Friday 21 February 2014

यही है हमारी संस्कृति की पहचान. हमारी शान हिंदुस्तान !


Photo: ^ यही है हमारी संस्कृति की पहचान. हमारी शान हिंदुस्तान !

(1). हम सब एक है |
(2). दो पक्ष- कृष्ण पक्ष , शुक्ल पक्ष !
(3). तीन ऋण – देव ऋण , पितृ ऋण , ऋषि ऋण !
(4). चार युग – सतयुग , त्रेतायुग ,द्वापरयुग , कलियुग !
चार धाम – द्वारिका , बद्रीनाथ , जगन्नाथ पूरी , रामेश्वरम धाम !
चारपीठ -शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) , गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) , श्रन्गेरिपीठ !
चार वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद , यजुर्वेद , सामवेद !
चार आश्रम -ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ , संन्यास !
चार अंतःकरण -मन , बुद्धि , चित्त , अहंकार !
(5). पञ्च गव्य – गाय का घी , दूध , दही ,गोमूत्र , गोबर !
पञ्च देव – गणेश , विष्णु , शिव , देवी ,सूर्य !
पंच तत्त्व – पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु , आकाश !
(6).  छह दर्शन – वैशेषिक , न्याय , सांख्य ,योग , पूर्व मिसांसा , दक्षिण मिसांसा !
(7).  सप्त ऋषि – विश्वामित्र , जमदाग्नि ,भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप!
सप्त पूरी -अयोध्या पूरी ,मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , काशी ,कांची ( शिन कांची – विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !
(8).  आठ योग – यम , नियम , आसन ,प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !
आठ लक्ष्मी – आग्घ ,विद्या , सौभाग्य ,अमृत , काम , सत्य , भोग ,एवं योग लक्ष्मी !
(9).  नव दुर्गा — शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी ,चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी ,कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !
(10.  दस दिशाएं – पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण ,इशान , नेऋत्य , वायव्य , अग्नि , आकाश एवं पाताल !
(11).   मुख्य ११ अवतार – मत्स्य , कच्छप , वराह ,नरसिंह , वामन , परशुराम ,श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !
(12)  बारह मास – चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाढ , श्रावण , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक ,मार्गशीर्ष , पौष , माघ , फागुन !
बारह राशी – मेष , वृषभ , मिथुन ,कर्क , सिंह , कन्या , तुला , वृश्चिक , धनु , मकर , कुंभ , कन्या !
बारह ज्योतिर्लिंग – सोमनाथ , मल्लिकार्जुन ,महाकाल , ओमकारेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम ,विश्वनाथ , त्र्यंबकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर ,भीमाशंकर ,नागेश्वर !
(13). सब कुछ तेरा तेरा तेरा

(14). चौदह भुवन
(15). पंद्रह तिथियाँ – प्रतिपदा ,द्वितीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी ,नवमी ,दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावष्या !
भारतीय संस्कृति की स्मृतियां – मनु , विष्णु , अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत ,कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य, लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !

आओ सभी भारतीय भाई बहन मिलके इस संस्कृति की रक्षा के लिए एक झूट होकर सच्चाई  का साथ दे ।

ॐ शाति ।। जय हिन्द ।। जय संस्कृत ।। जय भारत ।। वंदे मातरम् ।।

++++++
"जन-जागरण लाना है तो पोस्ट को Share करना है।"

Ojasvi Hindustan पेज के साथ जुड़े। जानीये हमसे जुड़ने का तरीका ।
लिंक :- http://goo.gl/G0ZZIu
++++++

(1). हम सब एक है |

(2). दो पक्ष- कृष्ण पक्ष , शुक्ल पक्ष !

(3). तीन ऋण देव ऋण , पितृ ऋण , ऋषि ऋण !

(4). चार युग सतयुग , त्रेतायुग ,द्वापरयुग , कलियुग !

चार धाम द्वारिका , बद्रीनाथ , जगन्नाथ पूरी , रामेश्वरम धाम !

चारपीठ -शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) , गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) , श्रन्गेरिपीठ !

चार वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद , यजुर्वेद , सामवेद !

चार आश्रम -ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ , संन्यास !

चार अंतःकरण -मन , बुद्धि , चित्त , अहंकार !

(5). पञ्च गव्य गाय का घी , दूध , दही ,गोमूत्र , गोबर !

पञ्च देव गणेश , विष्णु , शिव , देवी ,सूर्य !

पंच तत्त्व पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु , आकाश !

(6). छह दर्शन वैशेषिक , न्याय , सांख्य ,योग , पूर्व मिसांसा , दक्षिण मिसांसा !

(7). सप्त ऋषि विश्वामित्र , जमदाग्नि ,भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप!

सप्त पूरी -अयोध्या पूरी ,मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , काशी ,कांची ( शिन कांची विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !

(8). आठ योग यम , नियम , आसन ,प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !

आठ लक्ष्मी आग्घ ,विद्या , सौभाग्य ,अमृत , काम , सत्य , भोग ,एवं योग लक्ष्मी !

(9). नव दुर्गा शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी ,चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी ,कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !

(10. दस दिशाएं पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण ,इशान , नेऋत्य , वायव्य , अग्नि , आकाश एवं पाताल !

(11). मुख्य ११ अवतार मत्स्य , कच्छप , वराह ,नरसिंह , वामन , परशुराम ,श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !

(12) बारह मास चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाढ , श्रावण , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक ,मार्गशीर्ष , पौष , माघ , फागुन !

बारह राशी मेष , वृषभ , मिथुन ,कर्क , सिंह , कन्या , तुला , वृश्चिक , धनु , मकर , कुंभ , कन्या !

बारह ज्योतिर्लिंग सोमनाथ , मल्लिकार्जुन ,महाकाल , ओमकारेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम ,विश्वनाथ , त्र्यंबकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर ,भीमाशंकर ,नागेश्वर !

(13). सब कुछ तेरा तेरा तेरा


(14). चौदह भुवन

(15). पंद्रह तिथियाँ प्रतिपदा ,द्वितीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी ,नवमी ,दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावष्या !

भारतीय संस्कृति की स्मृतियां मनु , विष्णु , अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत ,कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य, लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !

आओ सभी भारतीय भाई बहन मिलके इस संस्कृति की रक्षा के लिए एक झूट होकर सच्चाई का साथ दे ।

ॐ शाति ।। जय हिन्द ।। जय संस्कृत ।। जय भारत ।। वंदे मातरम् ।।

No comments:

Post a Comment