Tuesday 21 January 2014

"एक था टाइगर"



सच्चे भारतीय जासूस की कहानी =

कुछ समय पहले रिलीज हुई फिल्म "एक था टाइगर" 
ने बड़े परदे पर जबरदस्त धूम मचाई थी ....
इस फिल्म ने कमाई के सारे रिकार्ड तोड दिये थे
और फिल्म के हीरो सलमान खान नेभी खूब
पैसा और वाहवाही बटोरी थी ...

इस फोटो मेँ दिखाये गये ये शख्स "एक था टाइगर" 
फिल्म के सलमान खान की तरह बहुत मशहूर तो नहीँ 
है और शायद ही कोई इनके बारे मेँ जानता हो या 
किसी ने सुना हो इनका नाम था रवीन्द्र कौशिक....

ये भारत की जासूसी संस्था RAW के भूतपूर्व
एजेन्ट थे ...

राजस्थान के श्रीगंगानगर मेँ पले बढ़े रवीन्द्र ने
23
साल की उम्र मेँ ग्रेजुएशनकरने के बाद
RAW
ज्वाइन की थी ,

तब तक भारत पाकिस्तान और चीन के साथ
एक-एक लड़ाई लड़ चुका था और पाकिस्तान
भारत के खिलाफ एक और युद्ध की तैयारी कर
रहा था...

जब भारतीय सेना को इसकी भनक लगी तो साल
1975
में कौशिक को भारतीय जासूस के तौर पर
खुफिया मिशन के लिए पाकिस्तान
भेजा गया और वहा उन्हें नबी अहमद शेख़
का नाम दिया गया.

पाकिस्तान पहुंच कर कौशिक ने कराची के
लॉ कॉलेज में दाखिल लिया और कानून में
स्तानककी डिग्री हासिल की.

इसके बाद वो पाकिस्तानी सेना में शामिल होगए
और मेजर के रैंकतक पहुंच गए ,लेकिन
पाकिस्तान सेना को कभी ये अहसास ही नहीं हुआ 
कि उनके बीच एक भारतीय जासूस
काम कर रहा है.कौशिक को वहां एक
पाकिस्तानी लड़की अमानत से प्यार
भी हो गया दोनों ने शादी कर ली और
उनकी एक बेटी भी हुई..

कौशिक ने अपनी जिंदगी के 30 साल अपने
घर और देश से बाहर गुजारे.

इस दौरान पाकिस्तान के हर कदम पर भारत
भारी पड़ता था क्योंकि उसकी सभी
की जानकारी कौशिक की ओर से भारतीय
अधिकारियों को दे दी जाती थी.
इनकी बताई जानकारियोँ के बलबूते पर भारत ने
पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर
रणनीति तैयार की !
पाकिस्तान तो भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध 
से काफी पहले ही युद्ध
छेड़ देता पर रवीन्द्र के रहते ये संभव
ना हो पाया ..
केवल एक आदमी ने पाकिस्तान
को खोखला कर दिया था !भारतीय
सेना को रवीन्द्र के जरिये रणनीति बनाने
का पूरा मौका मिला और पाकिस्तान जिसने कई
बार राजस्थान से सटी सीमा पर युद्ध छेड़ने
का प्रयास किया उसे मुँह की खानी पड़ी !

इसलिए ये बात बहुत कम ही लोगोँ को पता है
कि पाकिस्तान के साथ हुई
लड़ाईयोँ का असलीहीरो रवीन्द्र कौशिक है ...

रवीन्द्र के बताये अनुसार भारतीय सेना के
जवानोँ ने अपने अतुल्यसाहस का प्रदर्शन
करते हुये पहलगाम मेँ घुसपैठ कर चुके50 से
ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकोँ को मार गिराया...
लेकिन दुर्भाग्य से 1983 में कौशिक का राज
खुल गया. 
दरअसल रॉ ने ही एक अन्य जासूस
कौशिक से मिलने पाकिस्तान भेजा था जिसे
पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी ने पकड़
लिया.पूछताछ के दौरान इस जासूस ने अपने
इरादों के बारे में साफ़ साफ़ बता दिया और साथ
ही कौशिक की पहचान को भी उजागर
करदिया.हालांकि रवीन्द्र ने किसी तरह भागकर
खुद को बचाने के लिये भारत सरकार से अपील
की...पर सच्चाई सामने आने के बाद तत्कालीन
इंदिरा गाँधी सरकार ने उसे भारत वापिस लाने मेँ
कोई रुचि नहीँ दिखाई !
अततः उन्हे पाकिस्तान मेँ
ही पकड़ लिया गया और जेल मेँ डाल कर उन पर
तमाम तरह के मुकदमेँ चलाये गये...
रवींद्र कौशिक को काफी लालच
दिया गया कि अगर वो भारतीय सरकार से
जुड़ी गोपनीय जानकारी दे दें तो उन्हें छोड़
दिया जाएगा. लेकिन कौशिक ने अपना मुंह
नहीं खोला, इस पर कौशिक को भयंकर टार्चर
भी किया गया ...

फिर पाकिस्तान में कौशिक को 1985 में मौत
की सजा सुनाई गई जिसे बाद में उम्रकैद में
तब्दील कर दिया गया.कौशिक
को मियांवाली की जेल में रखा गया और
वही टीबी और दिल का दौरा पड़ने से उनकी 
मौत हो गई....

तो ये सिला मिला रवीन्द्र कौशिक को 30 साल
की देशभक्ति का ..

भारत सरकार ने भारत मेँ मौजूद रवीन्द्र से
संबंधित सभी रिकार्ड मिटा दिये और RAW
को धमकी दी कि अपना रवीन्द्र के मामले मे
अपना मुँह बंद रखे ...

रवीन्द्र के परिवार को हाशिये मेँ ढकेल
दिया गया और भारत का ये सच्चा सपूत
हमेशा के लिए गुमनामी के अंधेरे मेँ खो गया...

"एक था टाइगर" नाम की फिल्म रवीन्द्र
कौशिक के जीवन पर ही आधारित है ,जब
इस फिल्म का निर्माण हो रहा था तो भारत सरकार
के भारी दखल के बाद इसकी स्क्रिप्ट मेँ
फेरबदल करके इसकी कहानी मे बदलाव
किया गया....

पर मूल कथा वही है !
इसलिए दोस्तो इस
देशभक्त को गुमनाम ना होने देँ ,
इस पोस्ट को और ज्यादा से
ज्यादा लोगोँ को बतायेँ और हाँ ,जब भी "एक
था टाइगर" फिल्म देखे ,तब इस असली टाइगर
को जरूर याद कर लें...!

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