Monday 27 January 2014

7 बातें जो जा रही हैं आम आदमी पार्टी के खिलाफ


जानिए, कौन सी 7 बातें जा रही हैं आम आदमी पार्टी के खिलाफ

आम आदमी पार्टी (आप) के लिए मुश्किलें बढ़ती चली जा रही हैं। दिल्ली सरकार के मंत्री सोमनाथ भारती के आधी रात को छापा मारने, केजरीवाल के दो दिनों तक धरने पर बैठने, विनोद कुमार बिन्नी को बगावत के चलते पार्टी से बाहर करने और कांग्रेस पार्टी से करीब दिखने (कुछ दिनों पहले एक कार्यक्रम में केंद्र सरकार में मंत्री कपिल सिब्बल और अरविंद केजरीवाल की गले मिलते हुए तस्वीर सामने आई थी) के बाद आप की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है। अब कई बातें उसके खिलाफ जाती दिख रही हैं। 
 
ईमानदारी और लोकप्रियता का घालमेल कर रहे अरविंद
 
पत्रकार आर. जगन्नाथन ने केजरीवाल की राजनीति पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'केजरीवाल गलत दिशा में जोर लगा रहे हैं। वे पुरानी शैली की लोकप्रियता हासिल करने वाली राजनीति और ईमानदारी का घालमेल कर रहे हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि जिस तरह की ईमानदारी का दावा खुद केजरीवाल करते हैं वैसी ही ईमानदार छवि आजादी के समय की कांग्रेस और बीजेपी के भी शुरुआती दौर में थी। लेकिन सुविधाएं मुफ्त या सस्ती देने की राजनीति ने कांग्रेस और बीजेपी को भ्रष्टाचार में धकेल दिया। भ्रष्टाचार और मुफ्त सुविधा देने की राजनीति साथ-साथ चलती है।' 
 
नहीं मिल रहा पहले जैसा चंदा  
 

15 जनवरी से पहले पार्टी को रोजाना औसतन 10 लाख रुपए बतौर दान मिल रहे थे। लेकिन बीते कुछ दिनों से पार्टी को विदेश से बहुत कम चंदा मिल रहा है।  28 दिसंबर को 'आप' ने दिल्ली में सरकार बनाई थी। उस दिन पार्टी को 21 लाख रुपए का दान विदेश से मिला था। उसके बाद से पार्टी को हर रोज 40 लाख रुपए से ज्यादा के फंड विदेश से मिल रहे थे। 2 जनवरी से 16 जनवरी के बीच आम आदमी पार्टी को औसतन 36 लाख रुपए हर रोज मिल रहे थे। लेकिन 17 जनवरी के बाद से उसके फंड में जबर्दस्त गिरावट आई। 17 जनवरी से पार्टी को औसतन 6 लाख रुपए का ही फंड रोजाना मिल रहा है। 
  'जब से  'आप'  सरकार में आए हैं, तब से उन्होंने प्रशासन का काम किया ही नहीं है। इसकी जगह पार्टी ऐसे काम कर रही है, जो बेमतलब हैं और प्राथमिकता वाले काम नहीं माने जाते हैं। बीते एक महीने में आम आदमी पार्टी ने जो भी कदम उठाए हैं, उनका जनता के जीवन को बेहतर बनाने से कोई मतलब नहीं है। बल्कि वे राजनीतिक हित साधने का काम कर रहे हैं। हमने सोचा था कि वे मौजूदा राजनीति तंत्र से बेहतर होंगे, लेकिन वे तो उससे भी ज्यादा खराब निकले।'

'आप' को वोट देने के लिए मांग रहे माफी 
 
न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में रह रहे ऐसे एनआरआई की तादाद बढ़ती जा रही है, जो आम आदमी पार्टी के कामकाज से नाखुश हैं। इन लोगों ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर एक पेज बनाया है और उसके जरिए ये लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। इस पेज का टाइटल है, 'आई एम सॉरी आई वोटेड फॉर आप (मुझे माफ करिए, मैंने आप को वोट दिया)।' इस पेज के 82 मेंबर हैं।  
 लोगों ने अपना काम धाम छोड़कर आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार किया। लेकिन सरकार बनाने के बाद पार्टी का हर कदम सिर्फ मीडिया कवरेज पाने वाला लग रहा है। जबकि युवा अब भी बेरोजगार है, बिजली के बिल आसमान छू रहे हैं और दिल्लीवाले पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।'

