Sunday 26 January 2014

लागू होगा पैन कार्ड का ये नया नियम, जानें इसमें छिपी पूरी कुंडली


3 FEB से लागू होगा पैन कार्ड का ये नया नियम, जानें इसमें छिपी पूरी कुंडली

पैन कार्ड बनवाने के नियमों में 3 फरवरी से बदलाव होने जा रहे है। इस बदलाव के 
तहत पैन कार्ड बनवाने की प्रक्रिया पहले से कठिन हो जाएगी। इस नए नियम के बारे 
में वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार अब पैन के आवेदन के साथ 
पहचान का प्रमाण, जन्म दिन का प्रमाणपत्र और एड्रेस प्रूफ जमा करना होगा। 
इसके साथ ही अब आवेदन के साथ लगाई जाने वाली प्रति की मूल कॉपी का भी 
सत्यापन किया जाएगा।
 
सरकार की ओर से ये कदम पैन कार्ड के बढ़ते उपयोग और इसके कुछ दुरुपयोग की 
शिकायतों के चलते उठाया गया है। दिलचस्प है कि कई स्थानों पर पैन कार्ड को प्रूफ 
ऑफ आइडेंटिटी के रूप में पेश किया जाता है।
 
आपका पैन कार्ड एक बहुत खास कार्ड होता है, जो आपको काफी फायदा दिला सकता है। 
कहा जाता है कि पैन कार्ड बनवाना जरूरी है। चाहे ऑफिस में सैलेरी मिलने की बात हो या 
फिर बात हो आपके इनकम टैक्स की, पैन कार्ड की जरूरत आए दिन पड़ती ही रहती है। 
अब इतनी जरूरी चीज के बारे में तो आप जानना चाहेंगे ही। क्या आपको पता है कि यह 
इतना जरूरी क्यों होता है, या फिर इसके फायदे क्या हैं।

पैन कार्ड नंबर एक 10 डिजिट का खास नंबर होता है, जो लैमिनेटेड कार्ड के रूप में आता है। 
इसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट वाले उन लोगों को इश्यू करते हैं, जो पैन कार्ड के लिए अर्जी देते हैं। 
पैन कार्ड बन जाने के बाद उस व्यक्ति के सारे फाइनेंशियल ट्रान्जैक्शन डिपार्टमेंट के पैन कार्ड 
से लिंक हो जाते हैं। इनमें टैक्स पेमेंट, क्रेडिट कार्ड जैसे कई फाइनेंशियल लेन-देन डिपार्टमेंट 
की निगरानी में रहते हैं।

इस नंबर के पहले तीन डिजिट अंग्रेजी के लेटर्स होते हैं। यह AAA से लेकर ZZZ तक कोई भी लेटर 
हो सकता है। ताजा चल रही सीरीज के हिसाब से यह तय किया जाता है। यह नंबर डिपार्टमेंट 
अपने हिसाब से तय करता है। 

पैन कार्ड नंबर का चौथा डिजिट भी अंग्रेजी का ही एक लेटर होता है। यह पैन कार्डधारी का स्टेटस 
बताता है। इसमें-
 
P- एकल व्यक्ति
 
F- फर्म
 
 
C- कंपनी
 
 
A- AOP( असोसिएशन ऑफ पर्सन)
 
 
T- ट्रस्ट
 
 
H- HUF (हिन्दू अनडिवाइडिड फैमिली)
 
 
 
B-BOI (बॉडी ऑफ इंडिविजुअल)
 
 
L- लोकल 
 
 
J- आर्टिफिशियल जुडिशियल पर्सन
 
 
 
G- गवर्नमेंट के लिए होता है।

पैन कार्ड नंबर का पांचवा डिजिट भी ऐसा ही एक अंग्रेजी का लेटर होता है। यह लेटर पैन कार्डधारक 
के सरनेम का पहला अक्षर होता है। यह सिर्फ धारक पर निर्भर करता है। गौरतलब है कि इसमें 
सिर्फ धारक का लास्ट नेम ही देखा जाता है।

इसके बाद पैन कार्ड में 4 नंबर होते हैं। यह नंबर 0001 से लेकर 9999 तक, कोई भी हो सकते हैं। 
आपके पैन कार्ड के ये नंबर उस सीरीज को दर्शाते हैं, जो मौजूदा समय में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में 
चल रही होती है। इसका आखिरी डिजिट एक अल्फाबेट चेक डिजिट होता है, जो कोई भी लेटर हो 
सकता है।

क्यों है जरूरी-
 
पैन कार्ड काफी जरूरी होता है। इसकी वजह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से जुड़े किसी भी लेन-देन 
में पैन कार्ड नंबर का होना जरूरी है। 1 जनवरी, 2005 से इनकम टैक्स भरने के लिए पैन कार्ड का 
होना अनिवार्य कर दिया गया था। इसके अलावा, सरकारी और गैर सरकारी किसी भी लेन-देन के 
लिए पैन कार्ड नंबर एक सुविधाजनक कैरियर का काम करता है। आपकी जानकारी सही मानी 
जाती है, क्योंकि यह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा दिया जाता है।

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