Monday 3 February 2014

रेल यात्रा = अधिकार और कर्तव्य



अगर आप रेल की आरक्षित बोगी में यात्रा कर रहे हैं और आपका सामान चोरी हो जाता है तो आप रेलवे से हर्जाने का दावा कर सकते हैं। रिजर्व कोच में अनधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना टीटीई (टिकट जांचने वाला) की जिम्मेदारी है और अगर वह इसमें नाकाम रहा तो रेलवे सेवा में खामी का जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के इस फैसले पर मुहर लगा दी है। अब रेलवे को 17 साल पहले चोरी हुए सामान का दो लाख रुपये हर्जाना देना होगा।
न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद व पिनाकी चंद्र घोष की पीठ ने रेलवे की याचिका खारिज करते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले में दखल देने से इन्कार कर दिया। रेलवे की दलील थी कि उपभोक्ता अदालत रेलवे के खिलाफ दावे पर सुनवाई ही नहीं कर सकती। ऐसे मामलों की सुनवाई सिर्फ रेलवे क्लेम टिब्यूनल में हो सकती है। जबकि, यात्री के वकील अजीत शर्मा का कहना था कि रेलवे टिब्यूनल में केवल उन दावों पर विचार होता है जो सामान रेलवे में बुक किए जाते हैं। यहां मामला भिन्न है और उपभोक्ता आयोग का फैसला बिल्कुल सही है। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने भी रेलवे की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि शिकायतकर्ता (डॉक्टर शोभा) अपनी बेटी के साथ आरक्षित बोगी में यात्र कर रही थीं। टीटीई की जिम्मेदारी थी कि वह सुनिश्चित करे कि कोई अनधिकृत व्यक्ति रिजर्व कोच में न घुसने पाए। टीटीई रात में अनधिकृत व्यक्ति का कोच में प्रवेश रोकने में नाकाम रहा इसलिए उपभोक्ता अदालत का रेलवे को सेवा में कमी का जिम्मेदार ठहराने का फैसला ठीक है। आयोग ने कहा कि इस तरह का मामला रेलवे क्लेम टिब्यूनल के तहत नहीं आता और उसके आधार पर उपभोक्ता अदालतों का क्षेत्राधिकार बाधित नहीं होता।

रेलयात्रा से जुड़े इन नियमों को नजरअंदाज न करें

रेल सफर हर किसी की जिंदगी से जुड़ा है। शायद ही कोई हो, जिसका पाला रेलवे से न पड़ता हो। दिक्कतें भी किसी से छिपी नहीं हैं। रिजर्वेशन कंफर्म होने से लेकर ट्रेन कैंसिल की जानकारी तक.। कोई भी अधूरी जानकारी सिर दर्द पैदा कर देती है। उस पर दिक्कत यह है कि आए दिन रेलवे के नियम बदल रहे हैं।
रेलवे ने छात्र, खिलाड़ी, गूंगे-बहरों के रिजर्वेशन पर 50, कैंसर-थैलीसीमिया पीड़ित और विकलांग को 75 तथा डॉक्टर के रिजर्वेशन चार्ज में दस फीसदी की छूट दी है। यह छूट लेने को छात्र-खिलाड़ियों को स्कूल से लिखवाकर लाना पड़ता है, तो वहीं डॉॅक्टर, विकलांग, गूंगे-बहरों को अपने प्रमाण पत्र तथा मरीजों को डॉक्टर का पर्चा लगाना पड़ता है। हकीकत यह है कि जानकारी न होने के कारण विकलांगों को छोड़ कोई भी अपनी सुविधाओं का लाभ लेने नहीं पहुंचता।

आइडी न होने पर टिकट रद  

रेल सफर से पहले अपनी आइडी को अवश्य साथ में रखें। ट्रेन में आइडी न होने पर आपका टिकट भी रद हो सकता है। रेलवे ने नया टिकट बनाने के साथ ही जुर्माना वसूलने की हिदायत दी है, जबकि आइडी होने और टिकट न होने पर यात्री से जुर्माना नहीं वसूला जाएगा। वह अपना टिकट बनवाकर सफर कर सकता है।

49 घंटे पहले रद करें टिकट

रेलवे ने टिकट रद कराने के मामले में बड़े बदलाव किए हैं। यात्री 49 घंटे पहले टिकट रद करता है, तो कन्फर्म टिकट पर एसी फ‌र्स्ट में 120, सेकेंड में सौ, थर्ड में नब्बे और स्लीपर में 60 रुपये कटते हैं। इसके साथ ही वेटिंग टिकट पर सभी एसी क्लास में 35 और स्लीपर क्लास में 30 रुपये कटते है। मात्र 48 घंटे पहले टिकट रद पर 50, छह घंटे पहले 25 फीसदी रकम वापस होगी, लेकिन ट्रेन आने से दो घंटे पहले कुछ भी वापस नहीं होगा।

समस्या पर यहां करें कॉल

रिजर्वेशन संबंधित जानकारी एवं शिकायत को लेकर यात्री 9760541564 पर कॉल कर सकते हैं। उन्हें तुरंत समस्या से निजात मिलेगी।



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