Saturday 15 February 2014

नरेंद्र मोदी पहली पसंद = राहुल केजरीवाल से भी पिछड़े

मिडल क्लास की पसंद बनकर उभरे मोदी, राहुल केजरीवाल से भी पिछड़े


बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी 'मिडल क्लास' की पसंद बनकर उभर रहे हैं। कम से कम चुनावी सर्वे तो ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहे हैं। इंडिया टुडे-सी वोटर ने देश के 17463 लोगों से बात कर एक सर्वे किया है। ये लोग समाज के मध्य वर्ग कहे जाने वाले तबके से ताल्लुक रखते हैं। इनमें उच्च मध्य वर्ग, मध्य मध्य वर्ग और निम्न मध्य वर्ग शामिल है। लोकसभा चुनाव में यह तबका बहुत अहमियत रखता है। सर्वे में प्रधानमंत्री पद के दावेदारों, अहम मुद्दों को लेकर जनता की राय मांगी गई। मोदी मिडल क्लास के 52.5 फीसदी लोगों की नजर में प्रधानमंत्री पद के सबसे काबिल उम्मीदवार हैं। मध्य वर्ग के 15.8 फीसदी लोगों की नजर में अरविंद केजरीवाल और 11.5 फीसदी लोगों की नजर में राहुल गांधी  प्रधानमंत्री पद के सबसे काबिल उम्मीदवार हैं। सर्वे के विस्तृत नतीजे इस तरह से हैं: 

नरेंद्र मोदी पीएम पद के लिए पहली पसंद 

मध्य वर्ग में नरेंद्र मोदी को लेकर उत्साह दिख रहा है। इस तबके के 52.5 फीसदी लोग मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी पसंद मानते हैं। मध्य वर्ग के तहत आने वाला उच्च मध्य वर्ग (अपर मिडल क्लास) मोदी पर फिदा है। सर्वे में शामिल इस वर्ग के 57 फीसदी लोगों ने मोदी को अपनी पसंद बताया है। वहीं, मध्य मध्य वर्ग 54.2 फीसदी और निम्न मध्य वर्ग के 49.1 फीसदी लोग मोदी को प्रधानमंत्री पद के अच्छे उम्मीदवार के रूप में देखते हैं। यह आंकड़ा मोदी को राहुल गांधी, मनमोहन सिंह और अरविंद केजरीवाल से कहीं आगे खड़ा करता है।  


कितने हैं संतुष्ट 

मध्य वर्ग के 52.5 फीसदी लोग मोदी के कामकाज से बहुत ज्यादा खुश हैं। वहीं इस तबके के 17.6 फीसदी लोग कुछ हद तक मोदी के काम से संतुष्ट हैं। मिडल क्लास के 18.7 फीसदी लोग मोदी के प्रदर्शन से बिल्कुल खुश नहीं है। वहीं, 11.1 फीसदी लोग इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं। उच्च मध्य वर्ग में 57.7 फीसदी लोग मोदी के कामकाज से खुश, 16.9 फीसदी कुछ हद तक संतुष्ट, 19.3 फीसदी बिल्कुल खुश नहीं और 6.1 फीसदी कोई राय नहीं रखते। मध्य मध्य वर्ग के 53.2 फीसदी लोग मोदी के कामकाज से बहुत खुश, 17.2 फीसदी कुछ हद तक संतुष्ट, 17.7 फीसदी बिल्कुल खुश नहीं और 11.9 फीसदी इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं। निम्न मध्य वर्ग के 51.1 फीसदी लोग मोदी के कामकाज से काफी संतुष्ट हैं। इस तबके के 18.2 फीसदी लोग मोदी के कामकाज से कुछ हद तक संतुष्ट, 19.8 फीसदी बिल्कुल खुश नहीं और 10.9 फीसदी लोग इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं। 

इन आंकड़ों को ऐसे समझिए

कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी के चलते इस वर्ग का उससे मोहभंग कई सर्वे में साफ दिख रहा है। इस वर्ग में आम आदमी पार्टी ने अपनी पैठ बनाई। लेकिन केजरीवाल की 49 दिनों तक चली सरकार के गिरने और उसके कामकाज के तरीके से मध्य वर्ग के एक हिस्से में आम आदमी पार्टी को लेकर नाराजगी पनप रही है। सर्वे इस बात की तरफ इशारा कर रहा है। मोदी को कांग्रेस से नाराजगी और आम आदमी पार्टी के रुख से फायदा मिलता दिख रहा है। मोदी ने विकास के गुजरात मॉडल, अपनी असरदार प्रशासक की इमेज, निर्णय लेने वाली सरकार की छवि की जबर्दस्त मार्केटिंग कर उम्मीदों से भरे मध्य वर्ग को अपनी तरफ करने की जबर्दस्त कोशिश कर रहे हैं। सर्वे बताता है कि वह इसमें कामयाब भी हो रहे हैं। लेकिन मोदी के लिए चिंता की बात यह हो सकती है कि उनकी लोकप्रियता उच्च मध्य वर्ग में ज्यादा और निम्न मध्य वर्ग में कम है।

