Sunday 26 January 2014

राष्ट्रपति ने इशारों में किया केजरीवाल पर हमला

Hinting at Kejriwal pranab says populist anarchy cannot substitute governance

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आम आदमी पार्टी (आप) को नसीहत देते हुए दो टूक 
शब्दों में कहा कि लोकलुभावन अराजकता सुशासन का विकल्प नहीं हो सकती है। 
नेताओं को जनता से वही वादे करने चाहिए, जिन्हें वे पूरा कर सकें।

भ्रष्टाचार पर लोगों के मूड को भांपते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय संसाधनों 

की बर्बादी से जनता गुस्से में है। भ्रष्टाचार कैंसर की तरह है जो लोकतंत्र को 
कमजोर करता है, यदि सरकारों ने इसे रोका नहीं तो जनता उन्हें उखाड़ फेंकेगी।

भारती ने पूछा, मोदी जी ने आपको कितने पैसे दिए?

आगामी लोकसभा चुनाव में मतदाताओं से आत्ममंथन कर देश को एक स्थिर 

सरकार देने की अपील की। कहा कि खंडित सरकार मनमौजी अवसरवादियों पर 
निर्भर करेगी और यह देश के लिए विनाशकारी होगा।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने आप 

नेता अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बिना नसीहत भी दी।

राजनीतिक दलों की ओर से किए जाने वाले लोकलुभावन वादों पर तीखा प्रहार 

करते हुए कहा कि चुनाव किसी व्यक्ति को भ्रांतिपूर्ण अवधारणों को आजमाने की 
अनुमति नहीं देता है। जो लोग मतदाताओं का भरोसा चाहते हैं, उन्हें सिर्फ वही 
वादे करने चाहिए, जिन्हें पूरा किया जा सके।

सरकार कोई परोपकारी निकाय नहीं है। आखिर लोकलुभावन अराजकता शासन का 

विकल्प नहीं हो सकती। झूठे वादों की परिणति मोहभंग में होती है, जिससे गुस्सा 
भड़कता है और सत्ताधारी वर्ग ही इसके निशाने पर होता है।

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