Sunday 26 January 2014

'आप' से निकाले गए विनोद कुमार बिन्नी, पार्टी के खिलाफ काम करने पर हुई कार्रवाई


‘आप’ से निकाले गए बिन्‍नी, जंतर-मंतर पर आज देंगे धरना


आम आदमी पार्टी के बागी विधायक विनोद कुमार बिन्नी को पार्टी से निकाल दिया गया है। बिन्नी आज अनशन भी करेंगे। बिन्नी को अरविंद केजरीवाल के फैसलों पर सवाल उठाने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। बिन्नी ने 16 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस करके दिल्ली के मुख्यमंत्री व पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को तानाशाह बताते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कथनी व करनी में अंतर है। उन्होंने कहा था कि आप सरकार अपने उद्देश्य से भटक गई है और जनता से जो वायदे किए गए थे, उनको पूरा नहीं किया जा रहा है। 
लक्ष्मी नगर के विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने खुद को पार्टी का सच्चा सिपाही बताते हुए कहा था कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे। लेकिन यदि जनता उनकी बातों को गलत बताती हैं तो वह एमएलए के पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि पानी-बिजली के मुद्दे पर वे रायशुमारी कराएंगे। उस रायशुमारी में जो भी झूठा निकले वह अपने पद से इस्तीफा दे, वह भले ही खुद हों या केजरीवाल। यही नहीं बिन्नी ने केजरीवाल को तानाशाह तक कह डाला। उन्होंने कहा कि बंद कमरे में चार-पांच लोग फैसले लेते हैं। केजरीवाल उन्हें आदेश सुनाते हैं अगर कोई अरविंद की बात के खिलाफ जाता है तो पहले उसे समझाते हैं फिर उस पर आंखे तरेरते हैं, गुस्से में आ जाते हैं 

कौन हैं बिन्नी?

विनोद कुमार बिन्नी, लक्ष्मी नगर से आप के विधायक हैं। इनका नाम कांग्रेस के एक दबंग मंत्री को हराने के बाद से ही चर्चा में आ गया था। बिन्नी अपने इलाके से इलेक्शन लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें लक्ष्मी नगर से उतारा। बिन्नी पार्टी के चयन पर खरे उतरे। विनोद कुमार को प्यार से बिन्नी कहा जाता था लेकिन घर में मिला बिन्नी नाम इतना मशहूर हो गया कि आज यही नाम उनकी पहचान बन चुका है। बिन्नी 2 साल तक कांग्रेस में रह चुके हैं। अपनी छवि के चलते वो दो बार निर्दलीय पार्षद चुने गए। 34 साल की उम्र में पार्षद बनकर बिन्नी ने रिकॉर्ड बनाया था। बिन्नी दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज के छात्र रह चुके हैं। विनोद कुमार बिन्नी एमए पास हैं।

'
आप' के पहले पार्षद

वॉर्ड नंबर 214 से दो बार निर्दलीय पार्षद चुने गए विनोद कुमार बिन्नी  को आम आदमी पार्टी के पहले पार्षद बनने का दर्जा हासिल है, क्योंकि निर्दलीय पार्षद बिन्नी ने नई बनी 'आप' को ज्वाइन कर लिया था। बिन्नी को हमेशा आप ने एक मॉडल की तरह पेश किया। बिन्नी के बारे में कहा जाता है कि वो अपने इलाके में उन चीजों को पहले से लागू कर रहे हैं जिन्हें 'आप' अब दिल्ली के सामने पेश कर रही है। यानी जनता से पूछकर बजट बनाना और मोहल्ला सभा करना और किस तरह से दिल्ली का विकास हो, क्या समस्या है। बिन्नी ये सब आम लोगों के बीच में जाकर पूछा करते थे। निगम पार्षद होने के बावजूद बिन्नी इतना निगम में नहीं बैठे जितना दिल्ली की गलियों में उन्होंने समय बिताया है। बिन्नी की इलाके में लोकप्रियता थी लेकिन 'आप' ने बिन्नी को लक्ष्मीनगर से लड़ाया। कांग्रेस के दिग्गज नेता ए के वालिया का हारना उस वक्त असंभव लग रहा था। लेकिन 40 साल के विनोद कुमार बिन्नी ने लक्ष्मीनगर से 8000 वोटों से जबरदस्त जीत हासिल की।बिन्नी मंत्री पद न मिलने से इस कदर नाराज थे कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा खुलासा करने का एलान तक कर दिया था।
                                                      

