Tuesday 11 February 2014

'आप' के मंत्रियों को चाहिए सुविधाएं, प्रशांत ने तोड़े नियम




आम आदमी पार्टी [आप] के मंत्रियों पर भी सत्ता का रंग चढ़ने लगा है। उन्हें भी अब दूसरी पार्टियों के मंत्रियों की तरह सुख-सुविधाओं की दरकरार होने लगी है। इन सुविधाओं में फ्रिज से लेकर एसी तक शामिल है। इन पर अभी तक लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं और जल्द ही कुछ और सुख सुविधाएं इनको उपलब्ध करवा दी जाएंगी। इन सुविधाओं को उठाने वालों में 'आप' सरकार में अरविंद केजरीवाल के बाद सबसे सशक्त मंत्री मनीष सिसोदिया, राखी बिड़ला और सौरभ भारद्वाज भी शामिल हैं। वहीं, आप के वरिष्ठ नेता पर हिमाचल प्रदेश में नियम तोड़ने का आरोप लगा है और उनको दी गई भूमि वापस लेने की सिफारिश की गई है।
एक दैनिक समाचार पत्र में आरटीआई से उपलब्ध सूचना के आधार पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इन मंत्रियों के घरों में सरकार द्वारा कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं। राखी बिड़ला के घर पर जल्द ही 30 लीटर का माइक्रोवेव, 210 लीटर डबल डोर का एक फ्रिज, 32 इंच का एक एलसीडी और डेढ़-डेढ़ टन के दो एसी लगा दिए जाएंगे।
आरटीआई कार्यकर्ता सुबोध जैन ने आरटीआई के माध्यम से दिल्ली सरकार से छह सवाल किए थे। जिनमें से एक सवाल यह भी था कि मुख्यमंत्री एवं उनके मंत्रिमंडल के किस-किस सदस्य के आवास पर अभी तक क्या-क्या सुविधा प्रदान की गई हैं। प्रत्येक मामले में खर्च राशि का विवरण विस्तार से दें।
जिसके जवाब में बताया गया कि मुख्यमंत्री के आवासीय कार्यालय पर तीन एवं उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों राखी बिड़ला, सौरभ भारद्वाज के आवासीय कार्यालयों पर दो-दो एवं मनीष सिसोदिया के आवासीय कार्यालय पर एक टेलीफोन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। प्रत्येक टेलीफोन की बुकिंग के लिए 500 रुपये खर्च किए गए हैं। इसके अलावा तीन मंत्रियों को दी गई सुविधाओं का विवरण अलग से दिया गया।
राखी के निवास पर लगा 3.77 लाख का फर्नीचर
महिला एवं बाल विकास मंत्री राखी बिड़ला के एस-622 एवं 623, मंगोलपुरी में 3 लाख 77 हजार रुपये का फर्नीचर पीडब्ल्यूडी द्वारा दिया गया। कुछ अन्य सुविधाएं भी जल्द ही उन्हें उपलब्ध करा दी जाएंगी।
सिसोदिया को मिला डेस्कटॉप
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के मयूर विहार फेज-2 पॉकेट-बी में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 43 हजार 6 रुपये का एक डेस्कटॉप एवं अन्य चीजें मुहैया कराई गई हैं।
सौरभ के घर भी लाखों का सामान
परिवहन मंत्री सौरभ भारद्वाज के टी-456, एम-5 चिराग दिल्ली में दो सेट सोफा, उनके एक कुर्सी-मेज एवं अन्य चीजें मुहैया कराई गई हैं। इनकी कीमत 3 लाख 77 हजार रुपये है।
लैंडलाइन टेलीफोन की सुविधा
आरटीआई के एक अन्य सवाल में पूछा गया था कि मुख्यमंत्री एवं उनके मंत्रिमंडल के किस-किस सदस्य को वाहन, आवास, मोबाइल सहित क्या-क्या सुविधाएं प्रदान की गई हैं। जवाब में बताया गया है कि मुख्यमंत्री एवं उनके मंत्रिमंडल के किसी भी सदस्य द्वारा अभी तक मोबाइल फोन की सुविधा नहीं ली गई है। मुख्यमंत्री एवं मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों के आवासीय कार्यालयों पर लैंडलाइन टेलीफोन की सुविधा प्रदान की गई है।
सरकारी वाहन  विभाग द्वारा महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, भाषाएं, रोजगार, विकास, श्रम, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, खाद्य एवं आपूर्ति, परिवहन, पर्यावरण, चुनाव, सामान्य प्रशासन, प्रशासनिक सुधार, विधि, पर्यटन, कला एवं संस्कृति के मंत्रियों के कार्यालय में सरकारी वाहन उपलब्ध कराए गए हैं।
केजरीवाल पर नहीं दी जानकारी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके तीन अन्य मंत्रियों सोमनाथ भारती, गिरीश सोनी और सत्येंद्र जैन के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
प्रशांत को दी भूमि जब्त करने की सिफारिश  आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण को शिक्षण संस्थान बनाने के लिए दी गई भूमि को जब्त करने की सिफारिश की है। प्रशांत पर नियमों को तोड़ने का आरोप लगाया गया है। वहीं, प्रशांत भूषण ने इस रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगा दिया। उधर, राज्य के मुख्य राजस्व सचिव के अनुसार इस मामले में कानूनी कार्यवाही कांगड़ा के जिला मजिस्ट्रेट अदालत में शुरू हो चुकी है और अदालत के फैसले के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा।
एक अन्य समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश विजलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने प्रदेश सरकार से प्रशांत भूषण की लगभग 15 एकड़ जमीन को जब्त करने की सिफारिश की है। ब्यूरो का आरोप है कि यह जमीन उस काम के लिए इस्तेमाल नहीं की गई, जिसका हवाला देकर इसे हासिल किया गया था।
भाजपा सरकार के कार्यालय में 2010 में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की 'कुमुद भूषण एजुकेशनल सोसायटी' को पालमपुर के पास कंडबाड़ी में चाय बगान की भूमि खरीदने की मंजूरी दी गई थी। इस जमीन की मंजूरी में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया गया था। जमीन खरीदे जाने के 2 साल के भीतर शिक्षण संस्थान बनाया जाना था। हिमाचल प्रदेश में किसानों के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति को चाय बगान बेचने पर प्रतिबंध है।
कांग्रेस ने प्रशांत भूषण को जमीन देने में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध किया था। सत्ता में आने पर कांग्रेस ने मार्च 2013 में मामले की जांच के आदेश दिए थे।
विजलेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत की संस्था को 15.5 एकड़ चाय बागान की जमीन 2 साल के भीतर शिक्षा संस्थान खोलने के लिए दी गई, लेकिन यहां कोई स्कूल या कालेज नहीं बनाया गया। जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 'संभावना' नाम का एक शिक्षण संस्थान यहां बनाया गया है, लेकिन उसे किसी विश्वविद्यालय या बोर्ड से मान्यता नहीं मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसलिए इस मामले में नियमों को तोड़ा गया है और इस जमीन को जब्त कर लिया जाना चाहिए।
वहीं, प्रशांत भूषण का कहना है कि यह रिपोर्ट गलत इरादे से बनाई गई है और अदालत में यह खारिज हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भूमि को जब्त करने का कोई आधार नहीं है। यह पूछे जाने पर कि उनकी सोसायटी ने जमीन पर शिक्षण संस्थान क्यों नहीं बनाया, उन्होंने कहा कि 2 साल में कोई संस्थान बना पाना संभव ही नहीं है।

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