Saturday 22 February 2014

मस्जिद एवं मुसलमानों के कार्यालयों की निश्चित रूपसे जांच होगी



न्युयार्क की मस्जिद एवं मुसलमानों के कार्यालयों की निश्चित रूपसे जांच होगी ! - अमेरिका के न्यायालय का आदेश

क्या अमेरिका के न्यायालयों के समान भारत के न्यायालय कभी निर्णय देते हैं ?
जिहादी आतंकवादियों को ढूंढने हेतु सदैव एवं विश्व में सर्वत्र मस्जिदों की ही जांच क्यों करनी पडती है ?

न्युयार्क, २१ फरवरी यहां के न्यायालय ने २१ फरवरीको निर्णय दिया है कि गुप्त पुलिस द्वारा न्युयार्क की मस्जिदें, मुसलमान व्यावसायिकों के कार्यालय एवं मुसलमान विद्यार्थियों की जांच करने से अमेरिका की राज्य घटना का किसी भी प्रकार से उल्लंघन नहीं होता । यहां के मुसलमानों ने न्यू जर्सी के न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी, जिसमें कहा गया था कि उन्हें केवल उनके धर्म के कारण लक्ष्य किया जा रहा है ।
इस पर जिला न्यायाधीश विल्यम मार्टिन ने इसमें कोई अवैधता न होने का खुलासा देते हुए यह याचिका निरस्त की ।

१. अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ पर हुए ११ सितंबर २००१ के आक्रमण के उपरांत गुप्त पुलिस द्वारा यहां के इस्लामी संगठनों की कसकर जांच होने के संदर्भ में यहां के माध्यमों के लेखों के माध्यम से प्रथम स्पष्ट हुआ था ।

२. यहां के सय्यद फरहाज हसन ने इस गुप्त स्वरूप से की जानेवाली जांच के कारण अपने व्यक्ति स्वतंत्रता पर आंच आ रही है तथा धार्मिक सेवा भी प्रतिबंधित होकर व्यावसायिक कार्यकाल पर भी संकट आ गया है’, इस आशय का परिवाद किया था । परंतु न्यायाधिश ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि इस जांच एवं गुप्तचरी का उद्देश्य मुस्लिम विरोध नहीं, अपितु आतंकवाद विरोध है । 

(वस्तुस्थिति ज्ञात न होते हुए भी दबावतंत्र का उपयोग करनेवाले झूठे धर्मांध ! जिहादी आतंकवादियों के विरुद्ध कभी मुंह नहीं खोलते; परंतु जिहादी आतंकवादियों पर कार्यवाही होने लगी, तो विविध कारण बताते हुए विरोध करते हैं ! संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. परिणाम घोषित करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि संभवतः इस जांच के कार्यक्रम से यहां के मुसलमानों पर परिणाम हुआ होगा; परंतु इस जांच का उद्देश्य कानून का पालन करने वाले सज्जन मुसलमानों में छिपे मुसलमान आतंकवादी ढूंढना है । 

(क्या सज्जन मुसलमान द्वारा कभी छिपे जिहादी आतंकवादी की जानकारी दी गई है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : सनातन प्रभात





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