Tuesday 4 February 2014

वीणा वादिनी वर दे .......


माँ शारदे कहा तू विना बजा रही हो , किस मंजू ज्ञान से तू ,जग कोलुभा रही हो | किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही हो , विनती यही हमारी ,माँ क्योंन सुन रही हो | हम दिन बाल कबसे विनती सुनारहे है , चरणों में तेरी माता ,हम शीश नवा रहे है | अज्ञानता हमारी माँ शीघ्र दूर करदे , सद्बुद्धि ज्ञान हममे ,माँ शारदे तू भर दे | मातेश्वरी तू सुन ले ,इतनी विनय हमारी , करके दया तू हर दे ,बाधा जगतकी सारी | माँ शारदे कहा तू विना बजा रही हो , किस मंजू ज्ञान से तू ,जग कोलुभा रही हो











No comments:

Post a Comment