मिडल क्लास की पसंद बनकर उभरे मोदी, राहुल केजरीवाल से भी पिछड़े



अरविंद केजरीवाल पीएम पद के लिए दूसरी पसंद

इंडिया टुडे-सी वोटर के सर्वे में शामिल मध्य वर्ग के लिए नरेंद्र मोदी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए दूसरी पसंद अरविंद केजरीवाल हैं। इस तबके के 15.8 फीसदी लोग उन्हें पीएम पद के लिए अच्छा कैंडिडेट मानते हैं। मध्य वर्ग में शामिल उच्च मध्य वर्ग के 17.8 फीसदी लोगों की नजर में वह अच्छे उम्मीदवार हैं। वहीं, मध्य मध्य वर्ग के 15.7 फीसदी, निम्न मध्य वर्ग के 15.6 फीसदी लोग अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री पद के लिए बेहतर उम्मीदवार मानते हैं। मतलब साफ है कि वह उच्च मध्य वर्ग में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। 

                             
इन आंकड़ों के मायने

सर्वे के आंकड़े साबित करते हैं कि आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल अब भी शहरी मध्य वर्ग के बीच तो कुछ हद तक लोकप्रिय हैं, लेकिन वे मोदी की तुलना में काफी पीछे हैं। उनके लिए संतोष की बात यह हो सकती है कि वे राहुल गांधी की तुलना में प्रधानमंत्री पद के लिए ज्यादा लोगों की पसंद हैं। लेकिन शुक्रवार को इस्तीफा देने के बाद उनकी लोकप्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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पीएम पद के लिए तीसरी पसंद

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए मध्य वर्ग की तीसरी पसंद हैं। उन्हें मध्य वर्ग के 11.5 फीसदी लोग पीएम की कुर्सी के लिए काबिल नेता मानते हैं। उच्च मध्य वर्ग के 8 फीसदी, मध्य मध्य वर्ग 12.1 और निम्न मध्य वर्ग के 11.4 फीसदी लोग राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए काबिल नेता मानते हैं। 


कांग्रेस में सबसे लोकप्रिय हैं राहुल 

भले ही ओवरऑल सर्वे में राहुल मोदी और केजरीवाल से पीछे हों, लेकिन जब कांग्रेस के भीतर प्रधानमंत्री पद के सबसे योग्य उम्मीदवार का सवाल आता है तो मध्य वर्ग की सबसे बड़ी पसंद राहुल गांधी बनकर उभरते हैं। मध्य वर्ग के 41.1 फीसदी लोग उन्हें इस पद के लिए सबसे काबिल नेता मानते हैं। राहुल गांधी के बाद 13.3 फीसदी लोग मनमोहन, 6.5 फीसदी पी. चिदंबरम, 5.7 फीसदी लोग एके एंटनी, 5 फीसदी लोग सोनिया गांधी को कांग्रेस में प्रधानमंत्री पद का सबसे काबिल उम्मीदवार मानते हैं।     


मिडल क्लास कितना है संतुष्ट 

सर्वे में शामिल मध्य वर्ग के 18.5 फीसदी लोग राहुल गांधी के कामकाज से संतुष्ट हैं। वहीं, 23.2 फीसदी लोग कुछ हद तक, 47.3 फीसदी बिल्कुल संतुष्ट नहीं और 11 फीसदी लोग इस बारे में कोई राय नहीं रखते है। मध्य वर्ग में शामिल उच्च मध्य वर्ग के 10.6 फीसदी लोग राहुल गांधी से बहुत ज्यादा संतुष्ट, 19.5 फीसदी कुछ हद तक संतुष्ट, 54.7 फीसदी बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। 15.2 फीसदी लोगों ने इस बारे में कुछ नहीं कहा। मध्य मध्य वर्ग में 17.5 फीसदी काफी संतुष्ट, 22.1 फीसदी कुछ हद तक संतुष्ट, 49.2 फीसदी बिल्कुल संतुष्ट नहीं और 11.2 फीसदी इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं। निम्न मध्य वर्ग के 20.7 फीसदी लोग राहुल गांधी के कामकाज से बहुत ज्यादा संतुष्ट, 24.8 फीसदी कुछ हद तक संतुष्ट, 44.2 फीसदी बिल्कुल संतुष्ट नहीं और 10.3 फीसदी लोग इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं। 


