Monday 20 October 2014

खाने के समय माँ लक्ष्मी की कृपा ऐसे पाये

मान्यता है खाने के समय ये चीजें याद रखने से कृपा करती हैं धनलक्ष्मी

मान्यता है खाने के समय ये चीजें याद रखने से कृपा करती हैं धनलक्ष्मी

 हिन्दू धर्म ग्रंथों में भोजन को 'अन्नदेव' के नाम से पुकारा जाता है। कहते हैं प्रेम से भोजन ग्रहण करने पर आत्मा और मन की शुद्धि होती है। ग्रंथों में भगवान के दर्शन के लिए सबसे पहले अन्न को ही ब्रह्म रूप बताया गया है अन्नं ब्रह्म इति व्याजानात्। खैर ये बात तो हो गई धर्म ग्रंथों की लेकिन, आज के दौर में गुजरे जमाने की तुलना में भोजनशैली और व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है।

जाहिर है इससे इंसान की सेहत, सोच, स्वभाव और व्यवहार भी प्रभावित हुए हैं। इसी बात को ध्यान रख यहां बताए जा रहे हैं प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ मनुस्मृति में बताए गए उपाय। इन उपायों को भोजन के दौरान करने से केवल उम्र यश बढ़ता है, बल्कि साथ-साथ लक्ष्मी की भरपूर कृपा भी बरसती है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो उपाय....


मनुस्मृति में खासतौर पर भोजन के लिए सही दिशा में मुंह कर करने के अलावा भोजन के वक्त कुछ खास उपाय बेहद जरूरी माने गए हैं। 

- भोजन से पहले आचमन करना चाहिए। बाद में सिर, मस्तक आदि ऊपरी अंगों को गीले हाथों से छूना चाहिए। 

- इसी तरह हाथ, पैर और मुंह को गीला कर भोजन करने से लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं। इस क्रिया को पञ्चाद्र्र शब्द से भी पुकारा गया है।


- भोजन के वक्त बिल्कुल शांत रहना चाहिए।

- भोजन के सामने आने पर प्रसन्न होना चाहिए। मन की सारे तनाव अन्न के दर्शन कर भूल जाना चाहिए।

- अन्न का सम्मान करते हुए पहले गहरी सांस लेकर उसे प्रतीकात्मक तौर पर प्राण वायु देना चाहिए।

- मन में इस भावना के साथ कि आप प्राणों के रक्षक ब्रह्म स्वरूप हैं, भोजन को नमस्कार करना चाहिए। इस तरह करना अन्न देव की पूजा बताई गई है।

- जिस भोजन को ग्रहण कर रहें हैं उसकी बुराई कतई करें।

- भोजन के बाद भी आचमन और मुख प्रक्षालन यानी मुंह धोकर सिर, मस्तक आदि ऊपरी अंगों को गीले हाथों से छूकर उठना चाहिए।

- इस तरह से अन्न पूजा के साथ किया गया भोजन ताउम्र शक्ति और ऊर्जा देता है। वहीं ऐसा करने से इन दोनों का ही नाश होता रहता है।
 


जानिए किस दिशा की ओर मुंह करकेभोजन करने से क्या होता है-

- हमारे धर्म ग्रंंथों में कहा गया है कि भोजन के दौरान पूर्व दिशा में मुंह रखकर खाना खाने से उम्र बढ़ती है। 

- पश्चिम दिशा में मुंह रख भोजन करने से श्री यानी मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, वैभव तमाम सुख-शांति के साथ लक्ष्मी कृपा बरसती है।

- दक्षिण दिशा की ओर मुंह रखकर भोजन करने से भरपूर यश मिलता है उत्तर दिशा में भोजन करने से सत्य मिलता है यानी व्यक्ति का जीवन सात्विक प्रवृत्ति आचरण के साथ गुजरता है।
 

श्रीमद्भगवद्गगीता में लिखा गया है कि -
 
आयु:सत्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धना:
रस्या:स्निग्धा:स्थिराह्रद्या आहारा: सात्विकप्रिया:।।
कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूपक्षविदाहिन:



आहारा राजसस्येष्टा दु:खशोकामयप्रदा:।।
यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं यत।
उच्छिष्ट चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम।



इन श्लोकों का सरल शब्दों में मतलब है कि अपनी प्रकृति स्वभाव के मुताबिक लोगों को तीन तरह का भोजन अच्छा लगता है। दूसरे शब्दों में भोजन की पसंद के अनुसार तीन तरह के लोग होते है।  

- जो व्यक्ति उम्र, बुद्धि, ताकत, सेहत, सुख प्रीति को बढ़ाने वाला, रसीला, चिकना और लंबे वक्त तक शरीर में रहने वाले अंश या सार वाला भोजन करता है। वह सात्विक या सरल व्यक्ति होता है।
 
- जो कड़वा, खट्टा, नमक वाला, ज्यादा गर्म, तीखा, सूखा, जलन पैदा करने वाला भोजन (जो रोग, दर्द या परेशानी पैदा करे) करता है। वह राजसी स्वभाव का व्यक्ति होता है।
 
-   वहीं, जो व्यक्ति कच्चा, रसहीन, बासी और बचा हुआ भोजन करता हैै। वह तामसी स्वभाव का होता है। अच्छा या बुरा खान-पान तो सही और गलत सोच बनाने वाला भी माना गया है। इससे जीवन में सुख-दु:, सफलता या असफलता नियत होती है।
 


जानें खाने से पहले क्या बोलने से शरीर स्वस्थ रहता है...

सिर्फ धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक नजरिए से भी शरीर में मौजूद कई ग्रंथियां विशेष रस पैदा करती है। जिनसे सभी अंग सही ढंग से काम करते हैं। भोजन के वक्त मंत्र बोलने से बने पवित्र भावों के कारण भोजन के पाचक रसों में दोष पैदा नहीं होते हैं। साथ ही, शरीर और दिमाग हमेशा चुस्त-दुरुस्त रहता है....

भोजन से पहले बोले ये मंत्र...

ऊं सहनाववतु, सहनौ भुनक्तु सह वीर्यम् करवावहै
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।
शान्ति: शान्ति: शान्ति:

ब्रह्मार्पणं ब्रह्मा हविब्र्रह्माग्नौ ब्रह्मणाहुतं
ब्रह्मैव तेना गन्तव्यंब्रह्म कर्म समाधिना।।









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