Saturday 8 February 2014

मौत के पहले के अनुभव


death experience before die

संसार का सबसे बड़ा रहस्य है मौत। और इससे भी बड़ा रहस्य है मौत के पहले के अनुभव। इस विषय पर कुछ ऐसे शोध हुए है जो बताते हैं कि मरने से पहले हर व्यक्ति को पता चल जाता है कि उसकी मौत की घड़ी आ पहुंची है।

इस रहस्य पर से सबसे पहले पर्दा उठाने का श्रेय अमेरिका की मनोचिकित्सक डॉ. एलिजाबेथ कुबलर-रॉस को जाता है। इन्होंने मौत के करीब पहुंचने वाले व्यक्तियों से उनके अनुभव और भावनाओं के बारे में पूछने का साहस किया।
नके इस व्यवहार के कारण शिकागो के जिस अस्पताल में यह कार्यरत थी, काफी हंगामा हुआ। इसके बावजूद इन्होंने अपने खोज जारी रखे।

इन्होंने अपनी पुस्तक 'ऑन डेथ एंड डाइंग' में मौत के करीब पहुंच चुके लोगों के अनुभवों का जिक्र किया है। हाल के वर्षों में चिकित्सा विज्ञान में जिस तरह से प्रगति हुई उसमें हार्ट अटैक और दूसरे गंभीर रोगों से मौत के करीब पहुंच चुके लोगों को भी कई बार बचा लिया जाता है।


  • मौत के मुंह से निकलकर वापस आने वाले लोग बताते हैं मौत के करीब जाने पर अचानक चेतना शून्य हो जाती है। स्वयं मरे हुए लोगों के बीच होने का एहसास होता है।
  • परिवार में जिन लोगों की मौत हो चुकी है, उनके अपने आस-पास होने की अनुभूति होती है।
  • जीवन में हुई घटनाएं किसी चलचित्र की तरह आंखों के सामने चल रही होती है। शरीर से बाहर हवा में तैरते हुए आसपास के क्षेत्र को देखने का अनुभव होता है।
  • अंधेरे सुरंग से होते हुए किसी ऐसे स्थान पर पहुंचने का अनुभव होता है जहां सूर्य से भी तेज प्रकाश फैला हुआ है।


इन लोगों ने मरने से पहले ही बता दिया था कब मरने वाले हैं
जब मरे तो लोग हैरान रह गए।

कहते हैं मौत बताकर नहीं आती है जब मौत आनी होती है दबे पांव आती है और जिसे ले जाना होता है उसे अपने साथ लेकर चली जाती है।
लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हुए हैं जिन्हें पहले ही पता चल गया था कि अब उनके जाने का समय हो गया है। इन्होंने मरने से पहले ही लोगों को बता दिया था कि अब मौत आने वाली है। जब मरे तो लोग हैरान रह गए।

इस पूर्व प्रधानमंत्री को पता था मौत आने वाली है

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपना अंतिम भाषण उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में दिया था। इंदिरा गांधी ने कहा था कि मुझ पर कई बार हमले हो चुके हैं। मुझे मारने की हर संभव कोशिश की जा रही है। लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है कि मैं जीवित रहूं या मर जाऊं।
लेकिन अपनी अंतिम सांस तक देश की सेवा करती रहूंगी। मेरे शरीर की एक एक बूंद देश को मजबूत और शक्तिशाली बनाएगा। इस भाषण के ठीक के दिन बाद यानी 31 क्तूबर को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी।

जब महात्मा गांधी ने कही यह बात

20 जनवरी 1948 के बाद महात्मा गांधी अपनी पौत्री मनु से कई बार 'हत्यारे की गोलियां या 'गोलियों की बौछार के बारे में बातें की थीं, जो बुराई की आशंका में नहीं वरना अपने सार्थक जीवन के अन्त के रूप में थी, जिसका आभास उन्हें हो चुका था।
अपनी मृत्यु से एक दिन पहले 29 जनवरी को उन्होंने मनु से कहा था, यदि कोई मुझे गोली मारे और मैं उस गोली को अपने खुले सीने पर बिना पीड़ा से कराहे ले लूं और मेरी जुबान पर राम का नाम हो, तभी तुम्हें कहना चाहिए कि मैं एक सच्चा महात्मा था।
30
जनवरी 1948 को वह घड़ी भी आ पहुंची, जब गांधीजी का पूर्वाभास सच होने वाला था। अपनी पौत्रियों मनु और आभा का सहारा लेकर वह प्रतिदिन होने वाली प्रार्थना सभा में पहुंचे।अभी उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर लोगों को अभिवादन स्वीकार ही किया था कि एक नवयुवक ने मनु को झटका देकर और गांधीजी के आगे घुटनों के बल अभिवादन के अन्दाज में झुककर तीन गोलियां दाग दीं।

अब्राहम लिंकन ने की थी अपने मौत की भविष्यवाणी

अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को मारने की साजिश चल रही थी। इसी दौरान एक दिन लिंकन ने सपना देखा कि उनकी हत्या कर दी गई है।
लिंकन ने यह बात अपनी पत्नी को बताई। इस घटना के महज कुछ घंटे के बाद लिंकन की हत्या कर दी गई। और इनका पूर्वाभास सच साबित हुआ।

उसने कहा कल सूर्योदय से पहले वह मर चुका होगा

महान ज्योतिषी नस्त्रेदमस ने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने मौत की घोषणा कर दी थी। 1 जुलाई1566 को जब एक पुरोहित उनसे मिलने आया तो नस्त्रेदमस ने उनसे अपने बारे में कहा कि 'वह कल सूर्योदय होने तक मर चुके होंगे।
कुछ ऐसी महान हस्तियां हैं जिन्हें मरने से पहले ही पता चल गया था कि मौत आने वाली है।का 

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