Friday 21 February 2014

संसद का सत्र खत्म, अधूरे रह गए राहुल के सपने

भ्रष्टाचार निरोधी बिल (संशोधित), 2013


भ्रष्टाचार निरोधी बिल (संशोधित), 2013

भ्रष्टाचार निरोधी बिल (संशोधित) को अगस्त, 2013 में राज्यसभा में पेश किया गया था।

इसमें 1988 के भ्रष्टाचार रोकथाम बिल का दायरा बढ़ाते हुए भ्रष्ट नौकरशाहों की संपत्ति जब्त करने के अलावा रिश्वत की पेशकश करने वाले को भी दंडित करने का प्रावधान किया गया है।

यानी इसके तहत रिश्वत देने वालों (रिश्वत लेने वालों के साथ-साथ) पर भी मुकदमा चलाने का प्रावधान है।

सार्वजनिक खरीद विधेयक, 2012

इस विधेयक के तहत मंत्रालयों, केन्द्र सरकार के विभागों और इससे जुड़े कार्यालयों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, केन्द्र सरकार के अधीन स्वायत्त एवं संवैधानिक संस्थाओं द्वारा किसी भी तरह की खरीद को नियमित करना है।

इसका उद्देश्य खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही तथा ईमानदारी तय करना और बोलीदाताओं के साथ स्पष्ट एवं समान व्यवहार, प्रतियोगिता को बढ़ावा देना, आर्थिक क्षमता बढ़ाना, खरीद प्रक्रिया में ईमानदारी और आम लोगों का विश्वास बढ़ाना है।

व्हिसिल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल, 2011

व्हिसिल ब्लोअर भ्रष्टाटाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले की सुरक्षा और सूचनाओं को गोपनीय रखने से संबधित है।

व्हिसल ब्लोअर का मतलब है वो शख्स जो अपने संगठन में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत गुप्त ढंग से करता है।

इस बिल का मकसद सरकारी दफ्तों में भ्रष्टाचार रोकना और ऐसे लोगों की पहचान छिपाने का इंतजाम करना है जो शिकायतें करते हैं। पहचान का खुलासा करने वाले को सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

रिश्वत संबंधी मामलों का तुरंत निपटारा

नागरिक माल और सेवाओं का समयबद्ध परिदान और शिकायत निवारण अधिकार विधेयक, 2011 में प्रशासन में निचले स्तर के रिश्वत संबंधी मामलों को निपटाने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का प्रावधान है। यह विधेयक सभी योजनाओं और केंद्र सरकार के सभी विभागों को कवर करेगा और राज्यों को अपने यहां भी इसी प्रकार की प्रणाली को स्थापित करने के लिए एक मंच देगा।

विधेयक में सभी मंत्रालयों के लिए 30 दिनों में लोगों की शिकायतों पर कार्रवाई करना जरूरी किया गया है। प्रस्तावित कानून के तहत हर सार्वजनिक प्राधिकार को केंद्र स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक शिकायत की सुनवाई करने वाले अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि शिकायतकार्ता को इस बारे में की गई कारर्वाई की लिखित में जानकारी दिया जाए।

भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कदम

देश के अंदर विदेशी सरकारी अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में काम करने वाले विदेशी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कदम उठाने से संबंधित प्रावधान विदेशी सरकारी और अंतरराष्ट्रीय लोक संगठन अधिकारी रिश्वतखोरी रोकथाम विधेयक, 2011 किया गया है।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2005 में भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए थे।

न्यायपालिका जवाबदेही बिल, 2010

इस बिल में न्यायाधीशों के व्यवहार का स्तर तय किए जाने, उनकी आय की जानकारी सार्वजनिक किए जाने और उनके गलत बर्ताव के खिलाफ शिकायत करने के प्रावधान है।

इसके तहत एक राष्ट्रीय न्यायिक निगरानी समिति, शिकायतों की जांच के लिए जांच समिति होगी।





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