इन आंकड़ों को ऐसे समझिए

सर्वे में शामिल उच्च मध्य वर्ग के लोग राहुल के कामकाज से सबसे ज्यादा असंतुष्ट हैं। इसके बाद मध्य मध्य वर्ग और निम्न मध्य वर्ग का नंबर आता है। 
राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस गरीबों और दबे कुचले लोगों के राजनीति एजेंडे पर काम करती रही है। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने ऐसी कई योजनाएं चलाईं जिनमें कर देने वाले तबके की जेब ढीली कर गरीबों और निचले तबके को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई। इससे गरीबों में कुछ हद तक कांग्रेस के लिए सहानुभूति है, लेकिन यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों, जल्द निर्णय न ले पाने की कमजोरी समेत तमाम खामियों के चलते गरीबी रेखा से ऊपर जीवन बीता रहा तबका उनसे नाराज दिखता है। राहुल गांधी के लिए यह बड़ी चुनौती है। सर्वे से साफ है कि राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी और यूपीए सरकार की नाकामियों के नतीजे भुगतने पड़ रहे हैं

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मिडल क्लास ने नकारा

इंडिया टुडे-सी वोटर के सर्वे में शामिल मध्य वर्ग ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को एक तरह से नकार दिया है। सर्वे में शामिल इस तबके के 2.2 फीसदी लोग ही मनमोहन सिंह को पीएम पद के लिए बेहतर कैंडिडेट के तौर पर देखते हैं। उच्च मध्य वर्ग के 0.9 फीसदी, मध्य मध्य वर्ग 2.1 फीसदी और निम्न मध्य वर्ग के 2.4 फीसदी लोग मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए बेहतर कैंडिडेट के तौर पर देखते हैं। 

कामकाज से लोग हैं असंतुष्ट

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कामकाज से मध्य वर्ग के 58.2 फीसदी लोग बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। इस तबके 25 फीसदी लोग कुछ हद तक, 15.3 फीसदी लोग काफी संतुष्ट हैं। 1.5 फीसदी लोग इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं। अपर मिडल क्लास में मनमोहन को लेकर जबर्दस्त नाराजगी है। इस तबके के 64.5 फीसदी लोग उनके कामकाज से असंतुष्ट, 20.7 फीसदी कुछ हद तक संतुष्ट और 13.5 फीसदी लोग काफी संतुष्ट हैं। 1.2 फीसदी लोग इस बारे राय नहीं रखते हैं। मिड मिडल क्लास के 60.2 फीसदी लोग मनमोहन सिंह के कामकाज से बिल्कुल संतुष्ट नहीं, 24.8 फीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट, 13.6 फीसदी लोग काफी संतुष्ट और 1.4 फीसदी लोग इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं। लोअर मिडल क्लास के 55.5 फीसदी लोग मनमोहन के कामकाज से असंतुष्ट, 25.7 फीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट, 17.1 फीसदी लोग काफी संतुष्ट और 1.7 फीसदी लोग इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं। 


राहत की बात

मनमोहन सिंह के कामकाज से मध्य वर्ग का बड़ा तबका भले ही असंतुष्ट हो, लेकिन उनकी छवि को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है। मध्य वर्ग के 60.7 फीसदी लोग उन्हें अब भी ईमानदार मानते हैं जबकि 32.7 फीसदी लोग इसके उलट राय रखते हैं। 


इन आंकड़ों का मतलब

सर्वे के आंकड़ों से साफ है कि मिडल क्लास में मनमोहन सिंह को लेकर जबर्दस्त अलोकप्रियता है। लगता है कि मनमोहन सिंह को भी जनता के इस रुख का अंदाजा है, शायद इसीलिए जनवरी में ही उन्होंने अगली बार प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार न होने का एलान कर दिया था। लेकिन मनमोहन सिंह को अब भी निजी तौर पर लोग ईमानदार मानते हैं। तो क्या इसका मतलब यह है कि इतिहास में उन्हें अलोकप्रिय लेकिन ईमानदार राजनेता के तौर पर याद किया जाएगा?

मिडल क्लास की नजर में 5 सबसे बड़े मुद्दे 

करप्शन


मिडल क्लास के 40.4 फीसदी लोगों की नजर में करप्शन सबसे बड़ा मुद्दा है। 

महंगाई

सर्वे में शामिल मिडल क्लास के 18 फीसदी लोगों की नजर में महंगाई अहम मुद्दा है। 

               
बेरोजगारी

सर्वे में शामिल मिडल क्लास के 11.7 फीसदी लोग बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा मानते हैं। 


बिजली/सड़क/पानी 

सर्वे में शामिल 2.6 फीसदी लोगों की नजर में बिजली/सड़क/पानी बड़ा मुद्दा है। 


आतंकी हमला 

मिडल क्लास की नजर में आतंकवादी हमला बड़ा मुद्दा है। 2.1 फीसदी लोगों की नजर में यह बड़ा मुद्दा है। 


इन आंकड़ों को ऐसे समझिए

भ्रष्टाचार देश के मध्य वर्ग के सामने सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। महंगाई और बेरोजगारी उसके बाद अहम सवाल हैं। सांप्रदायिक तनाव महज मध्य वर्ग के 1.3 फीसदी लोगों की नजर में मुद्दा है। आने वाले लोकसभा चुनाव भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मु्द्दों के इर्दगिर्द लड़े जाएंगे। 












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