बिन्नी ने लगाया वादा खिलाफी का आरोप

बिजली का मुद्दा: 
बिजली के 50 फीसदी दाम सीधे-सीधे कम करने की बात हुई थी। उसमें कोई शर्त नहीं जुड़ी थी। दिल्ली की जनता को यही संदेश था। ये बात नहीं थी कि कॉमर्शियल, रेजिडेंशियल, झुग्गीबस्तियों के लिए अलग-अलग नियम होंगे। क्या जरूरत थी चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए 400 यूनिट वाली एक स्कीम घोषित करके वाहवाही लूटने की? इससे दिल्ली की 90 फीसदी जनता खुद को छला हुआ महसूस कर रही है। आज उन लोगों का क्या जिन्होंने बिजली पानी आंदोलन के बाद बिल नहीं भरे और आज उनके ऊपर लाख-लाख रुपए के बिल बकाया हैं, आज उनसे कोई बात तक नहीं कर रहा।
पानी का मुद्दा : 
चुनाव के दौरान मैंने व पार्टी ने हर मंच से कहा कि हम हर घर को 700 लीटर स्वच्छ पानी देने की बात की लेकिन मेनिफेस्टो बहुत चतुराई से डाल दिया गया कि जैसे ही 701 लीटर पानी इस्तेमाल होगा तो पूरे पानी का बिल जमा करना होगा। यह सब शब्दों का खेल है। यह जनता के साथ बड़ा धोखा है क्योंकि वायदा 700 लीटर मुफ्त पानी का था। केजरीवाल ने सुंदरनगरी में पानी-बिजली के लिए अनशन के दौरान कहा कि लोग पानी के नाजायज बिलों को जमा करना बंद करें, सरकार बनी तो उनके बिल माफ होंगे। उसके समर्थन में 10 लाख 52 हजार लोगों ने चिट्ठियां दीं। लेकिन आज उन वायदों का नाम लेने वाला कोई नहीं।



जनलोकपाल कानून : 
वायदा किया गया कि सरकार बनने के 14 दिन में अन्ना जी का जनलोकपाल बिल पारित करेंगे। आपने तो डेट भी दे दी थी 29 दिसंबर। मानते हैं कि सरकार 28 को बनी तो आपको 10-11 जनवरी तक बिल पारित कर लेना चाहिए था। कानून न बनाने के पीछे मंशा क्या है आपकी, जनता के सामने स्पष्ट करने की जरूरत है। किसी तरह दो महीने गुजार लें ताकि आचार संहिता लागू हो जाए ताकि काम न करने का बहाना मिल जाए और सत्ता भोगी जाए।




मेरे नाम का इस्तेमाल किया: 
मुझे तब बहुत दुख होता है जब ये लोग मुझे कहते हैं कि मैं पद का लालची हूं, मुझे लोकसभा का टिकट चाहिए, विधानसभा का टिकट चाहिए। मैं तो जब इस पार्टी को देना शुरू किया जब इस पार्टी के पास देने के लिए कुछ नहीं था। मैं व्यक्ति विशेष से प्रेम करके नहीं, बल्कि विचारधारा से जुड़ा। सच बताऊं तो मैंने पार्टी को दिया, पहला एक चुना हुआ पार्षद दिया, मैंने विधायक के रूप में एक प्रतिनिधि दिया। केजरीवाल ने चुनाव अभियान में यदि 200 सभाएं की थीं तो 190 सभाओं में मेरा नाम लिया और कार्यशैली की चर्चा की।




महिला सुरक्षा का मसला: 
चिंता का विषय है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक विदेशी महिला के साथ गैंगरेप हुआ लेकिन सरकार की तरफ से एक बयान तक नहीं आया। आज यदि यहां कोई दूसरी सरकार होती तो आम आदमी पार्टी क्या कर रही होती तो आंदोलन हो रहे होते, पार्टी ने अब तक मोर्चा खोल दिया होता। महिला सुरक्षा की बात करने पर आपको शर्म आनी चाहिए। आपने कमांडो फोर्स बनाने की बात की लेकिन इतने संवेदनशील मामले को आपने भुला दिया।
मीडिया को बुलाकर करते हैं ड्रामा: 
आपने अस्पताल, स्कूल, एमसीडी व सरकारी विभागों में ठेकेदारी पर काम करने वालों से वायदा किया कि तुरंत पक्का करेंगे। आज आपसे मिलने सचिवालय आते हैं तो आपके पास मिलने का वक्त नहीं है। इसी तरह से अस्पतालों की बात थी कि आते ही अस्पतालों की दशा सुधारेंगे। आप मीडिया को बुलाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और घर जाकर सो जाते हैं। ऐसे चलेगा क्या? आप कहीं रेड करने जाते हैं तो पहले मीडिया को बुलाते हैं क्योंकि आपको पब्लिसिटी चाहिए, आप ड्रामे में विश्वास करने वाले लोग हैं।



