Saturday 15 February 2014

केजरीवाल से 5 सवाल: सरकार जनता से पूछकर बनाई, इस्तीफा बिना पूछे क्‍यों?

केजरीवाल से 5 सवाल: सरकार जनता से पूछकर बनाई, इस्तीफा बिना पूछे क्‍यों?


49 दिनों की सरकार चलाने के बाद आखिरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उसी जन लोकपाल के मुद्दे पर अपनी सरकार को 'शहीद' कर दिया जिसके बूते वे सत्ता में आए थे। लेकिन केजरीवाल के इस्तीफे से कई सवाल खड़े हुए हैं, जिनके जवाब जानना हम सबके लिए जरूरी है। केजरीवाल और उनकी पार्टी को जनता की अदालत में इन सवालों का जवाब देना चाहिए। 

कुछ ऐसे ही सवालों पर एक नजर:


1. जनता से पूछकर इस्तीफा क्यों नहीं दिया?

अरविंद केजरीवाल ने जनता से पूछकर (जनमत संग्रह) कर दिल्ली में सरकार बनाने का फैसला किया था। लेकिन जब शुक्रवार शाम केजरीवाल ने इस्तीफा दिया तो उन्होंने जनता के एक भी नुमाइंदे से सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा देने के बारे में नहीं पूछा। 


2. शीला दीक्षित पर एफआईआर क्यों नहीं की?

अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के किलाफ कॉमनवेल्थ गेम्स में गड़बड़ी समेत भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे। खुद केजरीवाल मुख्यमंत्री बनने से पहले दिल्ली में कागजों का मोटा पुलिंदा लेकर घूमते थे और कहते थे कि उनके पास शीला दीक्षित के खिलाफ भ्रष्टाचार के सुबूत हैं। लेकिन सत्ता में आने के बाद केजरीवाल लोगों से शीला दीक्षित के खिलाफ सुबूत मांगने लगे। वे अपने सुबूत भूल गए। आखिर में केजरीवाल ने इस्तीफा तो दे दिया लेकिन शीला दीक्षित के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं करवाई। 


3. शपथ उप-राज्यपाल ने दिलाई, इस्तीफा राष्ट्रपति को क्यों?

अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर पिछले साल 28 दिसंबर को राजधानी के रामलीला मैदान में उप राज्यपाल नजीब जंग ने शपथ दिलाई थी। लेकिन शुक्रवार को केजरीवाल ने इस्तीफा दिया तो वह राष्ट्रपति के नाम था। केजरीवाल ने उप राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपना इस्तीफा सौंपा है। यही वजह है कि शनिवार सुबह तक केजरीवाल के इस्तीफे को मंजूरी मिलने पर स्थिति साफ नहीं हो पाई है। 


4. जिस संविधान की शपथ ली, उसी का बनाया मखौल?

अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर भारत के संविधान के तहत मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। लेकिन पहले जनवरी में रेल भवन पास पार्क में धारा 144 का उल्लंघन और फिर असंवैधानिक तरीके से दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल बिल (दिल्ली लोकपाल बिल 2014) को पेश करने की कोशिश कर क्या केजरीवाल ने संविधान की मूल का भावना का उल्लंघन नहीं किया? केजरीवाल संविधान की कितनी इज़्ज़त करते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केजरीवाल ने कहा था कि संविधान लोगों के लिए होता है और न कि लोग संविधान के लिए। 


5. हड़बड़ाहट क्यों दिखा रहे हैं?

दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर 18 में से 5 वादे बमुश्किल और विवादित तरीके से पूरे करने का दावा करने वाले केजरीवाल अब इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव के लिए ताल ठोंक रहे हैं। महज 49 दिन मुख्यमंत्री रहने के बाद वे बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रहे हैं। इस्तीफा देने का एलान करते हुए उनकी पार्टी ने नया नारा- 'शीला हारी, अब मोदी की बारी' दिया। क्या केजरीवाल के इन कदमों से उनकी जल्द से जल्द प्रधानमंत्री बनने की छटपटाहट नहीं झलकती है?

केजरीवाल से 5 सवाल: सरकार जनता से पूछ कर बनाई, इस्तीफा बिना पूछे क्‍यों दिया?  

ट्विटर पर उड़ रहा है केजरीवाल का मजाक, शर्मिला ने ठुकराया टिकट  

दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल की किरकिरी हो रही है। सोशल माइक्रो ब्लॉगिंग साइट से लेकर राजनीति के मैदान में उनकी आलोचना हो रही है। यही नहीं, मशहूर लोग आम आदमी पार्टी के टिकट को ठुकराने भी लगे हैं। मणिपुर की सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने लोकसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी का टिकट लेने से इनकार कर दिया है। शुक्रवार को इस्तीफा देने के बाद सोशल साइट पर लोगों ने अरविंद केजरीवाल को भगोड़ा करार दिया और देखते ही देखते भगोड़ा केजरीवाल ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा।

ट्विटर पर कुछ ऐसी ही प्रतिक्रियाओं पर एक नजर: 

ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने कोई लाइफलाइन इस्तेमाल किए बिना केबीसी में 5 हजार रुपए वाले सवाल को छोड़ दिया हो।
-चेतन भगत

वह आए, उन्होंने खांसा और फिर इस्तीफा दे दिया।
-नोटोरियस

49 दिन की बेढब सरकार से मुक्ति पाकर दिल्ली में इंद्र देवता भी खुशी के मारे रो पड़े।
-मिन्हाज मर्चेट

राहुल जी ने हमें एस्केप वेलोसिटी के बारे में बताया था, केजरीवाल ने उस पर अमल कर दिखाया।
-तरुण कौशिक

मैं केजरीवाल की तारीफ करता हूं, क्योंकि उन्होंने सचमुच साबित कर दिखाया कि झाडू डेढ़ महीना ही चलती है।
-सोनू जिंदल

केजरीवाल दूसरे मुख्यमंत्रियों की तरह नहीं हैं। उन्होंने दिल्ली के वोटरों को खुलेआम धोखा दिया।
-हरिकृष्णन

अंबानी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के अगले दिन ही इस्तीफा, लेकिन 49 दिन में शीला के खिलाफ एफआइआर क्यों नहीं? बताओ केजरीवाल।
-डॉ. पराग

चेतन भगत समेत दो मिनट का मौन उन सभी लोगों के लिए, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई आप को दान में दी।
-केसर

केजरीवाल ने सरकार बनाने के पहले एसएमएस से लोगों की राय जानी। आखिर इस्तीफा देने के पहले ऐसा ही क्यों नहीं किया?
-पार्थ

एक केंद्र शासित प्रदेश संभाल नहीं सके और सपना देख रहे हैं पूरे देश पर शासन करने का।
-प्रंडया लोटलीकर

शीला को चोर बताकर सत्ता में आए केजरीवाल इतने दिन में उनके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करा सके?
-पंकजमणि

न महिलाओं की सुरक्षा, न स्कूलों का निर्माण, न पानी की व्यवस्था-न बिजली की। शासन के बजाय सिर्फ ड्रामा, अव्यवस्था और अराजकता।
-मोहित भार

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