करना ही है तो उनका करो जो २G, 
CWG, COALGATE जैसे अरबो के घोटाले करते है, अगर विरोध करना है 
तो उनका करो जो कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते है, अगर 
विरोध करना हो तो उनका करो जो महंगाई और भुखमरी के जिम्मेदार है 
क्या हम सभी देश हित में किसी ऐसे व्यक्ति का समर्थन नहीं कर सकते 
जिसके किये गए विकास के कार्य जग जाहिर है । आने वाले लोकसभा चुनाव 
केवल भाजपा या कांग्रेस के बीच के नहीं है अगर हम देखे तो ये पाएंगे की फर्क  
एक दो दलों के अलावा भारत के सभी दल मोदी का विरोध कर रहे है और वो 
एक होकर चुनाव में भी लड़ेंगे । यह केवल इसलिए है क्युकी उन सभी राजनीतिक 
दलों के अन्दर मोदी का भय अभी से दिखने लगा है । 
मोदी को सांप्रदायिक कहा जाना ये कहा तक सही है, हर बार साम्प्रदायिकता के 
मुद्दे पर केवल मोदी जी का ही नाम लेना ये कहा तक सही है, देश में आये दिन 
दंगे - फसाद होते रहते है हमे उन पर भी चर्चा करनी चाहिए । मोदी सरकार से 
पहले गुजरात में आयें दिन अनेको दंगे हुए थे उनके शाशन काल में 2002 के 
बाद आज तक एक भी दंगा नहीं हुआ हम इस बात की चर्चा कभी क्यों नहीं 
करते है, मोदी जी विकास पुरुष है और मुझे भी यही लगता है की प्रधानमंत्री 
पद के लिए वो एक योग व्यक्ति है ।            
लोग कहते है मोदी बड़े व्यापारियों को फायदा पहुचाते है और वो केवल ओधोगिक 
विकास को ही बढ़ावा देते है तो मित्रो ओधोगिक विकास किसी देश और राज्य के 
विकास का प्रमुख कारक होता है , बिना औधोगिक विकास के देश का विकास 
मुमकिन नहीं है, अगर मेरे राज्य में भी गुजरात जैसा ओधोगिकीकरण होता तो 
कमाने के लिए दुसरे प्रदेश न जाना पड़ता और जहाँ तक मेरी जानकारी है गुजरात 
में केवल टाटा , अम्बानी और बिरला को ही सुविधा मुहैया नहीं करायी जा रही 
बल्कि इनके अलावा भी छोटे और बड़े उधोगो को बढ़ावा दिया जा रहा है, वर्ष 
2009 -10 के उधोगो के वार्षिक सर्वे के अनुसार गुजरात में फैक्ट्रियों की संख्या 
15576 और 9.8 प्रतिशत बढ़ी है। ये फैक्ट्रियां रसायन,रसायन उत्पाद,बुनियादी 
धातुएं,मशीनरी और उपकरण ,नॉन मेटल मिनरल प्रोडक्ट,कपड़ा,खाद्य पदार्थ 
और दवा क्षेत्र के उधोग हैं। वे सब मिलकर 12 लाख लोगों को रोजगार मुहैया 
कराते हैं।और अस्थायी आंकड़ें बताते हैं कि 2010 में फैक्ट्रियों की संख्या में 
25206 तक की वृद्धि हुई है और रोजगार 13 लाख तक पहुंच गया है। 
इसके अलावा गुजरात में एक लाख तीस हजार मघ्यम और लघु उधोग 
हैं और गुजरात में किसी की भी मूलभूत आवश्यकताओ को दरकिनार नहीं 
करा गया है। और बिना बुनियाद के मै मोदी को विकास पुरुष नहीं कह रहा 
गुजरात सूरत दुनिया का सबसे तेज विकसित होंने वाला शहर है , गुजरात 
का क्राइम रेट 8.२ है जो की देश के बाकी राज्यों की तुलना में कम है 
गुजरात में 2001 तक जहाँ केवल केवल 11 Universities थी आज वहां 
पर कुल 37 Universities है जिनमे Petroleum University, 
Sports University, Raksha Shatki University और 
Forensic University आदि शामिल है । 2008 में गुजरात की 
प्रति व्यक्ति आय $ 3290 भारत के औसत ($ 2753) और 
नाइजीरिया, कैमरून, केन्या और सूडान (सभी कम से कम $ 2100) 
की तुलना से अधिक थी बायोटेक, दवा, रसायन, पैट्रोकेमिकल, इंजीनियरिंग
आटोमोबाइल, एनसिलरिज, अनाज और कृषि उद्योग, गैस, तेल, बिजली, हीरे
आभूषणों और सूचना प्रोद्योगिकी और रही बात छवि की तो मनमोहन की 
छवि तो बहुत अच्छी थी लेकिन उन्होंने पिछले 10 वर्षो में देश को 
भ्रस्टाचार के अलावा क्या दिया है और एक बार नहीं कई बार विदेशो में 
मोदी के नेतृत्व की प्रशंशा हो चुकी है Financial Express में प्रकाशित 
US Report ने गुजरात को Best example of governance, 
development बताया है । इसीलिए मेरे अनुसार मोदी प्रधानमंत्री के 
लिए एक योग्य व्यक्ति है ।हमे सोच भी बदलनी होगी अन्यथा हम 
दूसरो को कोसते ही रह जायेंगे और देश की हालत और बदतर 
होती चली जाएगी ।
चेतन भगत, मुकेश अम्बानी और अब किरण बेदी का भी यही मानना है 
की मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए श्रेष्ठ और उचित विकल्प है, लेकिन जल्द 
ही कुछ अत्यधिक समझदार और So Called मोदी विरोधी, इन्हें भी 
सांप्रदायिक और मूर्ख ही कहेंगे 

धन्यवाद

एक भारत श्रेष्ठ भारत

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