कांग्रेस के साथ सांठगांठ: 
चुनाव के दौरान हमने कमस खाकर जनता को विश्वास दिलाया था कि हम किसी पार्टी से न तो समर्थन लेंगे और न ही समर्थन देंगे। लेकिन परदे के पीछे से चंद लोगों ने चतुराई से सरकार बनाने का जाल बुना। उसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री व भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ आपने एक आदेश तक नहीं दिया कि जांच की जाए। ऑटो के पीछे पोस्टर लगा-लगाकर आपने पूरी दिल्ली को बताया कि ये मुख्यमंत्री व मंत्री भ्रष्टाचारी हैं। आज आप हर्षवर्धन से कह रहे हैं कि उनके पास कोई सुबूत हैं तो दें उनकी जांच कराएंगे। मतलब आपके पास सुबूत नहीं था तो आपने जनता से झूठ क्यों बोला। बिना किसी सुबूत के मुख्यमंत्री, मंत्रियों को भ्रष्टाचारी कहना एक जिम्मेदार व्यक्ति को शोभा नहीं देता।
संदीप दीक्षित से नजदीकी: 
सूत्र बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल के पूर्वी दिल्ली के सांसद संदीप दीक्षित के साथ बहुत नजदीकियां हैं, घनिष्ट है। आज जितने भी महत्वपूर्ण फैसले आम आदमी पार्टी की सरकार में हो रहे हैं, वे सब कांग्रेस की ओर से आए आदेश की तरह है, यहां उसका पालन हो रहा है। आज जो सांठगांठ परदे के पीछे हुई है वह साबित करती है, कहीं न कहीं ये लोग मिले हुए हैं। यही वजह से चुनाव के दौरान जो छह महीने में भ्रष्टाचारियों को जेल में डालने की बात थी आज लुप्त हो गई है।
विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में भ्रष्टाचार हुआ: 
विधानसभा के टिकट बंटवारे में भारी भ्रष्टाचार हुआ। पैसे की लेनदेन ही नहीं बल्कि किसी का हक छीनकर किसी और को दे देना भी भ्रष्टाचार ही है। ये तय था कि लक्ष्मीनगर से बिन्नी, पटपडग़ंज से मनीष, आरके पुरम से साजिया इल्मी, बाबरपुर से गोपाल राय चुनाव लड़ेंगे तो फॉर्म भरवाने का ड्रामा क्यों? जनता व वॉलिंटियर के साथ धोखा क्यों किया? तब रायशुमारी का तरीका भी अलग था। उस रायशुमारी को नहीं माना गया। आज भी दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों के नाम तय हैं।


अरविंद तानाशाह हैं, बंद कमरों में होते हैं फैसले: 




अरविंद कैसे कह सकते हैं कि मैं टिकट मांगने गया और उन्होंने मना कर दिया। वो कैसे मना कर सकते हैं? क्या वे तानाशाह हो गए हैं। इसका मतलब तो आप अकेले फैसला लेने वाले लोग हो गए हैं? कहां गया स्वराज? इस पार्टी में चार-पांच लोग बंद कमरे में फैसले करते हैं, अरविंद भाई उन्हें आदेश की तरह एक फरमान सुनाते हैं। अगर कोई अरविंद की बात के खिलाफ जाता है तो पहले उसे समझाते हैं फिर उस पर आंखे तरेरते हैं, गुस्से में आ जाते हैं। आप अवसरवादी हैं और इस्तेमाल करो व फैंक दो की नीति अपनाते हैं। हां में हां मिलाई तो ठीक। अन्ना, किरण बेदी से लेकर सबका इस्तेमाल किया। आज के 10 दिन बाद 27 जनवरी तक बिजली-पानी के बिल माफ करने होंगे, बिना किसी शर्त के 700 लीटर मुफ्त पानी देना होगा, विशेष सत्र बुलाकर अन्ना का जन लोकपाल बिल पारित करना होगा, महिलाओं की सुरक्षा के लिए कमांडो फोर्स की शुरूआत करनी होगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उस दिन अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ जाएंगे।









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