सड़क पर इंसाफ देने की कोशिश की आलोचना
 
दिल्ली सरकार के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन इलाके में युगांडा के लोगों पर वेश्यावृत्ति और ड्रग्स वगैरह के गैरकानूनी धंधे में शामिल होने का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस पर छापा मारने का जबर्दस्त दबाव बनाया था। भारती पर आरोप है कि उन्होंने गलत तरीके से युगांडा की महिलाओं के टेस्ट करवाने की कोशिश भी की थी। आम आदमी पार्टी के कई समर्थकों को इस बात पर ऐतराज है। मशहूर अर्थशास्त्री सुरजीत एस. भल्ला ने भी आम आदमी पार्टी की कानून को अपने हाथ में लेकर सड़क पर इंसाफ करने की इस प्रवृत्ति पर सवाल उठाए हैं।

शिवसेना से अलग नहीं है आप
 
मशहूर अर्थशास्त्री सुरजीत एस. भल्ला ने आम आदमी पार्टी की नीतियों पर सवाल उठाया है। सुरजीत भल्ला ने आप की तुलना महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना से करते हुए कहा है कि आप उनसे अलग कैसे है। सुरजीत ने आम आदमी पार्टी की उस मांग पर ऐतराज जताया है, जिसमें पार्टी दिल्ली यूनिवर्सिटी में दिल्ली के बाशिंदों को 90 फीसदी आरक्षण देने की बात कह रही है। भल्ला का कहना है कि एमएनएस और शिवसेना भी मुंबई से गैर मराठी लोगों को बाहर निकालने की मांग करते रहते हैं।

आरक्षण नीति पर उठे सवाल
 
आम आदमी पार्टी की कई नीतियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अर्थशास्त्री सुरजीत एस. भल्ला ने पार्टी की आरक्षण नीति की आलोचना की है। भल्ला को आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता योगेंद्र यादव के आरक्षण से जुड़े बयान पर ऐतराज है। योगेंद्र यादव ने इस बारे में कहा था, नौकरी में आरक्षण जाति के आधार पर, पिछड़ों को, महिलाओं को और वर्ग पर आधारित होना चाहिए। भल्ला ने सवाल पूछा है कि ये महिलाएं कौन हैं जो पिछड़ी जाति और मुश्किलों में घिरे हुए समाज के खांचे में फिट नहीं बैठती हैं। योगेंद्र यादव ने हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतों का भी समर्थन किया है। योगेंद्र का कहना है कि खाप समाज में छोटे मोटे विवादों को हल करने का अच्छा माध्यम है। खाप पंचायतें हाल के कुछ सालों में अपने कई विवादित फैसलों के लिए बदनाम रही हैं।

कम खर्चे का दिखावा
 
आम आदमी पार्टी का कहना है कि उनके नेता न तो लाल बत्ती में चलेंगे और न ही सरकारी बंगले में रहेंगे। अर्थशास्त्री सुरजीत एस. भल्ला इस बात को लेकर भी आम आदमी पार्टी की आलोचना करते हैं। भल्ला का कहना है कि देश में ऐसे कई मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सादगी से रहने की मिसाल पेश की है। इसमें घर से लेकर, जूते, कपड़े, सरकारी कार के इस्तेमाल में भी सादगी दिखी है। भल्ला का कहना है कि बहुत कम लोगों ने ममता बनर्जी या माणिक सरकार की कम खर्चे और सादगी से रहने की वजह से तारीफ की है।

दायरे से बाहर के मामलों पर भी बयानबाजी
 
जिन मामलों का दिल्ली की राज्य सरकार से कोई लेनादेना नहीं है, उस पर भी आम आदमी पार्टी बयानबाजी कर रही है। अर्थशास्त्री सुरजीत एस. भल्ला की नजरों में यह गलत है। सुरजीत को प्रशांत भूषण के कश्मीर में सेना की तैनाती और नक्सल प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती से जुड़े बयान पर ऐतराज है। सुरजीत का कहना है कि हर मामले में जनमत के आधार पर फैसले नहीं हो सकते। 
 
 



 
 

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